पाँच वर्षों के भीतर किसानों की आय दोगुनी करने के लिये सरकार ने आम बजट में कृषि और औद्यानिकी क्षेत्र पर फोकस किया है। प्रदेश के किसानों की तरक्की और कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये बजट में नई योजनाओं की घोषणा की गई। उत्तराखंड को ऑर्गेनिक और हर्बल स्टेट बनाने के लिये 1500 करोड़ का प्रावधान किया गया। साथ ही कृषि के लिये 966.68 करोड़ एवं औद्यानिकी के लिये 311.23 करोड़ का अनुमानित बजट का प्रावधान सरकार ने किया है। पर्वतीय क्षेत्रों में ‘पर ड्रॉप-मोर क्रॉप’ के तहत किसानों को बेहतर सिंचाई की सुविधा दी जायेगी। इसके लिये बजट में 20 करोड़ की व्यवस्था की गई।
2022 तक किसानों की आय डबल करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में खेती-बाड़ी को प्राथमिकता दी है। पहाड़ों में परती, बंजर भूमि, ग्राम पंचायतों की भूमि पर कृषिकरण कर किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर है। पर्वतीय क्षेत्रों के 700 हेक्टेयर क्षेत्र में परम्परागत फसलों मंडुवा, सावां, गहथ, काला भट्ट, धान, मक्का, गेहूँ और मसूर आदि फसल के बीजों का उत्पादन करने कार्यक्रम चलेगा। साथ ही एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना के तहत प्रत्येक विकासखंड में एक गाँव को गोद लेकर मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया जायेगा। कलस्टर आधारित योजना में चयनित गाँवों में कृषि, उद्यान, सब्जी, जड़ी-बूटी, पशुपालन, मशरूम पालन, मधुमक्खी पालन, डेरी रेशम, फल संरक्षण, प्रोसेसिंग कलेक्शन सेंटर आदि योजनाओं पर काम होगा।
पशुपालन और मत्स्य पालन पर जोर
सरकार ने बजट में पशुपालन व मत्स्य पालन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का फोकस किया है। पशुधन की क्षति-पूर्ति के लिये सरकार ने ‘पशुधन बीमा योजना’ शुरू की है। जिसमें एक पशुपालक के पाँच पशुओं या 50 छोटे पशुओं का बीमा किया जा रहा है। प्रदेश में इस वर्ष 12654 पशुओं का बीमा किया गया। डेयरी विभाग की ओर से ग्राम स्तर पर गठित 4060 दुग्ध सहकारी समितियों के 51750 दुग्ध उत्पादक सदस्यों द्वारा 180271 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें 46.87 लाख का दुग्ध मूल्य भुगतान प्रतिदिन हो रहा है। ‘गंगा गाय महिला डेरी योजना’ के तहत दुग्ध सहकारी समितियों की महिला सदस्यों को गाय खरीदने के लिये सहायता राशि दी जा रही है। बजट में गंगा गाय महिला डेरी योजना के अन्तर्गत 2000 महिला दुग्ध उत्पादकों को लाभान्वित करने का प्रावधान किया है।
बढ़ायेंगे मत्स्य पालकों की आय
सोलर पावर सपोर्ट सिस्टम की स्थापना कर मत्स्य पालन पर विद्युत पर हो रहे व्यय को कम कर मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि दर्ज कराई जायेगी। मत्स्य प्रसंस्करण को विस्तारित करने के लिये वित्त मंत्री प्रकाश मंत्री ने मोबाइल फिश आउटलेट की स्थापना करने का प्रावधान किया है।
5000 प्राकृतिक जलस्रोतों को दिया जायेगा पुनर्जीवन
बजट में पेयजल विभाग के लिये 862.84 करोड़ की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने 2022 तक 5000 समस्याग्रस्त प्राकृतिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने और उनकी क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।
522 बस्तियों का पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने की योजना थी। इसमें लक्ष्य के सापेक्ष जनवरी 2018 तक 401 बस्तियों में सुविधा पहुँचा दी गई है, शेष 121 बस्तियों को संतृप्त किये जाने की कार्रवाई गतिमान है। 1334 ग्रामीण पेयजल योजनाओं के जीर्णोद्धार एवं सुदृढ़ीकरण के लक्ष्य के सापेक्ष 1273 योजनाओं के जीर्णोद्धार एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य जनवरी 2018 तक पूरा कर लिया गया है और शेष योजनाओं पर काम चल रहा है। नगरीय पेयजल के अन्तर्गत 35 योजनाओं के सापेक्ष जनवरी 2018 तक 25 नगरीय पेयजल योजनाएँ और चार जलोत्सारण योजनाएँ पूरी कर ली गई हैं।
विश्व बैंक, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच लगभग 975 करोड़ की योजना का अनुबन्ध हो चुका है और डीपीआर बनाई जा रही है। सभी नगरीय क्षेत्रों को सीवरेज से जोड़ने आच्छादित किये जाने के प्रयासों के अन्तर्गत हरिद्वार, ऋषिकेश, तपोवन, मसूरी एवं देहरादून में जलोत्सारण सुविधा के पूर्ण आच्छादन हेतु लगभग 840.00 करोड़ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया, जिस पर जर्मनी की वित्तीय संस्था केएफडब्ल्यू से हरिद्वार, ऋषिकेश और तपोवन के लिये वित्त पोषण की सहमति बन गई है।
सिंचाई विभाग के लिये प्रावधान
1. सिंचाई विभाग के अन्तर्गत सौंग बाँध परियोजना के लिये 40 करोड़ की व्यवस्था।
2. नैनीताल झील के पुनर्जीवीकरण के लिये पाँच करोड़ की व्यवस्था
3. हरिद्वार और उत्तरकाशी में फ्लोड जोनिंग के लिये दो करोड़ की व्यवस्था
4. केन्द्र से 1 हजार करोड़ की बाह्य सहायतित परियोजनाओं पर शीघ्र स्वीकृति सम्भावित
नये जलाशयों का होगा निर्माण
सिंचाई विभाग प्रदेश में नये जलाशयों का निर्माण कर पेयजल की समस्या का समाधान करेगा। नाबार्ड की योजना के अन्तर्गत प्रदेश में सूर्यधार, कोलीढेक और थरकोट में जलाशयों के निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इससे जल संरक्षण और भूमिगत जलस्तर को नीचे जाने से रोकने में मदद मिलेगी। इस बात का उल्लेख प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बजट भाषण में किया। उन्होंने जलागम, सिंचाई, लघु सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिये बजट में 520.29 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि कोसी नदी पर बैराज के निर्माण से अल्मोड़ा शहर में पेयजल सम्बन्धी समस्या का समाधान हो चुका है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गैरसैंण में झील का निर्माण किया जा रहा है। नैनीताल झील के साथ-साथ प्रदेश की अन्य नदियों और झीलों का पुनर्जीवीकरण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जलागम विभाग के अन्तर्गत ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-समेकित जलागम प्रबन्ध कार्यक्रम’ के अन्तर्गत 1511 ग्राम पंचायतों के 2992 राजस्व गाँव लाभान्वित हो रहे हैं। इसके साथ ही विश्व बैंक वित्त पोषित उत्तराखंड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना-2 (ग्राम्या-2) के अन्तर्गत 1055 राजस्व गाँव लाभान्वित हो रहे हैं।
गाँव का विकास, बजट में खास
भराड़ीसैण। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देकर पलायन रोकने के लिये सरकार ने बजट में गाँव के विकास पर फोकस किया है। प्रदेश के 1374 गाँवों को 1000 दिन के भीतर गरीबी मुक्त करने का लक्ष्य है। ग्राम्य विकास के लिये 2293 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया। ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के लिये सघन विकास खण्ड रणनीति बनाई जायेगी। इसके लिया आगामी वित्तीय वर्ष में 106 करोड़ रुपये का बजट लक्ष्य रखा गया। पलायन की समस्या के समाधान के लिये सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये अवसर प्रदान करेगी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आगामी आठ से 10 वर्षों में महिलाओं को आजीविका बढ़ाने की दिशा में सरकार काम करेगी। 2020 तक हर गाँव को सड़कों से जोड़ने के लिये सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के कार्यों में तेजी लाने को 30 करोड़ बजट का प्रावधान किया। शहरी क्षेत्रों से सटे गाँवों में हर प्रकार की सुविधाएँ देने के लिये श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन योजना में चयनित किया जायेगा। इसके लिये 20 करोड़ प्रस्तावित है। अन्त्योदय मिशन के माध्यम से राज्य के 1374 गाँवों को 2019 तक गरीबी मुक्त घोषित किया जायेगा।
पहाड़ से मैदान, किसान से मजदूर तक का बजट : सीएम
“मुझे खुशी है कि वित्तमंत्री ने एक ऐसा ऐतिहासिक और समावेशी बजट पेश किया है, जिसमें पहाड़ से मैदान तक, किसान से मजदूर तक, पर्यटन से पलायन रोकने तक सभी मुद्दों और तबकों का ध्यान रखा गया है। युवाओं को रोजगार देने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति हम गम्भीर हैं, इसका स्पष्ट रोडमैप भी बजट में दिखता है।” विधानसभा में पेश बजट पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि पहली बार राज्य के इतिहास में आम जनता की राय और सुझावों को लेकर बजट बनाया गया है। बजट के लिये लोगों की राय लेने के मकसद से ‘आपका बजट’ कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसके लिये उत्तरकाशी के गंगनानी में किसानों से लेकर पिथौरागढ़ में महिलाओं से सैकड़ों सुझाव मिले। देहरादून में छात्रों ने सुझाव दिये तो पंतनगर में उद्यमियों की राय जानी गई। सोशल मीडिया और ईमेल के जरिये भी बजट पर लोगों की राय माँगी गई थी। सीएम ने कहा कि जनता ने हमें 2000 से ज्यादा सुझाव बजट बनाने के लिये दिये। इन सुझावों में से अधिकतर सुझावों को बजट में शामिल किया गया है और जो सुझाव शामिल नहीं हो सके उन पर भविष्य में काम किया जायेगा। उन्होंने एक स्वस्थ समावेशी बजट पेश करने के लिये वित्तमंत्री को बधाई भी दी। साथ ही यह भरोसा भी दिलाया कि सरकार बजट में जो भी संकल्प लेकर चल रही है, उसको जमीन पर उतारने का भरसक प्रयास किया जायेगा। बजट के माध्यम से सरकार ने आउटकम बेस्ड परफॉर्मेंस को बढ़ावा दिया है।
आशा कार्यकरमियों/ए.एन.एम. के लिये दुर्घटना बीमा योजना, सरकारी सार्वजनिक भवनों को दिव्यांगों के लिये सुगम बनाने, कामकाजी महिलाओं के लिये क्रेच योजना को मजबूत करना, जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने, कलस्टर आधारित खेती को बढ़ावा देने, हार्टी टूरिज्म जैसी कई योजनाएँ इस बजट में शामिल की गई हैं, जो जनभावना के अनुरूप हैं और राज्य के समग्र विकास में बड़ा योगदान देंगी। बजट के केन्द्र में खेती, किसान, उद्यान, जैविक कृषि, जड़ी-बूटी, कृषि, होम-स्टे जैसे क्षेत्रों को स्थान दिया गया है जो प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये मील का पत्थर साबित होंगी। बजट में राजकीय विद्यालयों में बुक बैंक, जनपदों में आईसीयू/ट्रॉमा/ब्लड बैंक की स्थापना का प्रावधान स्वागत योग्य है। जनता की भावनाओं के अनुरूप गैरसैंण में प्रथम बार आयोजित पूर्ण बजट सत्र का यह बजट एक नये प्रगतिशील, समृद्ध उत्तराखंड का मार्ग प्रशस्त करेगा।
700 करोड़ की बागवानी विकास परियोजना दो सत्रों में पूरी होगी
विश्व बैंक सहायतित 700 करोड़ की एकीकृत बागवानी विकास परियोजना को प्रदेश में दो चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। औद्यानिकी फसलों पर पोस्ट हार्वेस्टिंग को कम करने के लिये सरकार कोल्ड चेन योजना को बढ़ावा देगी। इससे किसानों को मार्केटिंग सुविधा के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नर्सरी स्थापना, फल-सब्जी, मसाला, पुष्प उत्पादन के क्षेत्र बढ़ाकर संरक्षित खेती के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा। उद्यान विभाग के चयनित उद्यानों को सरकार हार्टि टूरिज्म के रूप में विकसित करेगी। पहले चरण में पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान चौबटिया व राजकीय उद्यान धनोल्टी को प्रस्ताव तैयार किया गया।
सगंध पौधों की खेती
सगंध पौधों की सफल खेती के लिये आगामी वित्त में कलस्टर आधारित सगंध खेती का बजट में प्रावधान किया गया। इससे किसानों की आय बढ़ने के साथ भूमि क्षरण, प्राकृतिक जलस्रोत रिचार्ज होंगे। 800 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध खेती कर 3000 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। पौड़ी के पीड़ा गाँव में सगंध फार्मिंग का मॉडल एरोमा कलस्टर शुरू किया गया।
खेती-किसानी के लिये अन्य प्रावधान
1. मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल होंगे व्यावसायिक फसलें
2. हार्टि टूरिज्म के रूप में विकसित होंगे औद्यानिक उद्यान
3. 800 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध खेती कर 3000 किसानों को जोड़ने का लक्ष्य
4. प्रत्येक विकासखण्ड में आईएमए विलेज नाम से विकसित होगा आदर्श गाँव
5. 3.16 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को खेती-बाड़ी के अधीन लाने का लक्ष्य
6. आधुनिक कृषि के लिये 300 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित होंगे।
7. गंगा गाय महिला डेरी योजना में 2000 महिला दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा लाभ
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