कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क लगाने और भौतिक दूरी का पालन करने के अलावा एक और अहम सुझाव दिया गया है कि बार-बार साबून से हाथ की सफाई करनी चाहिए। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का तो पालन लोग फिर भी कर लें, लेकिन हाथ धोने की बात देश के ज्यादातर इलाकों के लिए व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इन इलाकों में पीने के पानी की घोर किल्लत है, फिर हाथ धोने के लिए पानी कहां से मिले।
बिहार भी उन राज्यों में शामिल है, जहां पानी की किल्लत है। लेकिन, भूगर्भ जलस्तर को लेकर सरकार की ताज़ा रिपोर्ट राहत देने वाली है। बिहार के करीब दो दर्जन जिलों में भूगर्भ जलस्तर में इस साल आशातीत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार में पानी की किल्लत इस बार नहीं होगी।
बिहार के जन स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार 23 जिलों में न्यूतनम पांच इंच व अधिकतम 11 फीट तक जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। जहानाबाद, गया, कैमूर जैसे जिले जहां गर्मियों में पानी की घोर किल्लत होती है, वहां इस साल जलस्तर में 9 से 17 फीट तक का इजाफा हुआ है। इसके अलावा समस्तीपुर, पटना, रोहतास, नवादा, नालंदा आदि जिलों में भी भूगर्भ जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
गया बिहार के उन जिलों में शुमार है जहां गर्मी में पानी की भारी किल्लत हो जाती है। पानी को लेकर यहां मारपीट भी हो जाया करती है, लेकिन मई की रिपोर्ट बताती है कि यहां भूगर्भ जलस्तर में 17.63 फीट की बढ़ोतरी हुई है। पिछले मई में गया में 43.14 फीट नीचे पानी मिलता था, लेकिन इस साल मई में 25.51 फीट पर पानी उपलब्ध है। रिपोर्ट की मानें, तो पिछले नौ वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि मई महीने में भूगर्भ जलस्तर 25.51 फीट पर आ गया है।
माना जा रहा है कि बिहार सरकार के जल-जीवन-हरियाली मिशन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजनाओं के चलते भूगर्भ जलस्तर में इजाफा हुआ है। जल-जीवन-हरियाली मिशन बिहार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसपर सरकार 24 हजार 524 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। ये योजना 2022 तक पूरी हो जाएगी। इस योजना के अंतर्गत जल संरक्षण, जलस्रोतों का पुनर्जीवन और हरियाली का दायरा बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। जन स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री विनोद नारायण झा के मुताबिक, जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत बहुत सारे कुओं, तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया, जिस कारण वाटर टेबल में सुधार हुआ।
पिछले माहों में ‘जल-जीवन हरियाली मिशन’ के अंतर्गत मुजफ्फरपुर में 26 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया जबकि 250 कुओं को पुनर्जीवन दिया गया और 30 जून तक और 135 कुओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
जन स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की योजनाओं के अलावा दूसरी अहम बात ये भी है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बारिश भी अधिक हुई है।’
गौरतलब हो कि पिछले साल मई और जून के महीने में भीषण गर्मी पड़ी थी। गर्मी का आलम ये था कि बिहार सरकार को राज्यभर में निषेधाज्ञा जारी करनी पड़ी थी। भीषण गर्मी के कारण लगभग डेढ़ सौ लोगों की जान चली गई थी। कई जिलों को सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित कर दिया था। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। अप्रैल में औसतन 15-35 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस साल 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई। मई में भी सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
जल संरक्षण को लेकर बिहार सरकार गंभीर भी है और इसके लिए एक कानून लाने पर विचार कर रही है। इस कानून के तहत भूगर्भ जल की बर्बादी को लेकर कड़े प्रावधान किए जाएंगे। लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसको लेकर कई दौर की बैठक हो चुकी है। इस कानून में भूजल की बर्बादी करने पर कठोर कार्रवाई व सजा का प्रावधान होगा। यही नहीं, इस कानून के अंतर्गत आम लोगों को ट्यूबवेल लगाने के लिए सरकार से इजाज़त लेनी होगी।
यहां ये भी बता दें कि बिहार के जन स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में कुल 10240 ट्यूबवेल हैं जिनमें से 5026 ट्यूबवेल का इस्तेमाल फिलहाल किया जा रहा है और बाकी निष्क्रिय हैं।
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