बिधि का लिखा न होवै आन। बिना तुला ना फूटै धान।।
सुख सुखराती देवउठान। तेकरे बरहे करौ नेमान।।
तेकरे बरहे खेत खरिहान। तेकरे बरहे कोठिलै धान।।
भावार्थ- जब तुला राशि पर सूर्य आता है तभी धान में बालें लगती हैं, यह विधाता का लेख अमिट है। सुख की रात दीवाली और देवोत्थानी एकादशी बीत जाने पर उसके बारहवें दिन नया अन्न ग्रहण करना चाहिए, ठीक उसके बारहवें दिन धान को काट कर खलिहान में रख देना चाहिए एवं उसके बारहवें दिन धान का कोठिला में भरकर रख देना चाहिए।
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