बिलासपुर में नरेगा का उत्कृष्ट क्रियान्वयन

बिलासपुर| बिलासपुर जिले को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के वर्ष 2007-2008 में उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए दिल्ली में सम्मान प्राप्त हुआ| इस दौरान योजना के तहत कार्यो की स्वीकृति एवं वित्तीय स्थिति में जिला पूरे देश में अव्वल रहा|

जिले में नरेगा के तहत जल संरक्षण कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। वर्ष 07-08 में 474 किमी. नहरों का गहरीकरण, मरम्मतीकरण और लाइनिंग कार्य किया गया| फलस्वरूप पांच हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई| संपूर्ण जिले में 231 स्टाप डेम निर्माण से तीन हजार हेक्टैयर में खेती के लिए पानी मिले| इन क्षेत्रों का जल स्तर बढ़ने से पेयजल की विशेषकर गर्मी के दिनों में होने वाली समस्या से छुटकारा मिल गया है| राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के संचालन में जिले में कई क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां रहीं| महिलाएं विशेष कर विधवा परित्यक्ता एवं असहाय महिलाओं को प्राथमिकता से रोजगार उपलब्ध कराए गए| सिंचाई के साधन बढ़ाने के लिए कुआं निर्माण पर बल दिया गया| जिसके परिणामस्वरूप 1,150 कुएं निर्मित किए गए| पहाड़ी एवं दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में जल के एक मात्र स्त्रोत झिरिया का विकास किया गया| योजना के तहत वृक्षारोपण के लिए राष्ट्रीय समविकास योजना के हितग्राहियों द्वारा निर्मित वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया गया| वृक्षारोपण के लिए बड़े पैमाने पर सीमेण्ट पोल का उपयोग किया गया जो एस.जी.एस.वाई के स्वसहायता समूहों द्वारा निर्मित किए गए थे| इस प्रकार स्वसहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्रियों को बाजार मिला| नरेगा के तहत मत्स्य पालन के लिए 291 तालाबों का निर्माण किया गया| जिले के 49 सड़क जो बरसात के दिनों में पहुंचविहीन हो जाते थे, उनको बारह मासी सड़क के रूप में परिवर्तित किया गया| नवाअंजोर योजना के तहत एवं अन्य योजनाओं के तहत स्वसहायता समूहों को रोड रोलर उपलब्ध कराए गए| जिनका उपयोग नरेगा के तहत चल रहे कार्यो में किया गया|

तात्कालिक कलेक्टर सुबोध सिंह एवं वर्तमान कलेक्टर सोनमणि बोरा के मार्गदर्शन में वर्ष 2008-2009 के जनवरी माह तक बिलासपुर में 3,22,262 परिवारों के 9,60,912 व्यक्तियों का पंजीयन योजना के तहत किया गया तथा 3,22,248 जाब कार्ड जारी किए गए| पंजीकृत परिवारों में से 1,17, 717 परिवारों के 2,54,843 लोगों ने रोजगार की मांग की| गत माह तक 1,16, 555 परिवारों के 2,49,126 लोगों को 36,56 ,115 मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध कराया गया| योजना क्रियान्वयन के लिए वित्त आबंटन प्राप्त करने में जिले की स्थिति अव्वल रही| गत वर्ष जिले को केन्द्र से 23163.47 लाख और राज्य सरकार से 1740.38 लाख रूपए आबंटित किए गए| अन्य प्राप्तियों सहित कुल 25773.94 लाख उपलब्ध रहे जिसमें से माह दिसंबर 2008 तक 15339.06 लाख रूपए व्यय किए गए|

इस दौरान योजना के तहत 3234.15 लाख की लागत से जल संरक्षण एवं संवर्धन के 588 कार्य स्वीकृत किए गए| इसी तरह सूखा उन्मुलन हेतु 667 कार्य के लिए 5590.70 लाख, सूक्ष्म सिंचाई के 646 कार्य हेतु 9780.29 लाख, अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारों के भूमि पर सिंचाई हेतु पांच कार्यो के लिए एक लाख, पारंम्परिक जल स्त्रोतों की मरम्मत के 1,620 कायों हेतु 6495 लाख, भूमि विकास के 2107 कार्य हेतु 922.75 लाख, बाढ़ नियंत्रण और सूखा संबंधी 3 कार्यो हेतु 8.40 लाख, ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित 1815 कार्यों हेतु 11851.65 लाख, इस प्रकार कुल 745 कार्यों के लिए 37883.94 लाख स्वीकृत किए गए| वर्ष 08-09 में जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 115 कार्यों के लिए 1109.67 लाख, सूखा उन्मुलन हेतु 184 कार्यों के लिए 1631.13 लाख, सिंचाई कार्यों हेतु 107 कार्यों के लिए 872.87 लाख अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवारों के भूमि पर सिंचाई उपलब्ध कराने के 752 कार्यों के लिए 755.76 लाख, पारम्परिक जल स्त्रोतों के मरम्मत के 288 कार्यों हेतु 1839.13 लाख, भूमि विकास के 1868 कार्यों के लिए 1070.29 लाख और बाढ़ नियंत्रण और सूखा उन्मूलन के 936 कार्यो के लिए 10466.935 लाख, इस तरह कुल 4256 कार्यों के लिए 17840.525 लाख रुपए स्वीकृत किए गए|

योजना के बेहतर क्रियान्वयन से ग्रामीण परिवारों का जीवन स्तर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुआ है| ग्रामीण परिवारों का जीवन स्तर सूचकांक वर्ष 2002-04 में 67.1 था जो वर्ष 2007-08 में बढ़कर 85.8 हो गया| ग्रामीणों की बेहतर आवास एवं स्वच्छता संबंधी जरूरतें पूरी हुई तथा ग्रामीणों की क्रय शक्ति में वृध्दि हो गई है| साभार स्रोत- सीएनयू
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