ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध

ब्रह्मपुत्र नदी अब खतरे में
ब्रह्मपुत्र नदी अब खतरे में

कोलकाताः चीन ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है कि वह यारलंग त्सांगपो, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, पर बांध बना रहा है। वह बांध जल विद्युत परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। पिछले कई साल से भारत में इसकी चर्चा हो रही थी। कहा जा रहा था कि चीन ब्रह्मपुत्र पर एक नहीं, बल्कि 5 बांध बना रहा है। चीन इसे मानने को तैयार नहीं था। पर इस बार जब भारत की विदेश मंत्री एस एम कृष्णा चीन के दौरे पर थे, तो चीन ने स्वीकार किया कि वह उस नदी पर एक बांध बना रहा है।

चीन ने भारत को यह भरोसा दिलाया कि उस बांध से उसका कोई नुकसान नहीं होगा। भारत के विदेश मंत्री श्री कृष्णा भी उसके झांसे में आ गए हैं। उन्होंने संसद को बताया है कि चीन द्वारा बनाए जा रहे बांध का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन उत्तर पूर्वी राज्यों के विशेषज्ञ इसे मानने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि चीन द्वारा कराए जा रहे उस निर्माण कार्य से असम पर बहुत असर पड़ेगा। उनका कहना है कि असम ही नहीं, बल्कि उसके कारण बांग्लादेश भी प्रभावित होगा, क्योकि असम के धुब्री से वह नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है और वहां के इलाकों को सिंचित करती है।

चीन ने भारत को यह तो बताया है कि वह बांध बना रहा है, लेकिन उसने इसके बारे में और किसी भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है। इस बांध के कारण भारत को कितना नुकसान होगा, इसका सही-सही अंदाजा फिलहाल नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन हम किस तार से प्रभावित होंगे इसका अनुमान लगाया जा सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी कैलाश पर्वत से निकलती है। इसका ड्रेनेज क्षेत्र चीन में 50 फीसदी है। भारत में 35 फीसदी और 2 शेष बांग्लादेश और भूटान में है। भारत के असम के अलावा यह अरुणाचल प्रदेश को भी सिंचित करता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बांध के कारण भारत में ब्रह्मपुत्र नदी में पानी की कमी हो जाएगी। पानी की मात्रा ही कम नहीं होगी, बल्कि पानी की गति भी कमजोर हो जाएगी। पानी की गति कमजोर होने से नदी में गाद जमा होने की दर बढ़ जाती है। उनका कहना है कि 1950 में असम में जो भूकंप आया था उसके कारण पहले से ही वहां की नदियां उथली हो गई हैं। ब्रह्मपुत्र के उथला हो जाने के कारण मानसून के आरंभ के साथ ही असम में अब बाढ़ आने लगती है। चीन में बन रहे बांध के कारण जब नदी और भी उथली हो जाएगी तो फिर बाढ़ आने की निरंतरता भी बढ़ जाएगी। उथली होने के बाद नदी के धीरे धीरे सूख जाने का भी खतरा है।(संवाद)
 

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