बिहार में बाढ़ के बढ़ते कहर के बीच लोगों को कटाव का डर भी सताने लगा है। नदियों का जलस्तर बढ़ने और पानी की रफ्तार से जगह-जगह कटाव हो रहा है, जिससे वर्षों से रह रही आबादी विस्थापित होने को विवश है।
भागलपुर जिले के पीरपैंती के रानीदियारा में भी लोग डर के साये में जी रहे हैं। रानीदियारा के टपुआ में करीब 700 परिवार विस्थापित होने के कगार पर है क्योंकि गंगा नदी से कटाव तेज हो गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दो पक्के मकान और दो कच्चे घर अब तक गंगा में समा चुके हैं। बीते दो दिन से गंगा में पानी का बहाव कुछ मद्धम था, तो लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब फिर एक बार पानी का बहाव तेज हो गया और इसके जलस्तर में भी इजाफा हुआ है।
16 अगस्त की शाम जल संसाधन विभाग की तरफ से जारी बुलेटिन के मुताबिक, भागलपुर के भागलपुर और कहलगांव गॉज स्टेशन में गंगा नदी का जलस्तर 32.65 मीटर और 30.98 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान के बिल्कुल करीब है।
स्थानीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सौरभ ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “यहां की 7 पंचायत गंगा के डूब क्षेत्र आती है। इनमें करीब 1 लाख आबादी रहती है।”
ऐसा नहीं है कि गंगा का कटाव एक दो साल पहले शुरू हुआ है। स्थानीय लोगों की मानें, तो वर्ष 2011 से लगातार कटाव हो रहा है और बनी बनाई दुनिया एक झटके में पानी के हवाले हो जा रही है। 80 प्रतिशत परिवारों का खेत तो कब का गंगा में समा चुका है।
स्थानीय निवासी मनोहर मंडल ने इंडिया वाटर पोर्टल से कहा,
“कटाव के कारण लोग तबाही के कगार पर पहुंच गए हैं। रात में लोग इस डर से जगे रहते हैं कि कहीं गंगा का तेज बहाव उनके मकान ने बहा ले जाए। कटाव से लोगों को बचाने में बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों फेल है।"
सुनील सौरभ ने कहा, “हमलोग कटाव रोकने के लिए कई सालों से सरकार से कह रहे थे वह कोई योजना लाए। इस साल सरकार ने कटाव रोकने के लिए सरकार ने बालू से भरी 80 हजार बोरियां डालीं, लेकिन वे बोरियां पानी में बह गई हैं। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।”
बताया जाता है कि बिहार सरकार ने बालू पर 700 करोड़ रुपए खर्च किए थे। सुनील सौरभ कहते हैं, “अगर सरकार ने बोल्डर डाला होता, तो ये कटाव रुक सकता था, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। केवल बालू के बोरे डाल दिए जो मिट्टी के साथ कटकर पानी में चला गया। ”
भागलपुर के पीरपैंती की तरह कटिहार में भी गंगा से जबरदस्त कटाव हो रहा है। कटिहार के मनिहारी में पिछले डेढ़-दो महीनों में 500 से ज्यादा घर जमींदोज हो गए हैं।
कटिहार जिले में गंगा के कटाव को लेकर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विक्टर झा ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “यहां कटाव बाढ़ के समय ही होता है क्योंकि इस सीजन में गंगा के पानी में रफ्तार ज्यादा होती है और जलस्तर भी बढ़ा हुआ होता है। हर साल इलाके के कम से कम 1000 घर गंगा की भेंट जाते हैं। अभी कटाव हो रहा है, लेकिन सितंबर में कटाव के साथ बाढ़ की विभीषिका भी बढ़ जाएगी।”
गंगा के कटाव का असर बिहार के चार जिलों में ही होता है। इनमें भागलपुर, कटिहार, खगड़िया और बेगूसराय शामिल हैं।
81.44 लाख लोगों के लिए 10 राहत शिविर!
बाढ़ से अब तक 81.44 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं। इनमें से केवल दरभंगा में 20.61 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं जबकि मुजफ्फरपुर में 18.98 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। वहीं, मृतकों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है।
81.44 लाख लोगों के बाढ़ से प्रभावित होने के बावजूद केवल 10 राहत शिविर संचालित हो रहे हैं और वो भी महज दो जिलों में जबकि बाढ का पानी 16 जिलों में फैला हुआ है। आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, समस्तीपुर जिले में 9 राहत शिविर संचालित हो रहे हैं और खगड़िया में एक राहत शिविर चल रहा है। लेकिन, सामुदायिक किचेन ज्यादा चल रहे हैं। प्रभावित 16 जिलों में 723 सामुदायिक किचेन चल रहा है जिनमें अब तक 5,85,048 लोगों को खाना खिलाया जा चुका है।
दरभंगा जिले के एक अधिकारी ने कहा कि बहुत इलाकों से बाढ़ का पानी निकल गया है, इसलिए वहां राहत शिविर बनाने की जरूरत नहीं पड़ी है और कई इलाकों में बहुत काम पानी है, तो लोग घरों में रुके हुए हैं। उनके लिए कम्युनिटी किचेन में खाना बन रहा है।
गोपालगंज का बरौली बाढ़ से प्रभावित ब्लॉकों में से एक है। ब्लॉक के सीओ से जब बात की गई, तो उन्होंने 87 कम्युनिटी किचेन होने की बात की, लेकिन राहत शिविरों के सवाल पर उन्होंने फोन काट दिया।
सांसद को बनना पड़ा कोपभाजन
लोगों को बाढ़ से राहत पहुंचाने के तमाम दावों के बीच हर तरफ से शिकायत मिल रही है कि लोगों तक राहत पहुंच नहीं रही है। इंडिया वाटर पोर्टल ने भी पिछली रिपोर्टों में इसका जिक्र किया था।
पिछले दिनों भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल बाढ़ के हालात का जायदा लेने गए थे, तो उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वे अपने समर्थकों के साथ सीवान के एक राहत शिविर में गए थे, जहां न केवल लोगों ने सांसद के सामने प्रदर्शन किया, बल्कि वहां उनके समर्थक और स्थानीय लोगों ने मामलू झड़प भी हो गई।
हालांकि, सांसद ने कहा था कि वह राहत शिविर में अनियमितता का जायजा लेने गए थे, तभी मुखिया और उनके समर्थकों ने हमला किया। हालांकि मुखिया ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। मामले को संगीन होता देख पुलिस ने हस्तक्षेप किया।
एफसीआई गोदाम में रखा अनाज बर्बाद
पूर्वी चम्पारण के केसरिया में स्थित फूड कॉरपोरेशन के एक गोदाम में बाढ़ का पानी घुस जानने से सैकड़ों क्विंटल अनाज बर्बाद हो गया। एक अधिकारी के मुताबिक, करीब 300 क्विंटल अनाज बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गया है, लेकिन कुछ मीडिया रपटों में 6000 क्विंटल अनाज के खराब होने का अनुमान लगाया गया है।
बताया जाता है कि गंडक का तटबंध टूटने से गोदाम में पानी भर गया था, जिससे अनाज खराब हो गया। गोदाम में पानी घुसने की खबर पर डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने गोदाम का दौरा किया और इस मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, इसी गोदाम से चावल जन वितरण प्रणाली में जाता है और लोगों को सस्ता राशन मिलता है। बाढ़ के पानी से अनाज खराब हो जाने से लोगों में चिंता है कि अब उन्हें राशन मिलने में देर हो सकती है।
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