बनिया क सखरज


बनिया क सखरज, ठकुर क हीन, वैद क पूत व्याधि नहिं चीन्ह।
पंडित क चुप चुप, बेसवा मइल, कहै घाघ पाँचों घर गइल।।


शब्दार्थ- सखरज-उदार।

भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि बनिया का पुत्र उदार या अपव्ययी हो, ठाकुर का पुत्र निर्बल और असक्त हो, वैद्य के पुत्र को रोग की पहचान न हो, पंडित का पुत्र चुप रहने वाला हो और वैश्या गंदी हो तो ये पाँचों घर नष्ट हो जाते हैं।

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Post By: tridmin
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