जीवन में जल की उपयोगिता हम सभी को पता है। इंसान के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्य, जिनपर उनका स्वास्थ्य और जीवन निर्भर करता है, में खाना बनाने, पीने और स्वच्छता शामिल हैं। इन कार्यो के लिए जल अति महत्वपूर्ण है। इंसान के जीवन में ही नहीं बल्कि धरती पर भी जल का कोई विकल्प नहीं है। यदि विकल्प मिल भी गया तो हमें पीने के लिए पानी की ही जरूरत पड़ेगी, लेकिन जैसे जैसे जल संकट गहराता जा रहा है, स्वच्छता के लिए तो दूर, लोगों को पीने के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। इनमें दुनिया के दो बिलियन लोग ऐसे हैं, जो मजबूरन गंदे पानी का ही उपयोग कर रहे हैं।
दुनिया में कई इलाके ऐसे भी हैं जहां पानी तो है, लेकिन पाइपलाइन नहीं है। ऐसे में उन्हें विभिन्न स्रोतों से पानी लेने के लिए घर से दूर जाना पड़ता है। ये दूरी कई बार इतनी लंबी होती है कि आधे घंटे के ज्यादा वक्त लग जाता है। ऐसे में घर व परिवार की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ही रहती है। वैसे तो पुरुष प्रधान दुनिया में महिलाओं को हमेशा दूसरे नंबर पर रखा जाता है, लेकिन कई देश ऐसे हैं, जहां घर के काम का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं पर सौंप दिया जाता है। इसमें घर के सभी काम, बच्चों की देखभाल से लेकर पानी लाना भी शामिल है, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि दूर दराज के इलाको से पानी लाना महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बना जाएगा। साथ ही इससे न केवल उनका जीवन बूरी तरह प्रभावित होता है, बल्कि लड़कियों की पढ़ाई तक छूट जाती है। ऐसा दुनिया के अन्य देशों में तो हो ही रहा है, साथ ही भारत में भी बड़े पैमाने पर होता है।
इससे इतर यदि भारत में जल संकट को देखा जाए तो अतिदोहन और अनियमित विकास का नतीजा ही जल संकट है, लेकिन वर्षाजल संग्रहण न करके और अधिक पेड़ों का कटान कर हमने इसे और ज्यादा बढ़ा दिया है। इसमें जलवायु परिवर्तन के चलते बदलता मानसून काफी परेशानी खड़ा कर रहा है, जिससे जल संकट भी गहरा रहा है। क्योंकि अब बारिश के पैटर्न में बदलाव आने लगा है। उदाहरण के तौर पर इस बार जून और जुलाई की बारिश गोविंद सागर बांध के लिए नाकाफी साबित हुई है। इस बारिश से बांध में एक इंच भी पानी की बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। वर्तमान में 80 फिट के आसपास बांध में पानी है। इससे शहरवासियों की ही प्यास बुझ सकती है। ऐसे में किसानों के लिए आगामी महीनों में सिंचाई का संकट खड़ा हो सकता है।
शहर के एक किनारे पर शहजाद नदी पर गोविंद सागर बांध बना हुआ है, जो काफी पुराना है। इसमें संपूर्ण जलाशय का स्तर 94 फीट रहता है। 15 अगस्त तक बांध में जल का अधिकतम स्तर 92 फीट रखा जाता है, लेकिन मौजूदा समय में 80 फीट के आसपास ही है। इससे बांध में जल के कम स्तर को आंका जा सकता है। बांध से फसलों की सिंचाई के लिए पानी की निकासी की जाती है। इसे ध्यान में रखकर दाईं व बाईं नहर बनाई गई है, जो शहर के बीच से होकर निकलती है। पिछले साल के मुकाबले अब तक काफी कम बारिश हुई है, इससे बांध के जलस्तर में सुधार नहीं हुआ है।
अगस्त में ही बारिश होने की उम्मीद
वर्ष 2018 में जुलाई तक तहसील ललितपुर में 368 मिमी, महरौनी में 282 और तालबेहट में 410 मिमी बारिश हो चुकी थी। वर्ष 2019 में जुलाई माह तक तहसील ललितपुर में 400 मिमी, महरौनी में 139, तालबेहट में 196 मिमी बारिश हो चुकी थी। इस तरह औसतन बारिश 244.95 मिमी हुई थी। आमतौर लोगों में मान्यता है कि सावन के महीने में अच्छी बारिश होती है, लेकिन इस महीने में कम बारिश हुई है। इससे किसानों को फसल की सिंचाई की चिंता सताने लगी है और अब वे आसमान की निहारने लगे हैं। हालांकि, शहरवासियों के लिए फिलहाल पीने के पानी की समस्या आने वाली नहीं है। बांध में पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्धता बनी हुई है। जुलाई का महीना पूरा निकल गया है, अब अगस्त में ही पानी बरसने की उम्मीद है। इस बार अभी तक 175 मिलीमीटर के आसपास ही बारिश हुई है।
अधिशासी अभियंता मनमोहन सिंह का कहना है कि गोविंद सागर बांध में पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। बांध में अभी तक बारिश का पानी नहीं पहुंचा है। यदि यही हाल रहा तो किसानों के सामने आगे सिंचाई का संकट उत्पन्न हो सकता है। बांध में अभी इतना पानी है कि साल भर के लिए पीने के पानी के लिए कोई समस्या नहीं आएगी।
दूसरी तरफ, पश्चिमी राजस्थान के मरुसागर जवाई बांध में पानी की मात्रा लगातार कम हो रही है। जवाई में 1125 एमसीएफटी ही पानी शेष बचा है। यहां श्रावण पूरा सूखा ही गुजर गया है। ऐसे में जलदाय विभाग ने जिले में पानी की मात्रा दस प्रतिशत घटा दी है। पहले जवाई बांध से रोजाना 8 एमसीएफटी पानी लिया जा रहा था। वहीं, अब 7 एमसीएफटी पानी ही लिया जा रहा है। इन परिस्थितियों में अब यदि मेघ नहीं बरसे तो यह मात्रा 10 अगस्त तक या उसके बाद और घटाई जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो अभी एकांतरे की जा रही जलापूर्ति को 72 घंटे के अंतराल से करना शुरू किया जाएगा। ऐसे में जवाई बांध पर निर्भर जिले के 563 गांव और 9 शहरों के सामने जल संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि बांध में 1125 एमसीएफटी पानी में से जो 594 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है, वो डेड स्टोरेज का है। इसे पंपिंग करके निकाला जा सकता है। इस पानी से दो महीने यानि सितंबर तक गुजारा चलाया जा सकता है। लेकिन यदि बारशि नहीं हुई या अपर्याप्त हुई तो बड़ा जल संकट खड़ा हो सकता है।
पाली जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र पुरोहित का कहना है कि जवाई के पानी को लेकर किए गए रिव्यू के आधार पर ही दस प्रतिशत पानी कम किया है। अब रिव्यू अगस्त में किया जाएगा। इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि पानी कितना और घटाना है।
/articles/baina-baaraisa-kaaisae-baujhaegai-yahaan-kae-laogaon-kai-payaasa