1868 में फादर बौना बैंचर ने तल्लीताल में सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च का निर्माण कराया। इसे लेक चर्च भी कहा जाता था। 1869 में भी पॉपुलर स्टेट क्षेत्र में एक और भू-स्खलन हुआ। इसका प्रकोप पूर्व के भू-स्खलन के मुकाबले कहीं व्यापक था। इसका प्रभाव आल्मा पहाड़ी तक पड़ा, पर कोई नुकसान नहीं हुआ। अंग्रेजी शासन ने इस चेतावनी को गम्भीरता से लिया। संरक्षण और विकास की वैज्ञानिक नीतियाँ अपनाई गई। संरक्षणात्मक उपायों के साथ प्रकृति के दोहन पर जोर दिया गया।
ब्रिटिश हुक्मरान नैनीताल में अधिसंरचनात्मक सुविधाओं के प्रबन्ध में जुटे ही थे कि बसावट शुरू होने के महज 25 साल बाद अगस्त, 1867 में मल्लीताल के पॉपुलर स्टेट में भू-स्खलन हो गया। इस- भूस्खलन से विक्टोरिया होटल का वन निर्मित एक कॉटेज दब गया था। विक्टोरिया होल के पास स्थित पुलिया में एक हिन्दुस्तानी की मृत्यु हो गई थी। इस भू-स्खलन ने अंग्रेजों को नैनीताल की क्षण भंगुर पारिस्थितिक तंत्र इत्तला दे दी। 1860 में अंग्रेज लेखक मेजर गार्सटिन विक्टोरिया होटल को असुरक्षित बता चुके थे। इसी साल डॉक्टर वॉल्कर ने भी इस पहाड़ी में दरारें आने की बात कही थी। इस हादसे के फौरन बाद 12 अक्टूबर, 1867 को जाँच कमेटी गठित कर दी गई। जाँच कमेटी ने पहाड़ियों की सुरक्षा के लिए नाले और सुरक्षा दीवारें बनाने का सुझाव दिया।
1868 में फादर बौना बैंचर ने तल्लीताल में सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च का निर्माण कराया। इसे लेक चर्च भी कहा जाता था। 1869 में भी पॉपुलर स्टेट क्षेत्र में एक और भू-स्खलन हुआ। इसका प्रकोप पूर्व के भू-स्खलन के मुकाबले कहीं व्यापक था। इसका प्रभाव आल्मा पहाड़ी तक पड़ा, पर कोई नुकसान नहीं हुआ। अंग्रेजी शासन ने इस चेतावनी को गम्भीरता से लिया। संरक्षण और विकास की वैज्ञानिक नीतियाँ अपनाई गई। संरक्षणात्मक उपायों के साथ प्रकृति के दोहन पर जोर दिया गया।
1868 में नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस की राजधानी आगरा से इलाहाबाद आ गई। 12 अक्टूबर, 1882 को भारत सरकार के सचिव और दी रुहेलखण्ड एण्ड कुमाऊँ रेलवे कम्पनी लिमिटेड के बीच बरेली से काठगोदाम तक रेलवे लाइन बिछाने तथा काठगोदाम तक रेल सेवा प्रारम्भ करने का अनुबंध हुआ।
1869 में नैनीताल में मेडिकल स्कूल खुला। इसमें आठ पुरुषों और चार महिलाओं को चिकित्सा शास्त्र का बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया। इसी साल 17 दिसम्बर 1869 में स्वेज नहर खुल गई थी। स्वेज नहर खुलने से भारत और इंग्लैंड की समुद्र मार्ग से दूरी करीब तीन हजार मील कम हो गई थी। 8 दिसम्बर, 1869 को नैनीताल में जमीन का टैक्स बारह आना प्रति एकड़ से बढ़ाकर दो रुपए प्रति एकड़ कर दिया गया था।
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