बेतवा नदी मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत शृंखला से समुद्र तल से 576 मीटर की ऊँचाई से रायसेन जिले (भोपाल के दक्षिण-पश्चिम में बरखारेस गाँव के पास से) से निकलती है। बेतवा नदी उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी से मिलती है। वर्षा पर निर्भर इस नदी में बरसात के मौसम में अत्यधिक प्रवाह एवं गर्मी के मौसम में बहुत कम प्रवाह होता है। नदी की कुल लम्बाई 590 किमी है। बेतवा नदी घाटी उत्तरी अक्षांश के 22 डिग्री 51 मिनट व 26 डिग्री 0 मिनट एवं पूर्वी देशान्तर के 77 डिग्री 10 मिनट एवं 80 डिग्री 20 मिनट पर स्थित है।
बेतवा नदी घाटी के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सागर, टीकमगढ़, छतरपुर (सभी मध्य प्रदेश के) ललितपुर, झाँसी, जालौन, हमीरपुर एवं महोबा जिले (सभी उत्तर प्रदेश के) आते हैं। बेतवा नदीघाटी का जलग्रहण क्षेत्र 43895 वर्ग किमी है जिसमें से 30217 वर्ग किमी मध्य प्रदेश में एवं 13678 वर्ग किमी उत्तर प्रदेश में है। सहायक नदियों के अन्तर्गत घुरारी, गैरो, गरूखा, धसान (उपनदी-उर, सुखानी, सपरार, रोहिणी), लखेरी, चैनिच, परवाहा, जामिनी (संजाम, सहजाद), बीना बियरमा (अर्जुन) प्रमुख हैं।
धसान नदी- बेतवा की सहायक यह नदी ललितपुर जिले के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से को छूती है एवं बगल के जिले टीमकगढ़ में प्रवेश करने से पूर्व 38 किमी बहती है।
एक छोटी सी दरिया रोहिणी, जो कि धसान की उपनदी है, जिले के दक्षिण-पश्चिम कोने में महरोनी तहसील के उत्तर-पूर्व दिशा से गुजरती है। रोहिणी में सिंचाई के लिये एक बाँध बना हुआ है।
जामिनी नदी- यह बेतवा की एक महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है, जो मदनपुर गाँव के पास के जंगल से ललितपुर जिले में प्रवेश करती है एवं उत्तरी दिशा में 45 किमी बहते हुए दाहिने छोर पर महरोनी नगर से आगे निकलती है। इसके बाद यह उत्तर-पूर्व दिशा में मुड़ती है एवं 6 किमी बाद जिले की 60 किमी तक सीमा निर्धारित करती है। अन्त में जिले से बाहर निकलने से पूर्व बेतवा के बहुत करीब आती है। जामिनी में ललितपुर जिले में ही बाँध बना हुआ है।
अन्य महत्त्वपूर्ण नदियाँ- जामिनी की महत्त्वपूर्ण उपनदियाँ संजाम एवं सहजाद हैं। संजाम बेतवा से चन्दवली में मिलती है जबकि सहजाद हजारिया गाँव के पास मिलती है। इन नदियों में बरसात के समय काफी ज्यादा पानी प्रवाहित होता है जबकि अन्य मौसमों में सिकुड़कर एक छोटी धारा के रूप में परिवर्तित हो जाती है। एक महत्त्वपूर्ण नदी के तौर पर सहजाद ललितपुर शहर के बगल से गुजरती है, जिसे ललितपुर के पास ही रोककर गोविन्द सागर जलाशय बनाया गया है। संजाम पर भी इस जिले में बाँध बनाया गया है।
बेतवा नदी घाटी में कुछ मौजूदा प्रमुख परियोजनाएँ
1 | 2 | 3 | 4 | |
परियोजना | परीछा | ढुकवाँ | माताटीला | राजघाट |
पूर्णता वर्ष | 1885 | 1909 | 1964 | निर्माणाधीन |
निम्नतम नींव से ऊँचाई (मी.) | 17 | 15 | 46 | 43.8 |
जलाशय की सकल क्षमता (लाख घनमी.) | 914.10 | 1064.40 | 8276.90 | 217.20 |
उद्देश्य | सिंचाई | सिंचाई | सिंचाई ऊर्जा | सिंचाई ऊर्जा |
स्पिलवे की अधिकतम निकास क्षमता (क्यूमेक्स) | 21510 | 18451 | 23360 | 38997 |
लाभ (हजार हे.) | -- | 1.31 | 5.46 | 226 |
जलग्रहण क्षेत्र (वर्ग किमी) | -- | 20824 | 20435 | 16861 |
ऊर्जा क्षमता (मेगावाट) | -- | -- | 30.6 | 45 |
स्रोत: 1-3 के लिये सदंर्भ 2 एवं 3, संख्या 4 के लिये सन्दर्भ 4
परीछा यह झाँसी जिले के उत्तर-पूर्व दिशा में बेतवा नदी पर स्थित है। परीछा बैराज झाँसी, हमीरपुर एवं जालौन जिले में 30.2 किमी मुख्य नहर एवं 26.25 किमी वितरक नहरों द्वारा सिंचाई प्रदान करती है। इसका कृषि योग्य कमान क्षेत्र 4.3 लाख हेक्टेयर है एवं सालाना सिंचाई 2.3 लाख हेक्टेयर है।
वास्तविक सिंचाई (हे.)
| परीछा | गोविन्द सागर |
1994-95 | 279630 | 17453 |
1995-96 | 251 510 | 17 576 |
1996-97 | 238 020 | 19272 |
1997-98 | 172210 | 8466 |
1998-99 | 217720 | 16688 |
ढुकवाँ- बेतवा नदी पर बना यह बैराज बेतवा नहर की सिंचाई क्षमता को मजबूत करती है।
बेतवा की सहायक नदियों पर बाँध
क्रम | बाँध | पूर्णता वर्ष | नदी | ऊँचाई | जलग्रहण वर्ग वर्ग क्षेत्र | भण्डारण लाख घन मी. | जिला | राज्य |
1 | गाविन्द सागर | 1953 | सहजाद | 18.29 | 368 | 968 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
2 | सहजाद | 1992 | सहजाद | 18.00 | 514 | 1300 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
3 | संजाम | 1990 | संजाम | 18.78 | 290 | 835 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
4 | जामिनी | 1973 | जामिनी | 19.18 | 414 | 928.90 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
5 | रोहिणी | 1984 | रोहिणी | 15.50 | 44 | 12.12 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
6 | बरवासागर | 1968 | बरवा | -- | -- | 102 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
7 | लाचुरा | 1910 | धसान | 17 | अनु | 359.60 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
8 | पहारी | 1912 | धसान | 16 | अनु | 793.40 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
9 | सपरार | 1956 | सपरार (उपनदी -सुखानी धसान) | 21 | 363.52 | 759.30 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
10 | सिआओरी झील | 1911 | लेखेरी धसान उपनदी | 14 | -- | 78.2 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
11 | अर्जुन | 1957 | अर्जुन | 24 | 10.77 | 638 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
12 | केवलरी | 1965 | केवलरी | 11.73 | अनु | 76.7 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
13 | कबराई | 1955 | मगरिया व कुलहामी | 15.25 | अनु | 132.20 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
14 | लखेरी | 1988 | लखेरी | 10.6 | अनु | 156 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
15 | मौदाहा | अनु | बियरमा | 22 | अनु | 2000 | हमीरपुर | उत्तर प्रदेश |
16 | उतारी | नि. | उतारी/संजाम | अनु | 80 | 116.60 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
17 | भौनरत | नि. | जामिनी | अनु | 749.5 | 314.40 | ललितपुर | उत्तर प्रदेश |
18 | लाचुरा बैराज | 1910 | धसान | 14.94 | अनु | 105.60 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
19 | मझगवाँ | 1917 | गुंची नाला | 17.07 | अनु | 268 | महोबा | उत्तर प्रदेश |
20 | पहारी बैराज | 1912 | धसान | 16.46 | अनु | 478 | झाँसी | उत्तर प्रदेश |
संकेत: अनु - अनुपलब्ध, नि – निर्माणाधीन
माताटीला- यह बाँध ललितपुर जिले में स्थित है लेकिन यह ललितपुर जिले को सिंचाई की सुविधा नहीं प्रदान करती। बाँध का निर्माण 1957 में सिंचाई के लिये हुआ था। 10.2 मेगावाट की तीन इकाइयों वाली माताटीला पावर हाउस का 1965 में निर्माण मौजूदा बाँध में हुआ था। माताटीला बाँध 163.60 लाख घन मी, पेयजल उपलब्ध कराती है। झाँसी, जालौन, हमीरपुर, (सभी उत्तर प्रदेश) एवं ग्वालियर लाभ प्राप्त करने वाले जिले हैं। इस परियोजना की वजह से कुल 14243 हेक्टेयर जमीन डूब में आई है एवं सरकारी आँकड़ों के अनुसार 7500 लोग विस्थापित हुए थे। माताटीला बाँध में गाद जमाव दर अनुमान से तीन गुना ज्यादा है जो कि 13200 घन मी. प्रतिवर्ग किमी प्रति वर्ष से 44000 घन मी. प्रतिवर्ग किमी प्रति वर्ष है। अत्यधिक गादजमाव से बाँध की क्षमता काफी घट गई है एवं उम्र कम हो गई है साथ ही नहर प्रणाली में पानी का प्रवाह धीमा हो गया है। बाँध से 50 किमी अपस्ट्रीम में राजघाट बाँध के बनने के कारण माताटीला बाँध को राजघाट से छोड़े जाने वाले 38997 घन मी. प्रति सेकेंड के अतिरिक्त उच्च बाढ़ प्रवाह को आगे बढ़ाना होगा।
सालाना बिजली उत्पादन
वर्ष | उत्पादन (लाख यूनिट) |
1996-97 | 1311.72 |
1997-98 | 1579.97 |
1998-99 | 1328.05 |
1999-00 | 1609.09 |
2000-01 | 1380.83 |
2001-02 | 1402.03 |
राजघाट-
यह बाँध मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है जो बेतवा नदी पर ललितपुर से 22 किमी. की दूरी पर निर्मित है। इस बाँध के लिये यांत्रिकी सर्वेक्षण 1960 में हुआ था एवं पहली परियोजना रिपोर्ट 1970 में प्रस्तुत की गई थी एवं दूसरी परियोजना रिपोर्ट 1972 में प्रस्तुत की गई थी, लेकिन दोनों राज्यों के बीच विवाद के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ पाई। अन्ततः 9 दिसम्बर 1973 को केन्द्रीय सिंचाई मंत्री के सानिध्य में व दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं सम्बन्धित मंत्रियों की सदस्यता में एक त्रिपक्षीय बेतवा नदी बोर्ड की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, परियोजना पूरी होने पर उत्तर प्रदेश के 109052 हेक्टेयर (जिले -ललितपुर, झाँसी, जालौन, हमीरपुर) जमीन की सिंचाई एवं मध्य प्रदेश के 116592 हेक्टेयर (गुना, शिवपुरी, दतिया, टीकमगढ़, ग्वालियर एवं भिंड) जमीन की सिंचाई हो सकेगी। जल वितरण व्यवस्था निर्माणाधीन है। बिजलीघर की स्थापित क्षमता 45 मेगावाट है। लागत एवं लाभ में दोनों राज्यों की बराबर हिस्सेदारी होगी। इसके डाउनस्ट्रीम में माताटीला बाँध, ढुकवाँ बाँध एवं परीछा बैराज मौजूदा परियोजनाएँ हैं। इस तरह राजघाट बाँध परियोजना उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सिंचाई के लिये बेतवा नदी के डाउनस्ट्रीम में मुख्य भण्डारक के तौर पर कार्य करेगा। इस परियोजना से डूब में आने वाला कुछ क्षेत्र 23390 हेक्टेयर है, जिसमें 990 हेक्टेयर वनभूमि है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस परियोजना से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के 75 गाँवों के 19000 लोग पूर्ण या आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। इससे सकल भण्डारण 21720 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण 19450 लाख घन मी. का जलाशय बनना है। यदि राजघाट बाँध क्षेत्र के सिर्फ 5% को ही महत्त्वपूर्ण माने तो उसके जलग्रहण क्षेत्र के विकास की कम-से-कम लागत करीब रुपए 4.81 करोड़ होगी। प्रभावी भूमि संरक्षण उपायों की लागत रुपए 14.4 करोड़ होगी जो कि परियोजना के लिये 1973 में अनुमानित लागत रुपए 1.23 अरब का 11.7% है।
राजघाट जलाशय निर्माण की लागत (अनुमानित रुपए 1.23 अरब) के अलावा नहर की सिंचाई व्यवस्था की अतिरिक्त लागत रुपए 48.5 करोड़ होगी (1973 कीमत पर)। राजघाट बाँध के डूब क्षेत्र में 0.5 हेक्टेयर से 19 हेक्टेयर तक के आकार वाले 39 पानी के ढाँचे डूब जाएँगे जिनका कुल क्षेत्र करीब 136 हेक्टेयर है। राजघाट बाँध से 23 मन्दिर एवं पंचम नगर महल डूब में आ जाएँगे।
इससे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई का दावा किया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश (ललितपुर, झाँसी, जालौन, एवं हमीरपुर जिले) में 1.09 लाख हेक्टेयर के लिये लागत रुपए 2.25 अरब एवं मध्य प्रदेश में 1.17 लाख हेक्टेयर मध्य प्रदेश (गुना, शिवपुरी, दतिया, टीकमगढ़ ग्वालियर एवं भिंड) के लिये रुपए 78.28 करोड़ आँकी गई है। परियोजना के पूरा होने पर बाँध का रख-रखाव एवं जलाशय का नियंत्रण बेतवा नदी बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जबकि राजघाट पनबिजली परियोजना का संचालन एवं रख-रखाव मध्य प्रदेश विद्युत परिषद द्वारा किया जाना है।
राजघाट बाँध की अनुमानित लागत खर्च मार्च 1995 के कीमत स्तर पर 2.67 अरब एवं जनवरी 2000 के कीमत स्तर पर रुपए 3.01 अरब है। मार्च 1997 के कीमत स्तर पर बिजली घर की लागत रुपए 1.31 अरब है। उत्तर प्रदेश के 49 गाँवों में से 9 गाँवों में जमीन अधिग्रहण पूरा होने को है। बिजलीघर का सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं यांत्रिकी कार्य सहित सभी तीनों इकाइयों का परीक्षण व समायोजन दिसम्बर 1999 में हो चुका है, एवं परीक्षण अवधि में 280 लाख यूनिट बिजली पैदा हुई थी। राजघाट परियोजना के समझौते (1972) के अनुसार बाँध स्थल पर बेतवा में मौजूद पानी की मात्रा 330.38 करोड़ घन मी. थी। उत्तर प्रदेश द्वारा 1983 के अध्ययन के अनुसार, जलग्रहण क्षेत्र के आकलन में अन्तर पाया गया एवं बाँध स्थल पर मौजूद पानी का आकलन 352.59 करोड़ घन मी. किया गया। राजघाट के डाउनस्ट्रीम में माताटीला बाँध में जल भण्डारण को पूरा करने के लिये उत्तर प्रदेश ने 22.21 करोड़ घन मी. अतिरिक्त पानी की माँग की है। जलग्रहण क्षेत्र के पुनर्निर्धारण के कारण मध्य प्रदेश ने बेतवा नदी बोर्ड से पानी के पुनर्वितरण हेतु आग्रह किया था। जब यह मुद्दा बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर हुआ तो इसे केन्द्रीय क्षेत्रीय बोर्ड के पास भेजा गया।
गोविन्द सागर बाँध- बेतवा नदीघाटी में जामिनी की एक उपनदी सहजाद पर यह बाँध बना हुआ है। 1953 में तैयार हुए इस बाँध का जलग्रहण क्षेत्र 368 वर्ग किमी है। गोविन्द सागर बाँध 66.43 किमी मुख्य नहर एवं 123.57 किमी वितरक नहरों द्वारा यह बाँध सालाना 10830 हेक्टेयर सींचती है। यह 22.6 लाख घनमी. पेयजल आपूर्ति करती है एवं इसकी सजीव भण्डारण क्षमता 800 लाख घन मी. है।
सहजाद बाँध- यह बाँध ललितपुर शहर से ठीक ऊपर बेतवा नदी घाटी में सहजाद की एक सहायक नदी जामिनी पर बना हुआ है। 1992 में बनकर तैयार हुए सहजाद बाँध से 43.75 किमी मुख्य नहर एवं 56.10 किमी सहायक नहर द्वारा 16002 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। यह 17 लाख घनमी. पेयजल प्रदान करती है। इस बाँध का जलग्रहण क्षेत्र 514 वर्ग किमी एवं सजीव भण्डारण क्षमता 960 लाख घनमी. है।
संजाम बाँध- संजाम बाँध ललितपुर जिले में 37.5 किमी मुख्य एवं 48.05 किमी वितरक नहरों द्वारा 7145 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई प्रदान करती है। यह 14.2 लाख घनमी. पेयजल प्रदान करती है। 1990 में बनकर तैयार हुए इस बाँध का जलग्रहण क्षेत्र 290 वर्ग किमी एवं संजीव भण्डारण क्षमता 750 लाख घन मी. है।
जामिनी बाँध- 1973 में बनकर तैयार हुए जामिनी बाँध के 67.40 किमी मुख्य नहर एवं 177.91 किमी वितरक नहरों द्वारा 55144 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई होती है। यह 14.2 लाख घन मी. पेयजल प्रदान करती है। इस बाँध की सालाना सिंचाई क्षमता 13699 हेक्टेयर है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 414 वर्ग किमी. एवं संजीव भण्डारण क्षमता 840 लाख घन मी. है। जामिनी बेतवा की सहायक नदी है।
वास्तविक सिंचाई (उत्तर प्रदेश) (हेक्टेयर)
संजाम | जामिनी | सहजाद | लाचुरा | |
1994-95 | 12951 | 32710 | 9455 | 47856 |
1995-96 | 13136 | 32757 | 10043 | 41186 |
1996-97 | 13162 | 33333 | 10223 | 40821 |
1997-98 | 3158 | 3150 | 6635 | 31978 |
1998-99 | 13656 | 32786 | 8457 | 35971 |
रोहिणी बाँध- धसान की सहायक नदी रोहिणी पर ललितपुर जिले में स्थित यह बाँध 1984 में तैयार हुआ था। रोहिणी बाँध ललितपुर जिले के 3302 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र को 8.64 किमी मुख्य नहर एवं 11.22 किमी वितरक नहरों द्वारा सिंचाई प्रदान करती है। यह 7.1 लाख घनमी. पेयजल प्रदान करती है। इस बाँध का जलग्रहण क्षेत्र 44 वर्ग किमी है एवं सकल भण्डारण क्षमता 121.2 लाख घन मी. है।
बरुआसागर- बरुआसागर झाँसी से 15 किमी पूर्व में स्थित है जिसे 1.21 किमी लम्बे तटबन्ध से बाँधा गया है। यह चन्देला काल में बनकर तैयार हुआ था। इसकी क्षमता 103.32 लाख घनमी. करने के लिये 18वीं सदी में ओरछा शासक द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया एवं नहर सन 1862 के लगभग बनकर तैयार हुआ था।
सिआओरी झील- मौरानीपुर के 8 किमी उत्तर-पश्चिम में सिआओरी गाँव में लखेरी नदी पर स्थित इस झील को 1906 में सुधार किया गया था एवं सिंचाई के लिये खोला गया। यह कमलासागर से भी पानी प्राप्त करती है, जो इसकी सिंचाई क्षमता में वृद्धि करती है।
लाचुरा बैराज महोबा जिले में धसान नदी पर हरपालपुर स्टेशन के 11 किमी उत्तर दिशा में स्थित यह बैराज 1906 से 1910 के दौरान बनकर तैयार हुआ था। इस बाँध के दोनों तरफ कंक्रीट का बैराज एवं मिट्टी का बाँध बना हुआ है। यह 32 किमी मुख्य नहर एवं 599.63 किमी वितरक नहरों के माध्यम से हमीरपुर एवं महोबा जिले के 97790 हेक्टयेर कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई करती है। 14.94 मी. ऊँचे इस बाँध की सकल एवं सजीव भण्डारण क्षमता 105.6 लाख घन मी. है।
सपरार बाँध- यह जलाशय कमलासागर के नाम से भी जाना जाता है। प्रथम पंचवर्षीय योजना के दौरान बने इस बाँध में 3.9 किमी लम्बा मिट्टी का ढाँचा है। यह जलाशय रानीपुर नहरों के माध्यम से झाँसी जिले में सिंचाई प्रदान करती है एवं सिआओरी झील की क्षमता में वृद्धि करती है।
पहारी बाँध- यह बाँध झाँसी में मौरानीपुर से 18 किमी पूर्व में धसान नदी पर 1909-12 में बना था। यह हमीरपुर जिले को लाचुरा बाँध के माध्यम से सींचती है। 16.46 मी. ऊँची पहारी बैराज झाँसी जिले को सींचती है। जलाशय की सकल एवं सजीव भण्डारण क्षमता क्रमशः 478 लाख घनमी. एवं 460 लाख घनमी. है।
अर्जुन बाँध- अर्जुन नदी पर सन 1957 में बनकर तैयार हुआ यह बाँध महोबा जिले के चरखारी में स्थित है। अर्जुन बाँध 42 किमी मुख्य एवं 217.3 किमी वितरक नहरों द्वारा महोबा एवं हमीरपुर जिले की 59722 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई करती है। बाँध की लम्बाई 5200 मी. एवं ऊँचाई 27.43 मी. है। बाँध की सकल एवं सजीव भण्डारण क्षमता क्रमशः 68.35 एवं 62.97 लाख घन मी. है।
मौदाहा बाँध- बेतवा की एक सहायक नदी बियरमा पर 22 मी. ऊँचा मौदाहा बाँध हमीरपुर जिले के रथ तहसील में स्थित है। इस परियोजना में 15 क्यूमेक्स क्षमता वाली 48 किमी मुख्य नहर 50 किमी लम्बी पुनर्निर्मित चन्नी एवं सुमेरपुर शाखा न हरे एवं 337.8 किमी लम्बी वितरक नहरें शामिल हैं। यह हमीरपुर एवं महोबा जिले में 24297 हेक्टेयर रबी की फसलों एवं 3937 हेक्टेयर खरीफ के फसलों को सिंचाई प्रदान करती है। यह 28 लाख घन मी. पेयजल आपूर्ति करती है। इस बाँध की सकल एवं सजीव भण्डारण क्षमता क्रमशः 2000 लाख घनमी. एवं 1790 लाख घनमी. है।
मझगवाँ बाँध- धसान की सहायक नदी गुंची नाला पर 1917 में बनकर तैयार हुआ मझगवाँ बाँध महोबा जिले में स्थित है। बाँध की अधिकतम बाढ़ निकास क्षमता 170 क्यूमेक्स है। मझगवाँ बाँध 29.1 किमी मुख्य नहर एवं 31.30 किमी वितरक नहरों के माध्यम से महोबा (उत्तर प्रदेश) एवं छतरपुर (मध्य प्रदेश) जिले के 11248 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई प्रदान करती है। बाँध की ऊँचाई 17.07 मीटर है। जलाशय की सकल भण्डारण क्षमता 268 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण क्षमता 260 लाख घन मी. है। सिंचाई योग्य कमान क्षेत्र 11248 हेक्टेयर है।
केवलरी बाँध- धसान की सहायक नदी केवलरी पर बना केवलरी बाँध उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में स्थित है। यह बाँध 28.27 किमी मुख्य नहर एवं 7.13 किमी वितरक नहरों द्वारा 14390 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र में सालाना 4100 हेक्टेयर की सिंचाई करती है। 1965 में बनकर तैयार हुए इस बाँध के जलाशय की सकल भण्डारण क्षमता 76.7 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण क्षमता 72.30 लाख घन मी. है।
कबराई बाँध- सन 1955 में बनकर तैयार हुए इस बाँध के 23.54 किमी मुख्य नहर एवं 6640 किमी वितरक नहरों से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर एवं महोबा जिले के 14960 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र में से 3760 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। यह 17.30 लाख घन मी. पेयजल प्रदान करती है। इस बाँध की सकल भण्डारण क्षमता 132.20 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण 119.40 लाख घन मी. है।
वास्तविक सिंचाई (हेक्टेयर)
अर्जुन बाँध | मझगवाँ | केवलरी | कबराई | |
1194-95 | 18264 | 7505 | 3796 | 3684 |
1995-96 | 18778 | 7297 | 4113 | 3663 |
1996-97 | 19501 | 7551 | 4044 | 4104 |
1997-98 | 8525 | 3667 | 761 | 2831 |
1998-99 | 23244 | 7513 | 1568 | 4520 |
लखेरी बाँध (निर्माणाधीन)- यह बाँध झाँसी जिले के मौरानी तहसील से 16 किमी अपस्ट्रीम में महेवा गाँव में लखेरी नदी पर यह चिरैया एवं टोला नाला के मिलान के थोड़ा ऊपर स्थित है। बाँध की अधिकतम बाढ़ निकास क्षमता 1744.07 क्यूमेक्स है। बाँध का निर्माण 1981 में प्रारम्भ हुआ था। लखेरी बाँध 9.20 किमी मुख्य नहर एवं 21 किमी वितरक नहरों द्वारा तहसील गरौथा के 13 गाँवों में फैले लखेरी एवं पथारी नदी के दोआब में 1980 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई प्रदान करेगी। बाँध की लम्बाई 4880 मी. एवं ऊँचाई 10.6 मीटर है। बाँध की स्थिर भण्डारण क्षमता 17 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण क्षमता 139 लाख घन मी. होगी।
बेतवा नदी घाटी में प्रस्तावित परियोजनाएँ
ओरछा बहुउद्देशीय परियोजना- यह मध्य प्रदेश द्वारा टीकमगढ़ जिले में बेतवा नदी पर 1978 में प्रस्तावित की गई थी। रुपए 66.82 करोड़ लागत वाली इस परियोजना से 90 मेगावाट बिजली एवं 29150 हेक्टेयर जमीन सींचना प्रस्तावित है। इसी नदी पर उत्तर प्रदेश द्वारा ढुकवाँ एवं परीछा के बीच के जलनिकास के इस्तेमाल से 75 मेगावाट स्थापित क्षमता की ढुकवाँ पनबिजली परियोजना प्रस्तावित है।
मध्य प्रदेश द्वारा प्रस्तावित परियोजना में तीन बाँध एवं दो बैराज निर्माण की आवश्यकता होगी, जबकि उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तावित ढुकवाँ परियोजना में न तो किसी बाँध की आवश्यकता होगी एवं न ही कोई डूब क्षेत्र होगा। मध्य प्रदेश की दृष्टि में, ओरछ बहुउद्देशीय परियोजना ज्यादा लाभकारी है क्योंकि इससे 15 मेगावाट ज्यादा बिजली उत्पादन होगा एवं इससे 29150 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। भोपाल में 1999 में हुई सचिव स्तर की वार्ता में दोनों परियोजनाओं के तुलनात्मक अध्ययन करने का निर्णय लिया गया था। केन्द्रीय क्षेत्रीय बोर्ड की फरवरी 2000 में हुई बैठक में लिये गए निर्णय के अनुरूप दोनों परियोजनाओं के तुलनात्मक अध्ययन से जुड़ी प्रश्नावली मध्य प्रदेश को भेजे गए हैं। मध्य प्रदेश के प्रतिक्रिया की अभी प्रतीक्षा है।
1. केन्द्र व राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश में विभिन्न लघु पनबिजली परियोजनाओं के लिये अनुमानित रुपए 23.25 करोड़ मंजूर किये हैं। बेतवा परियोजना से 200 किलोवाट एवं झाँसी में बेतवा नहर निकास बिजलीघर से 1300 किलोवाट बिजली उत्पादन अनुमानित है। पीलीभीत में घुँचाई परियोजना 800 किलोवाट उत्पादन करेगी, जबकि ललितपुर में जामिनी परियोजना से 200 किलोवाट एवं जालौन में कुथौंड परियोजना से 1400 किलोवाट बिजली उत्पादन करेगी। (बिजनेस लाइन 190403)
2. केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण ने भारत के पनबिजली परियोजनाओं के लिये वर्गीकरण किया है। उनमें से दो परियोजनाएँ ओरछा (39 मेगावाट, उत्तर प्रदेश) एवं धुरवारा (28 मेगावाट, मध्य प्रदेश) भी बेतवा नदी घाटी में प्रस्तावित हैं।
उटारी बाँध- यह बाँध ललितपुर जिले के महरोनी तहसील में सूरीकलाँ गाँव के पास संजाम नदी की एक उपनदी उटारी पर प्रस्तावित है। उटारी बाँध अपने दाईं ओर 10.8 किमी लम्बे आपूर्ति चैनल के माध्यम से 2012 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई करेगी। यह 600 हेक्टेयर खरीफ के फसलों एवं 1800 हेक्टेयर रबी के फसलों को सिंचाई प्रदान करेगी। बाँध की सकल भण्डारण क्षमता 111.6 लाख घनमी. एवं सजीव भण्डारण क्षमता 108.2 लाख घन मी. होगी।
भाउनरत बाँध- यह ललितपुर जिले के महरोनी तहसील में भैरोघाट गाँव के पास मौजूदा जामिनी बाँध के 20 किमी डाउनस्ट्रीम में जामिनी नदी पर प्रस्तावित है। भाउनरत बाँध अपने दाहिनी ओर 17.6 किमी के आपूर्ति चैनल द्वारा 7900 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करेगी। इसकी सकल भण्डारण क्षमता 314.4 लाख घन मी. एवं सजीव भण्डारण क्षमता 297.5 लाख घन मी. है। इससे 2500 हेक्टेयर खरीफ के फसलों एवं 7900 हेक्टेयर रबी के फसलों के लिये सिंचाई प्रस्तावित है।
केन-बेतवा नदीजोड़ (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
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