ग्लेशियोलॉजिस्ट बर्फ, पानी, पत्थर के टुकड़ों के ढेर आदि से मिलकर बने ग्लेशियर्स का अध्ययन करते हैं। पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण ग्लेशियर्स के बढ़ते-घटते आकार पर नजर रखना इनका काम होता है। विज्ञान में बारहवीं, फिजिक्स या मैथ्स में बीएससी या एमएससी इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने में आपकी मदद करेगी।
हिमस्खलन से जुड़ा अध्ययन करने वाले हिमस्खलन विशेषज्ञ या ग्लेशियोलॉजिस्ट कहलाते हैं, ये बर्फ, पानी, पत्थर के टुकड़ों के ढेर आदि से मिलकर बने ग्लेशियर्स का अध्ययन करते हैं। पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण ग्लेशियर्स के बढ़ते-घटते आकार पर नजर रखना इनका काम होता है। ग्लेशियर्स से डेटा इकट्ठा करके उसका मूल्यांकन करने से वैज्ञानिकों को समुद्र जलस्तर में वृद्धि या बर्फ के स्तर में संकुचन का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। ग्लेशियोलॉजिस्ट बर्फ, उसकी विशेषताओं और व्यवहार संबंधित नकारी को समझने और इसका मूल्यांकन करने का प्रयास करते हैं। इससे उन्हें हिमस्खलन की भविष्यवाणी करने और इससे बचाव में मददगार संरचना का निर्माण करने में सहायता मिलती है।
विज्ञान में बारहवीं, फिजिक्स या मैथ्स में बीएससी या एमएससी इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने में आपकी मदद करेगी। फिजिकल/बायोलॉजिकल/केमिकल/और अर्थ एंड इनवाइरन्मेंटल साइंसेज की डिग्री भी इस दिशा में मददगार साबित होगी। अगर आप ग्लेशियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो फिजिकल/इनवाइरन्मेंटल साइंसेज में मास्टर्स डिग्री के साथ आपको शारीरिक तौर पर भी मजबूत होना होगा और प्रकृति के प्रति गहरा लगाव भी जरूरी होगा। पीएचडी भी काफी मददगार साबित हो सकती है। तीन संभावित रास्तों से आप ग्लेशियोलॉजिस्ट के रूप में कॅरिअर बना सकते हैं। पहला यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट में शिक्षक बन सकते हैं। इस क्षेत्र में वेतन बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन आपको अपनी रुचि का काम करने की स्वतंत्रता मिलती है। दूसरा, आप एक हिमस्खलन रिसर्च लैबोरेट्री में काम तलाश सकते हैं। यहां आप बेहतर तनख्वाह के साथ-साथ नवीनतम जानकारी से खुद को अपडेट रख सकते हैं। तीसरा आप फील्ड में जाकर हिमस्खलन का रोजमर्रा का अध्ययन कर सकते हैं। इस स्टडी के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है जो वहां की यातायात व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और निवासियों की सुरक्षा करने के लिए बेहद अहम होती है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जिओलॉजी, देहरादून
www.wihg.res.in
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी
www.jnu.ac.in
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन
www.drdo.org
टाटा इंसीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च
www.tifr.res.in
हिमस्खलन से जुड़ा अध्ययन करने वाले हिमस्खलन विशेषज्ञ या ग्लेशियोलॉजिस्ट कहलाते हैं, ये बर्फ, पानी, पत्थर के टुकड़ों के ढेर आदि से मिलकर बने ग्लेशियर्स का अध्ययन करते हैं। पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण ग्लेशियर्स के बढ़ते-घटते आकार पर नजर रखना इनका काम होता है। ग्लेशियर्स से डेटा इकट्ठा करके उसका मूल्यांकन करने से वैज्ञानिकों को समुद्र जलस्तर में वृद्धि या बर्फ के स्तर में संकुचन का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। ग्लेशियोलॉजिस्ट बर्फ, उसकी विशेषताओं और व्यवहार संबंधित नकारी को समझने और इसका मूल्यांकन करने का प्रयास करते हैं। इससे उन्हें हिमस्खलन की भविष्यवाणी करने और इससे बचाव में मददगार संरचना का निर्माण करने में सहायता मिलती है।
योग्यता
विज्ञान में बारहवीं, फिजिक्स या मैथ्स में बीएससी या एमएससी इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने में आपकी मदद करेगी। फिजिकल/बायोलॉजिकल/केमिकल/और अर्थ एंड इनवाइरन्मेंटल साइंसेज की डिग्री भी इस दिशा में मददगार साबित होगी। अगर आप ग्लेशियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो फिजिकल/इनवाइरन्मेंटल साइंसेज में मास्टर्स डिग्री के साथ आपको शारीरिक तौर पर भी मजबूत होना होगा और प्रकृति के प्रति गहरा लगाव भी जरूरी होगा। पीएचडी भी काफी मददगार साबित हो सकती है। तीन संभावित रास्तों से आप ग्लेशियोलॉजिस्ट के रूप में कॅरिअर बना सकते हैं। पहला यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट में शिक्षक बन सकते हैं। इस क्षेत्र में वेतन बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन आपको अपनी रुचि का काम करने की स्वतंत्रता मिलती है। दूसरा, आप एक हिमस्खलन रिसर्च लैबोरेट्री में काम तलाश सकते हैं। यहां आप बेहतर तनख्वाह के साथ-साथ नवीनतम जानकारी से खुद को अपडेट रख सकते हैं। तीसरा आप फील्ड में जाकर हिमस्खलन का रोजमर्रा का अध्ययन कर सकते हैं। इस स्टडी के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है जो वहां की यातायात व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और निवासियों की सुरक्षा करने के लिए बेहद अहम होती है।
यहां से करें पढ़ाई
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जिओलॉजी, देहरादून
www.wihg.res.in
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी
www.jnu.ac.in
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन
www.drdo.org
टाटा इंसीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च
www.tifr.res.in
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