बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 का उद्घाटन

bihar aapda jokhim nunikaran training
bihar aapda jokhim nunikaran training

वज्रपात की पूर्व जानकारी की तकनीक जल्द लाएँ, खर्च मुख्यमंत्री राहत कोष उठाएगा:- मुख्यमंत्री

बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित होता है। यहाँ वर्षा कम हो फिर भी राज्य से जुड़े अन्य क्षेत्रों में हो रही वर्षा से बिहार प्रभावित होता है। अगर नेपाल में भारी वर्षा हुई तो नेपाल से निकलने वाली नदियों के पानी में उफान आएगा। अगर मध्य प्रदेश एवं झारखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति बन जाएगी। अगर उत्तराखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो गंगा के पानी में उफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि हमें बाढ़ और सुखाड़ दोनोें से लड़ने के लिये हर वर्ष तैयार रहना पड़ता है।

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज पटना के अधिवेशन भवन में बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में मैं आप सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ। उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण का कार्य 2015 में हुए जापान के सेंडई काॅन्फ्रेंस के बाद प्रारम्भ हुआ।

इस काॅन्फ्रेंस के बाद बिहार में भी काॅन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसके पश्चात डिजास्टर मैनेजमेंट का रोडमैप तैयार किया गया, जिसे बिहार सरकार ने स्वीकृति दी। उन्होंने कहा कि रोडमैप पर आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठक में भी विस्तृत चर्चा की गई तथा सभी विभागों के लिये कार्ययोजना बनाई गई तथा उनके कर्तव्य निर्धारित किये गए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा को कोई रोक नहीं सकता है। आपदा से जान-माल का नुकसान होता है। यह नुकसान कम-से-कम हो, हमारा यही लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हमें यह लक्ष्य बनाना चाहिए कि हम कैसे आपदा के प्रभाव को कम कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार बहु आपदा से प्रभावित राज्य है। बिहार में विचित्र स्थिति है। बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित होता है। यहाँ वर्षा कम हो फिर भी राज्य से जुड़े अन्य क्षेत्रों में हो रही वर्षा से बिहार प्रभावित होता है। अगर नेपाल में भारी वर्षा हुई तो नेपाल से निकलने वाली नदियों के पानी में उफान आएगा। अगर मध्य प्रदेश एवं झारखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति बन जाएगी। अगर उत्तराखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो गंगा के पानी में उफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि हमें बाढ़ और सुखाड़ दोनोें से लड़ने के लिये हर वर्ष तैयार रहना पड़ता है। हम हर स्थिति का मुकाबला करने के लिये तैयार हैं, इसके लिये लोगों तथा अधिकारियों को तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों को तत्काल सहायता देने के कार्य की शुरुआत की गई।

कोसी त्रासदी के एक वर्ष पूर्व 2007 में बिहार में बड़ी बाढ़ आई। बाढ़ से 22 जिले तथा 2.5 करोड लोग प्रभावित हुए थे। लोगों को राहत पहुँचाया गया, आपदा प्रबन्धन का कार्य किया गया। राहत कार्य के दौरान कई चीजें सामने आईं। जैसे पहले कहा जाता था कि हमारे यहाँ छोटे एवं सीमान्त किसान 86 प्रतिशत हैं परन्तु राहत वितरण के दौरान पता चला कि उनकी संख्या लगभग 96 प्रतिशत है। उसी समय यह तय किया गया कि सब चीजों के लिये मापदण्ड बनाएँगे। किस स्थिति में क्या करना है, इसके लियेे एसओपी बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र स्तर पर गुजरात के भूकम्प हादसा तथा ओड़िशा में आये साइक्लोन के बाद आपदा प्रबन्धन के विषय में चर्चा होने लगी कि सिर्फ राहत कार्य से काम नहीं चलेगा। कोसी त्रासदी का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में कोसी त्रासदी हुई थी। 18 अगस्त को नेपाल में कोसी नदी पर बना बाँध टूट गया था। उस वक्त हम नेपाल जाकर पूरे चीज को देखना चाहते थे परन्तु इसकी इजाजत नहीं मिली। 20 अगस्त को हमने स्टेट हेलिकाॅप्टर से कोसी नदी को देखा। उन्होंने कहा कि कोसी नदी में गाद काफी जमा हो गया था, जिस कारण कोसी नदी का बेस काफी ऊपर उठ गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद 15 दिनों तक निरन्तर मेहनत हुआ, लोगों को राहत पहुँचाई गई।

पहली बार इतने बड़े स्तर पर राहत शिविर बनाया गया। हम स्पाॅट पर जाकर लोगों से बात करते थे, उनकी शिकायत भी सुनते थे। राहत शिविरों में लोगों के लिये कपड़ा, बर्तन, महिला एवं पुरुषों के लिये अलग-अलग शौचालय आदि की व्यवस्था की गई थी। हमने खुद एक-एक चीज को देखा था, हम सभी राहत शिविरों में गए थे। उन्होंने कहा कि यही आधार बना हमारे एसओपी का। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोसी त्रासदी के दौरान हमने देखा कि लोगों को राहत पहुँचाने का दावा करने वाले लोग लोगों के बीच पुराना कपड़ा राहत शिविरों में बाँट रहे थे। हमने उसी वक्त यह मना कर दिया।

सरकारी राहत शिविरों में बाहर का आदमी आकर कुछ नहीं बाँट सकता है क्योंकि इन शिविरों में जो भी जरूरत हो, हम सब पूरा कर रहे थे। इस पृष्ठभूमि में एसओपी बनाया गया। वज्रपात के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण अगर मृत्यु होती है तो 24 घंटे के अन्दर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपए की राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि वज्रपात का पहले पता नहीं चल सकता है। हमने इस सन्दर्भ में जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया तो पता चला कि आन्ध्र प्रदेश में इस तरह का काम हो रहा है।

वज्रपात के तीस मिनट पूर्व उससे सम्बन्धित जानकारी मिल जाती है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इस तकनीक को बिहार में लाइए और उसे लागू कीजिए। अगर वज्रपात से पूर्व उसकी जानकारी मिल जाती है तो उस क्षेत्र के लोगों को सचेत किया जा सकता है। तकनीक को बिहार लाने में जो भी पैसा लगेगा, वह मुख्यमंत्री राहत कोष से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गत वर्षों में बिहार में वज्रपात की घटनाएँ बढ़ गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल के बच्चों को भूकम्प एवं आग जैसी चीजों के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है। आपदा की स्थिति में कैसे बचाव किया जाय, इसकी उन्हें जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ठीक से हमारे स्कूली बच्चों को प्र​शिक्षित कर दिया जाय तो वे जुड़े अन्य लोगों को भी इसके बारे में बताएँगे। उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ 2.5 करोड़ स्कूली बच्चे हैं। अगर उन्हें प्र​शिक्षित कर दिया जाता है तो कितना बड़ा काम होगा।

आपदा के प्रभाव में कितनी कमी आएगी। अगलगी के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष अप्रैल माह में बिहार में अगलगी की अभूतपूर्व घटनाएँ घटीं। जब इस सन्दर्भ में जानकारी ली गई तो पता चला कि ज्यादातर अगलगी की घटनाएँ 11 बजे पूर्वाह्न से 4 बजे अपराह्न के बीच होती है, जिसका मुख्य कारण खाना बनाना था। लोगों के लिये इस सन्दर्भ में सरकार द्वारा एक एडवाइजरी जारी किया गया। उन्होंने कहा कि हमारा उतरदायित्व आम लोगों के प्रति है।

हम हमेशा उनकी सुविधा एवं बेहतरी के लिये काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण ऐसी चीज है, जिसका आभास सभी लोगों के मन में होना चाहिए। हो रहे सड़क हादसे के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्बन्ध में ब्लैक स्पाॅट का सर्वे कराया जा रहा है। नाव हादसे के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रायः देखा जाता है कि नाव पर ज्यादा संख्या में लोग सवार हो जाते हैं। लोगों के साथ-साथ जानवरों को भी नाव पर लाद दिया जाता है। सूर्य ढलने के बाद भी नाव का परिचालन होता है।

लोगों को इसके बारे में समझाना होगा, नावों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। सूर्य ढलने के बाद नावों का परिचालन नहीं होना चाहिए। लोगों को सजग करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजास्टर रोडमैप के क्रियान्वयन में जन-जन को शामिल करना होगा। हर क्षेत्र में कोई-न-कोई आपदा का खतरा है, खतरों के बारे में सोच विकसित करने, उसका नुकसान कम-से-कम हो, इन सबको ध्यान में रखते हुए 15 साल के लिये आपदा रोडमैप बनाया गया है।

उसी के वर्षगाँठ के अवसर पर आज इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मैंने शुरू में ही कहा था कि राज्य के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार होता है। हमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। इसमें कोताही नहीं बरतिए, नहीं तो अन्तरआत्मा को कष्ट होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में देश-विदेश के विशेषज्ञ आये हैं। विशेषज्ञों के बीच सार्थक चर्चा होगी, उसके अच्छे नतीजे निकलेंगे।

बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 के अवसर पर मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबन्धन के पारम्परिक ज्ञान पर लिखित पुस्तक ‘धरोहर’ का विमोचन किया तथा सम्बल एप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पतंगोत्सव के दिन घटित भीषण नाव दुर्घटना में उत्कृष्ट बचाव कार्य करने के लिये राजेन्द्र सहनी, आषुतोष कुमार, संदीप सहनी, सोनू सहनी, जामुन सहनी, पंकज कुमार को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर आपदा प्रबन्धन विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री को पौधा भेंट किया गया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह को आपदा प्रबन्धन मंत्री श्री चन्द्रशेखर, बिहार राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री व्यासजी, बिहार राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के सदस्य डाॅ. उदय कान्त मिश्रा, प्रबन्ध निदेशक आईसीआईएमओडी डाॅ. डेविड मोल्डेन, बिहार प्रमुख यूनिसेफ श्री एम. असादुर्रहमान, मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की वैलेरी विमो ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त श्री शिशिर सिन्हा, प्रधान सचिव आपदा प्रबन्धन श्री प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीश चन्द्रा, विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव/सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी, समारोह में देश-विदेश से आये विशेषज्ञ एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Path Alias

/articles/baihaara-raajaya-apadaa-jaokhaima-nayauunaikarana-manca-2017-kaa-udaghaatana

×