बिहार बाढ़: ’15 दिन पहले ढाई किलो चूड़ा दिया, उसी पर जिंदा हैं’

दरभंगा में टूटे तटबंध की मरम्मत में जुटे स्थानीय लोग
दरभंगा में टूटे तटबंध की मरम्मत में जुटे स्थानीय लोग

दो हफ्ते पहले किशनगंज से होकर बहने वाली कनकई नदी ने दर्जनों परिवारों को बेघर कर दिया। लोग अब जहां-तहां प्लास्टिक का शेड डालकर रह रहे हैं। सरकार की तरफ से उनकी कोई खोज-खबर नहीं ली गई है। 

मोहम्मदीन भी उनमें से एक हैं। उन्होंने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“मेरा 20 सदस्यों का परिवार है, जिनमें महिलाएं भी हैं। हमलोग 10 साल से वहां रह रहे थे। तीन हफ्ते से पास में ही पॉलीथिन का शेड डालकर रह रहे हैं।”

पॉलीथिन के शेड में रहने की दिक्कतों के बारे में पूछने पर कहते हैं,

“दिक्कत तो हो रही है, लेकिन यहां नहीं रहेंगे, तो इस बाढ़ में कहां जाएंगे?। आसपास के लोग खाने पीने का सामान देते हैं, तो उससे घर किसी तरह चल रहा है। सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है हमें।”

सरकारी मदद के नाम पर इन्हें दो हफ्ते पहले ढाई किलोग्राम चूड़ा, एक किलो चना और आधा किलो चीनी मिला था। 20 सदस्यों के परिवार में ढाई किलो चूड़ा कितने दिन चलेगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। 

मोहम्मदीन की सरकार से मांग है कि वह घर की व्यवस्था करे। वह कहते हैं,

“हम चाहते हैं कि सरकार हमें कम से कम घर बनाने के लिए जमीन दे दे, ताकि सिर को एक स्थाई छत मिल जाए।”

मोहम्मदीन किशनगंज के बहादुरगंज ब्लॉक के सतमेढ़ी गांव में रहते हैं। इस गांव के 40 घर नदी में समा चुके हैं और जो घर बच गए, उनमें घुटना भर पानी भरा हुआ है। लोग माल-असबाब लेकर सूखे स्थानों और रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। 

स्थानीय जन प्रतिनिधि शाहबीर आलम ने कहा कि घर ध्वस्त होने के बाद वह प्रशासन के पास गए थे, तो प्रशासन ने सर्वे किया और मदद के नाम पर एक पॉलीथिन, चूड़ा, चना और चीनी दे दिया। इसके बाद से प्रशासन की तरफ से कोई भी इनकी हालत देखने नहीं आया। 

उन्होंने कहा, “यहां रहने वाले ज्यादातर लोग गरीब हैं। घर टूटने के बाद कुछ परिवारों ने दूसरों के घर के दालान पर शरण ले रखी है, तो कुछ लोग खुले में ही पॉलीथिन डालकर रह रहे हैं। दूसरी तरफ से भी कटाव जारी है, जिससे जल्द ही उस तरफ से घर भी नदी की चपेट में आ जाएंगे।”

56.63 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित, 13 की मौत

 मुज़फ़्फ़रपुर के एक गांव में बाढ़ के पानी में डूबा ट्यूबवेल। फ़ोटो: उमेश कुमार राय मुज़फ़्फ़रपुर के एक गांव में बाढ़ के पानी में डूबा ट्यूबवेल। फ़ोटो: उमेश कुमार राय

बिहार में बाढ़ के हालात दिनोंदिन भयावह हो रहे हैं। बाढ़ से बचाव के सरकार के लाख दावों के बीच हजारों लोग बाढ़ की चपेट में आकर अपना घर-बार गंवा चुके हैं। बाढ़ पर निगरानी रख रहे आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “अब तक बाढ़ से 56,53,704 लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं और अब बाढ़ का फैलाव 14 जिलों में हो चुका है। बाढ़ के पानी में डूबने से दरभंगा में 7, मुजफ्फरपुर में 2 और पश्चिमी चम्पारण में 4 लोगों की मौत हो चुकी है।”

आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ का सबसे ज्यादा असर दरभंगा में हुआ है। यहां के 15 ब्लॉक की 199 पंचायत के 18 लाख 61 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इसके बाद मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा असर हुआ है। यहां 13 ब्लॉक की 213 पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे 12.98 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। 

लेकिन, सोचने वाली बात ये है कि बाढ़ से प्रभावित 56.53 लाख लोगों में से अभी तक महज 4,18,490 लोगों को ही सुरक्षित निकाला जा सका है। बाकी लोग या तो बाढ़ के बीच रहने को विवश हैं या अपने बूते सड़क किनारे व बांध पर पॉलीथिन डालकर पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं। सोचने की बात ये भी है कि 14 जिलों में बाढ़ का असर होने के बावजूद महज 4 जिलों गोपालगंज, खगड़िया, पूर्वी चम्पारण और समस्तीपुर में ही राहत शिविर बनाए गए हैं। चारों जिलों को मिलाकर कुल 19 राहत शिविर तैयार किए गए हैं, जिनमें महज 17,554 लोग रह रहे हैं। 

आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि प्रभावितों में से बहुत सारे लोग घरों से निकलना नहीं चाहते हैं जबकि काफी लोग ऐसे भी हैं, जिनके घर से पानी उतर गया है और वे अपने घर लौट गए हैं। इसलिए राहत शिविरों की संख्या कम है, लेकिन प्रभावित जिलों में 1358 सामुदायिक किचन संचालित हो रहे हैं, जहां रोजाना 943293 लोगों को भोजन कराया जा रहा है। 

दरभंगा जिले के एक अधिकारी ने कहा,

“अधवारा समूह और कमला बालान नदी के कारण जिले में बाढ़ आई है। जिले में नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की दो टीम और स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) की एक टीम तैनात है, जो हालात पर पैनी नजर रखे हुए है।”

नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर

इधर, एक दर्जन से ज्यादा गॉज स्टेशनों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे बाढ़ के और भी जगहों पर फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गंडक नदी गोपालगंज के डुमरियाघाट गॉज स्टेशन पर खतरे के निशान से 1.12 मीटर ऊपर बह रही है और जलस्तर ज्यों का त्यों बना हुआ है। 

वहीं, बूढ़ी गंडक पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और खगड़िया के गॉज स्टेशनों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। समस्तीपुर के रोसड़ा गॉज स्टेशन में तो ये नदी खतरे के निशान से लगभग 4 मीटर ऊपर बह रही है। इसी तरह बागमती/अधवाड़ा नदी सीतामढ़ी के दो गॉज स्टेशन और दरभंगा के तीन गॉज स्टेशनों  खतरे के निशान के ऊपर है। कमला नदी मधुबनी के तीन गॉज स्टेशनों जयनगर, झंझारपुर रेलपुल और झंझारपुर में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। कोसी नदी खगड़िया के बालतारा और कटिहार के कुरसेला में खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। कोसी की तरह ही महानंदा नदी भी पूर्णिया और कटिहार में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

इस बीच बांध में रिसाव व तटबंध का टूटना भी जारी है। पिछले दिनों दरभंगा जिले में बांध टूट गया, जिससे आसपास के गांवों में दहशत फैल गया। जिले के केवटी प्रखंड में दो हफ्ते में सात जगहों पर बांध टूट गए। स्थानीय लोगों के मुताबिक, 19 जुलाई को गोपालपुर, 24 जुलाई को माधोपट्टी और 31 जुलाई को करजापट्टी में तटबंध टूट गया। स्थानीय लोगों ने इसमें सक्रियता दिखाई और प्रशासन को इसकी जानकारी दी। 

पूर्वी चम्पारण में तटबंध की मरम्मत करते आपदा प्रबंधन विभाग और जल संसाधन विभाग के कर्मचारी। फोटो: ट्विटरपूर्वी चम्पारण में तटबंध की मरम्मत करते आपदा प्रबंधन विभाग और जल संसाधन विभाग के कर्मचारी। फोटो: ट्विटर

करजापट्टी के मुखिया किशोर कुमार झा ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “31 जुलाई की देर रात 11 बजे के आसपास बांध टूटने की खबर हमलोगों तक पहंची। खबर मिलते ही गांव के लोग वहां पहुंचे और खुद प्रयास बांध की मरम्मत की कोशिश की। हमलोगों ने प्रशासन को भी खबर दी, जिसके बाद प्रशासन पहुंचा और बांध की मरम्मत की।” उन्होंने बताया कि बांध टूटने से कई घरों में पानी घुस गया है। 

गंडक नदी में तेज बारिश के कारण गोपालगंज और पूर्वी चम्पारण में भी तटबंध टूट गए, जिसकी मरम्मत कर दी गई है। समस्तीपुर जिले के सिरिसिया-सिरनिया तटबंध भी पानी के दबाव के चलते क्षतिग्रस्त हो गया था। समस्तीपुर के अधिकारियों ने बताया कि टूटे स्थान पर तटबंध की मरम्मत कर दी गई है। 

उधर, सोमवार को मुजफ्फरपुर में तीन जगहों पर बागमती का तटबंध टूट गया। जिले के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने तटबंध में टूट की जांच करने का आदेश दिया है। उनका कहना है कि तटबंध पर निगरानी बढ़ा दी गई है और जान बूझकर तटबंध को क्षतिग्रस्त करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए जांच के आदेश दिए गए हैं। 

 

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मूल आलेख हिंदी में उमेश कुमार राय 

हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद स्वाति बंसल

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