बेसेल संधि

1. सारांश


पृष्ठभूमि


जलपोतों के सम्पूर्ण एवं आंशिक विखण्डन के पर्यावरणीय दृष्टि से समुचित प्रबन्ध हेतु तकनीकी मार्गदर्शक सिद्धान्त को उस उद्देश्य से तैयार किया गया कि ताकि इससे उन देशों को मार्गदर्शन मिल सके जो जलपोत विखण्डन सुविधाएँ स्थापित करना चाहते हैं। ये मार्गदर्शक सिद्धान्त उन कार्यप्रणालियों, प्रक्रियाओं और कार्यविधियों के बारे में जानकारी एवं सिफारिशें देते हैं, जो पर्यावरणीय दृष्टि से उचित प्रबन्धन हेतु लागू की जानी हैं। वर्तमान समयों में जलपोत विखण्डन का कार्य मुख्य रूप से भारत, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहा है। कुछ ही अपवादों को छोड़कर अधिकांश पोतों का विखण्डन समुद्र किनारे स्थित इकाइयों में होता है। उद्योगीकृत देशों में विद्यमान सामान्य मानकों और रुढ़ियों की तुलना में जलपोतों के विखण्डन की वर्तमान पद्धतियाँ कई दृष्टियों से अनुपालन की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती हैं। इन पद्धतियों की कुछ कमियों में शामिल हैं पर्याप्त एहतियाती कदम न उठाना, अपर्याप्त प्रशिक्षण और जागरुकता और ये सब विखण्डन इकाइयों पर लागू होती हैं। इनके अलावा भी कई कमियाँ हैं। सुधार करने के उपाय लागू करने का प्रभाव मात्र जलपोत विखण्डन इकाई पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि विखण्डन के पूर्व की गतिविधियों पर और विखण्डन के दौरान प्राप्त किये गए अपशिष्ट पदार्थों के अन्तिम गंतव्य स्थान और उनके निपटारे पर भी पड़ेगा।

वर्तमान जलपोत विखण्डन पद्धतियों की खामियों से जो समस्याएँ पैदा होती हैं, उनके परिणाम मात्र पर्यावरण को ही नहीं भुगतने होते, बल्कि कर्मियों की व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

पर्यावरणीय प्रभावों को इस तरह वर्गीकृति किया जा सकता है:

1. विखण्डन के लिये आवश्यक स्थान को घेरकर और उसे विस्तार देते जाकर, विखण्डन उद्योग स्थानीय परिवेश, पर्यावरण और समाज को प्रभावित करता है। उस स्थान में पहले से रहते आ रहे समुदाय मछली पकड़ने, कृषि आदि मूलभूत उद्योगों पर आश्रित हो सकते हैं जिससे दोनों के हितों में टकराहट सम्भव है और यह एक विचारणीय मुद्दा बन सकता है।
2. समुद्र, जमीन और हवा में निकासी और उत्सर्जन से तीव्र और दीर्घकालिक प्रदूषण हो सकता है। पर्यावरण में विषाक्त पदार्थों के पहुँचने को रोकने के लिये परिसीमन (कन्टेनमेंट) का अभाव चिन्ता का एक प्रमुख विषय है।

प्रक्रियाओं में और अधिक सुधार लाने की आवश्यकता को पहचानते हुए, ताकि बढ़ती संख्या में जलपोतों के विखण्डन को ठीक तरह से प्रबन्धित किया जा सके, खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के सीमापार स्थानान्तरण पर नियंत्रण और उनके निपटारे से सम्बन्धित बेसेल संधि में शामिल पक्षों की सभा ने दिसम्बर 1999 में आयोजित अपनी पाँचवीं बैठक (सीओपी 5) में इस विषय से दो-चार होने का निर्णय लिया।

बेसेल संधि के तकनीकी कार्य दल को जलपोतों के सम्पूर्ण एवं आंशिक विखण्डन के पर्यावरणीय दृष्टि से समुचित प्रबन्ध हेतु तकनीकी मार्गदर्शक सिद्धान्त विकसित करने के कार्य का श्रीगणेश करने को कहा गया। इसके साथ ही, तकनीकी कार्य दल को जलपोत विखण्डन के लिये प्रासंगिक बेसेल संधि के अधीन आने वाले खतरनाक अपशिष्टों और पदार्थों की सूची बनाने को कहा गया।

मार्गदर्शक सिद्धान्त


यह दस्तावेज, जलपोतों के सम्पूर्ण एवं आंशिक विखण्डन के पर्यावरणीय दृष्टि से समुचित प्रबन्ध हेतु तकनीकी मार्गदर्शक सिद्धान्त (आगे इसे ‘मार्गदर्शक सिद्धान्त’ कहा गया है), को उस उद्देश्य से तैयार किया गया कि ताकि इससे उन देशों को मार्गदर्शन मिल सके जो जलपोत विखण्डन सुविधाएँ स्थापित करना चाहते हैं। ये मार्गदर्शक सिद्धान्त उन कार्यप्रणालियों, प्रक्रियाओं और कार्यविधियों के बारे में जानकारी एवं सिफारिशें देते हैं, जो पर्यावरणीय दृष्टि से उचित प्रबन्धन हेतु लागू की जानी हैं। ये मार्गदर्शक सिद्धान्त पर्यावरणीय निष्पादन के मानिटरण और सत्यापन के लिये भी परामर्श देते हैं।

बेसेल संधि के सन्दर्भ में ईएसएम को इस तरह परिभाषित किया गया है:

धारा 2, पैरा 8 के अनुसार 'खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों और अन्य पदार्थों का पर्यावरणीय दृष्टि से उचित प्रबन्ध” से तात्पर्य है 'खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों और अन्य पदार्थों का प्रबन्धन इस तरीके से करना कि वह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को इन अपशिष्ट पदार्थों के कारण होने वाले हर प्रतिकूल प्रभाव से बचाए।”

मूलभूत एहतियाती कदम न उठाने से कर्मियों की सुरक्षा दाँव पर लग जाती है। जलपोतों को डीकमिशन करने के लिये उचित मार्गदर्शक सिद्धान्त न होने के कारण जलपोतों को विखण्डन के लिये भेजने के पूर्व उन पर आवश्यक तैयारियाँ करना सम्भव नहीं होता और इसलिये जलपोत स्वयं भी खतरों से भरे पिटारे होते हैं। जोखिम कम करने या उन्हें पूर्णतः दूर करने के मूलभूत कदम भी नहीं उठाए जाते और इससे अन्ततः दुर्घटनाएँ होकर रहती हैं। कार्य प्रणालियों में परस्पर समायोजन का अभाव, सुविधाओं का अभाव और सुरक्षा नियंत्रण का अभाव, ये सब भी जोखिम के विभिन्न अंग हैं। स्वास्थ्य सम्बन्धी सबसे प्रमुख चिन्ता का विषय है हानिकारक पदार्थों के सम्पर्क में आना, स्वच्छता की अपर्याप्त सुविधाएँ, और कार्य प्रचालन का स्वरूप ही (इसमें कठोर श्रम की आवश्यकता पड़ती है और भारी-भरकम वस्तुओं को उठाना पड़ता है)। जलपोत विखण्डन इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषकों के सामान्य सम्पर्क में आना इन इकाइयों के चारों ओर रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकता है। जलपोत विखण्डन कर्मी और स्थानीय समुदाय के लोग पीसीबी, पीएएच, भारी धातुएँ और एसबेस्टोस जैसे कैंसर लाने वाले पदार्थों (कार्सिनोजेन) और अन्य हानिकारक पदार्थों के सम्पर्क में आ सकते हैं। इन पदार्थों के कारण होने वाले हानिकारक परिणाम सुपरिचित हैं। ये प्रभाव काफी गम्भीर हो सकते हैं और ये अगली पीढ़ियों को स्थानान्तरित हो सकते हैं।

ये मार्गदर्शक सिद्धान्त इस समय जलपोतों को पुनश्चक्रण इकाई में भेजने के पूर्व उनसे खतरनाक पदार्थों को जहाँ तक हो सके हटाने के उपायों पर प्रकाश नहीं डालते हैं। लेकिन, बेसेल संधि के पक्षों का यह मानना है कि जलपोतों के पुनश्चक्रण से जुड़ी समस्याओं के समाधान हेतु इस तरह अपशिष्ट पदार्थों को कम करने के लिये मार्गदर्शक सिद्धान्त गढ़ना बहुत ही आवश्यक है। आईएमओ/एमईपीसी इस मुद्दे तथा इससे सम्बन्धित अन्य मुद्दों पर काम कर रहे हैं। वे अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्रवाई की योजनाएँ विकसित कर रहे हैं।

इसके साथ ही, इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों में जलपोत पुनश्चक्रण से जुड़े व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के पहलुओं पर गहराई से चर्चा नहीं हुई है। अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने इस तरह के मार्गदर्शक सिद्धान्त तैयार करने का कार्यभार सम्भाला है। जब ये सिद्धान्त तैयार हो जाएँगे, इनका यहाँ समावेश किया जा सकता है।

बेसेल संधि के सचिवालय (एसबीसी) ने युनेप के प्रौद्योगिकी, उद्योग और अर्थशास्त्र विभाग (युनेप/डीटीआईई) से अनुरोध किया है कि वह जलपोतों के विखण्डन के पश्चात डाउनस्ट्रीम पुनश्चक्रण परिचालनों के लिये मार्गदर्शक सिद्धान्त विकसित करने के कार्य को संयुक्त रूप से हाथ में लिये जाने की सम्भावनाओं पर विचार करे।

यहाँ जिन विषयों को लिया गया है वे मात्र जलपोत विखण्डन के तकनीकी और कार्यप्रणालीय पहलुओं से सम्बन्धित हैं। यह मान लिया गया है कि खतरनाक अपशिष्ट के रूप में जलपोतों के निर्यात से जुड़े कानूनी प्रश्नों का बेसेल संधि के कानूनी कार्य दल द्वारा निरीक्षण अभी बाकी है।

इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों का अनुप्रयोग


ये मार्गदर्शक सिद्धान्त वर्तमान जलपोत विखण्डन सुविधाओं और नई सुविधाओं दोनों पर लागू होते हैं।

वर्तमान कार्यप्रणालियों का उल्लेख वर्तमान सुविधाओं में ईएसएम सिद्धान्तों को सुनियोजित तरीके से लागू किये जाने की प्रक्रिया के शुरुआती बिन्दु के रूप में किया गया है। यह प्रक्रिया वर्तमान कार्यप्रणालियों और आदर्श सुविधा में जो भेद है, उसे रेखांकित करती है। नई सुविधाओं से आशा की जाती है कि वे आदर्श सुविधा के मानकों का अनुपालन करेंगी।

नीचे दिया गया चित्र 1 पर्यावरणीय दृष्टि से उचित जलपोत विखण्डन सुविधा की व्यवस्था करने के लिये आवश्यक बातों का समग्र परिदृश्य प्रस्तुत करता है। इसके लिये जो तकनीकी और प्रचालनात्मक प्रक्रियाएँ अपनाई जानी हैं, वे जलपोत विखण्डन सुविधा के ईएसएम हेतु आवश्यक श्रेष्ठ प्रक्रियाओं की सूची (इन्वेन्टरी ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेस) बनाती हैं।

जलपोत पर तैयारियाँ


जलपोत को विखण्डन सुविधा की यात्रा में भेजने के पूर्व उस पर कुछ तैयारियाँ करना आवश्यक है।

जलपोत में विद्यमान खतरनाक/प्रदूषणकारी अपशिष्टों की सूची;
जलपोत का इन्वेन्टरी सर्वेक्षण किया जाना चाहिए जिसके दौरान जलपोत में विद्यमान खतरनाक अपशिष्टों का प्रकार, मात्रा और स्थान का लेखा-जोखा किया जाना चाहिए। कार्य के क्रम और प्रकार की योजना निश्चित करने के लिये भी जलपोत का सर्वेक्षण किया जा सकता है।

ईंधन और तेल सहित तरल पदार्थों को हटाना/साफ करना;
एसबेस्टोस, पीसीबी और टीबीटी पेंट जैसे खतरनाक पदार्थ जहाँ तक सम्भव हो, जलपोत के विखण्डन के पूर्व के जीवनकाल में ही सर्वोत्तम सुविधाओं का उपयोग करके जलपोत से हटा देने चाहिए जिसके बाद ही जलपोत को विखण्डन के लिये भेजना चाहिए, ताकि विखण्डन के दौरान कम-से-कम खतरनाक पदार्थों से सामना हो। जलपोत को काटने के पूर्व उस पर लगे रह गए सभी पदार्थों से साफ करना चाहिए। यह विखण्डन सुविधा में आने के पूर्व अथवा विखण्डन सुविधा के सफाई स्टेशन में किया जा सकता है। कार्गो टंकी, बंकर और ईंधन टंकी, बिल्ज और बलास्ट कक्ष, मल-निकासी टंकी आदि की सफाई की जानी चाहिए ताकि जलपोत विखण्डन के लिये साफ-सुथरे और सुरक्षित अवस्था में पहुँचे। यह प्रक्रिया विखण्डन के दौरान हर स्तर पर की जाएगी।

सुरक्षा की व्यवस्था:
यह सुनिश्चित करने के लिये कि कार्यप्रणालियाँ और परिचालन सुरक्षित तरीके से किये जाते हैं, जलपोत को सुरक्षित करने की प्रक्रिया आवश्यक है। इसमें दो बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए;

1) जलपोत के सभी क्षेत्रों, कक्षों, टंकियों आदि तक सुरक्षित पहुँच और सभी जगह साँस लेने लायक परिवेश का होना।
2) उष्ण कार्य के लिये सुरक्षित हालात, जिनमें शामिल हैं सफाई/वातन (वेंटिंग), काटे जाने वाले स्थानों से जहरीले और ज्वलनशील पेंटों को हटाना और किसी भी उष्ण कार्य को शुरू करने के पूर्व परीक्षण/मानिटरण करना।

उपकरणों को हटाना
उपभोग की वस्तुएँ और खुले पड़े उपकरण पहले हटाए जाते हैं।
पुनरुपयोग के लायक घटक तब हटाए जाते हैं जब उन तक पहुँचना सम्भव हो जाता है। फिश्चर, लंगर, जंजीर, इंजन के पुर्जे, नोदक आदि ऐसे घटक के उदाहरण हैं जिन्हें इस चरण में हटाया जाता है।

जलपोत विखण्डन सुविधा – आदर्श सुविधा


एक आदर्श जलपोत विखण्डन सुविधा में कुछ मूलभूत विशेषताएँ होंगी:

1. परिसीमन; जलपोतों में खतरनाक पदार्थ होते हैं और उन्हें जितना भी साफ किया जाये इन पदार्थों को पूर्णतः हटाना सम्भव नहीं है। छलकना, रिसना, छोड़ा जाना आदि होकर ही रहेंगे। इसलिये किसी भी जलपोत विखण्डन स्थल के पर्यावरणीय अभिकल्पन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि जलपोत से निकले पदार्थ विखण्डन स्थल तक सीमित रखे जा सकें और छलके या बाहर निकले पदार्थों को वहाँ से आसानी से जमा किया जा सके।
2. द्वितीय स्तर पर विखण्डन के लिये और क्रमवार विखण्डन करके घटक तत्वों को अलग करने के लिये कार्य स्थल।
3. खतरनाक और विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिये विशेष उपकरणों से सुसज्जित कार्यस्थल चाहिए और परिसीमन की भी पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
4. साधु पदार्थों और इस्पात की वस्तुओं के अस्थायी भण्डारण के लिये जगह।
5. खतरनाक अपशिष्टों के सुरक्षित भण्डारण के लिये जगह।
6. पूर्णतः संसाधित उपकरणों और पदार्थों के भण्डारण के लिये, जिनका पुनरुपयोग हो सकता है या जो पुनश्चक्रण या निपटारे के लिये तैयार हैं, जगह।
7. उचित निपटान सुविधाओं से निकटता (जिनमें स्टोकहोम संधि के विनष्टीकरण कसौटियों के अनुसार पीओपी (परसिस्टेंट ओरगैनिक पोल्यूटेन्ट्स) वस्तुओं के विनष्टीकरण की सुविधाएँ भी शामिल हैं)

ऊपर एक आदर्श जलपोत-विखण्डन स्थल का अवधारणात्मक विन्यास दर्शाया गया है। क्षेत्रों को उप खण्डों में विभाजन आदर्श सुविधा के अभिकल्पन के लिये प्रासंगिक है। पर्यावरण की दृष्टि से उचित स्थल के अभिकल्पन के लिये यह जानना जरूरी है कि किस क्षेत्र में क्या कार्य होगा और उनसे सम्बन्धित कौन से खतरों को उचित अभिकल्पन द्वारा निरस्त किया जाना है। प्रत्येक क्षेत्र में जो-जो गतिविधियाँ होंगी तथा उनसे सम्बन्धित पर्यावरणीय, स्वास्थ्य-सम्बन्धी और सुरक्षा-सम्बन्धी खतरों का ब्योरा यहाँ दिया गया है:

 

क्षेत्र

गतिविधियाँ

पर्यावरणीय खतरे

स्वास्थ्य और सुरक्षा

परिसीमन क्षेत्र

- प्रारम्भिक परिसीमन

- नीचे के स्तम्भ के जैसे

- नीचे के स्तम्भ के जैसे

क्षेत्र अ

प्राथमिक खण्ड विखण्डन स्थल

- तेल (कीचड़) और अन्य तरल पदार्थों को हटाना

- पुनरुपयोग किये जा सकनेवाले उपकरणों को खोलना

- जलपोत के बड़े भागों को काटना

- एसबेस्टोस और बैटिरियों को हटाना

- अग्नि शमन प्रणालियों को खाली करना और शीतलन प्रणालियों से सीएफसी निकाल लेना

- छलका हुआ तेल और ईंधन

- छलका हुआ बिल्ज और बलास्ट जल

- पेंट और लेप (कोटिंग)

- भारी धातुएँ

- पीसीबी

- अन्य*

- एसबेस्टोस

- वाष्प (विलायक और धातुएँ)

- कार्बन डाइऑक्साइड

- विस्फोट का जोखिम

- विकिरण

क्षेत्र आ

द्वितीय खण्ड विखण्डन स्थल

- घटकों की प्रथमिक छँटाई

- आगे परिवहन के लिये और छोटे और उपयुक्त टुकड़ों में काटना

- पेंट और लेप (कोटिंग)

- पीसीबी

- अन्य*

- एसबेस्टोस

- वाष्प

- विस्फोट का जोखिम

क्षेत्र इ

छाँटने, पूरा करने और पूरी तरह मरम्मत करने के स्थल

- पदार्थों और उपकरणों की अन्तिम छँटाई

- संयुक्त पदार्थों को अलग जमा करना

- सामग्रियों को दुबारा बेचने के लिये तैयार करना

- उपकरणों की पूर्ण मरम्मत;

- छलका हुआ तेल और ईंधन

- पीसीबी

- अन्य*

- एसबेस्टोस

- वाष्प

क्षेत्र ई

भण्डारण स्थल

- छाँटे गए, और पूरे किए गए पदार्थों की ढेरी लगाना

- छलका हुआ तेल और ईंधन

- पीसीबी

- अन्य*

- एसबेस्टोस

- विस्फोट का जोखिम

क्षेत्र उ कार्यालय भवन और आपातकालीन सुविधाएँ

- प्रशासनिक कार्य

- प्राथमिक सहायता (यदि स्थान पर ही न किया गया हो)

  

क्षेत्र ऊ

कचरा निपटारा

सुविधाएँ

- लैंडफिलिंग

- जलाना

- मलिन जल परिष्करण

-विषाक्त तरलों का रिसाव

- विषाक्त तरल

- एसबेस्टोस

* ‘अन्य’ में शामिल हैं, एनोड, विकिरण स्रोत, भारी धातुएँ, टीबीटी, बैटरियाँ, फ्रेयोन आदि।

 

पर्यावरणीय प्रबन्ध योजना


जलपोत विखण्डन सुविधा हेतु सफल ईएसएम स्थापित करने के लिये पर्यावरणीय प्रबन्ध योजना (ईएमपी) स्थापित करना आवश्यक है। इसमें शामिल है सुविधा के कारण होने वाले सम्भावित पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन जिसके लिये एक पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) किया जाता है। ईआईए सुविधा के पर्यावरणीय पहलुओं और पर्यावरणीय लक्ष्यों को पहचानने में मदद करता है और पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली (ईएमएस) के लिये वह एक मुख्य आदान (इनपुट) है।

ईएमपी एक सर्वांगीण दस्तावेज होगा जिसमें सभी व्यापक पर्यावरणीय मुद्दों पर समुचित प्रकाश डाला जाएगा:

1. सम्भावित प्रभावों का आकलन (ईआईए)
2. सम्भावित निरोधात्मक उपायों का गठन (श्रेष्ठ प्रक्रियाओं की सूची)
3. पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली (ईएमएस) जिसमें शामिल होंगे:

- कचरा प्रबन्ध योजना (डब्ल्यूएमपी)
- आकस्मिकताओं के लिये तैयार योजना
- (सीपीपी) मानिटरण योजना (एमपी)

ईएमएस में विभिन्न तत्वों का समावेश होता है और वह पर्यावरणीय निष्पादन में सुधार लाने के लिये उपयोगी है:

1. पर्यावरणीय पहलुओं को पहचानना और उनका वरीयता क्रम निश्चित करना
2. पर्यावरणीय नीति में निरन्तर सुधार लाते रहने और प्रदूषण की रोकथाम के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए
3. संगठन के हर प्रकार्य और स्तर के लिये पर्यावरणीय उद्देश्य और लक्ष्य
4. पर्यावरणीय प्रबन्ध कार्यक्रम, जिसमें उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जिम्मेदारियों और संसाधनों का वितरण और समय-सीमा बाँधना, तथा कर्मियों के प्रशिक्षण और जागरुकता बढ़ाने के लिये प्रयास, जैसी बातों का समावेश होगा
5. प्रचालनात्मक नियंत्रण और कार्यविधियाँ; पर्यावरणीय पहलुओं से सम्बन्धित सभी प्रचालनों और गतिविधियों को पहचाना जाना चाहिए और पर्यावरणीय नीति का उल्लंघन हो सकने वाली सभी स्थितियों को पहचान कर उनसे निपटने के लिये कार्यविधियाँ स्थापित की जानी चाहिए और उन्हें बनाए रखा जाना चाहिए (जैसे, कचरा प्रबन्ध, आकस्मिकताओं के लिये तैयारी और पर्यावरणीय मानिटरण के लिये कार्यविधियाँ)।
6. जाँच और सुधारक कार्रवाई; मानिटरण और मापन किये जाते हैं ताकि वास्तविक पर्यावरणीय निष्पादन और पर्यावरणीय नीति के उद्देश्यों और लक्ष्यों के अनुपालन और अन्य पर्यावरणीय विनियमों के अनुपालन को अभिलिखित किया जा सके। अभिलेखन (रेकोर्ड कीपिंग)। पर्यावरणीय लेखा परीक्षण (एन्वायरनमेंटल ऑडिट)।

कचरे का प्रबन्ध मने विखण्डन प्रक्रिया से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की धारा को सुनियंत्रित तरीके से एकत्रित करना, छाँटना और दूसरी जगह ले जाना। कचरा प्रबन्धन के अभिगमों के वरियता क्रम को सरलतम रूप में इस तरह वर्णित किया जा सकता है:

- निवारण: कचरा प्रबन्धन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कम कचरा बनाना। यह एक प्रमुख प्राथमिकता है।
- पुनश्चक्रण: निवारणात्मक विधियाँ अपनाने के बाद जो सुरक्षित कचरा बनाता है, उसे जहाँ तक हो सके पुनश्चक्रित किया जाना चाहिए या उसका पुनरुपयोग किया जाना चाहिए।
- निपटारा: यदि निवारण और पुनश्चक्रण सम्भव न हो, तो कचरे को नियंत्रित तरीके से और अन्तरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए निपटाया जाना चाहिए।

कचरा प्रबन्धन की कार्यविधियाँ ईएमएस का एक भाग होगी।

श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का क्रियान्वयन - रिक्तियों को भरना


जलपोत विखण्डन के सभी कार्यों में ईएसएम के सिद्धान्तों का पालन होना चाहिए। यह स्पष्ट है कि वर्तमान प्रक्रियाएँ ऐसा नहीं करती हैं। वर्तमान प्रक्रियाओं और ईएसएम अनुपालन के बीच की रिक्तियों को पाटने के लिये कई स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं।

वर्तमान विखण्डन सुविधाओं का उन्नयन (अपग्रेडेशन) चरणबद्ध तरीके से सुधार लाकर किया जा सकता है। कार्रवाइयों की जो शृंखला अपनाई जाएगी उसमें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए। लेकिन, केवल इन प्राथमिकताओं के अनुसार क्रियान्वयन सम्भव नहीं हो पाएगा। नई सुविधाओं के लिये पूर्ण और तात्कालिक अनुपालन ही मान्य हो सकता है।

ईएसएम की दिशा में पहला कदम अपेक्षाकृत कम लागत से किया जा सकता है, जिससे पता चलता है कि थोड़े से निवेश से काफी ज्यादा पर्यावरणीय सुधार प्राप्त किया जा सकता है। पैसे की कमी, प्रशिक्षण और जागरुकता की आवश्यकता और जरूरी कानूनी/विनियमात्मक ढाँचे की स्थापना जैसे अड़चनों के कारण पहचाने गए सभी सिफारिशों को प्रारम्भिक स्तर में लागू करना मुश्किल हो सकता है। मध्यम और दीर्घकालिक कार्रवाइयों को अधिक प्राथमिकता देना वाजिब हो सकता है, लेकिन क्रियान्वयन में आने वाले अवरोध, जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है, ऐसा होने नहीं देंगे। सम्बन्धित पक्षों के लिये आवश्यक है कि वे रिक्तियों को कम करने के लिये पहचाने गए सभी क्रियान्वयन लक्ष्यों को जितनी जल्दी हो सके प्राप्त करें।

इन कार्रवाइयों को भौतिक और प्रचालनात्मक कार्रवाइयों में विभाजित किया गया है। प्रचालनात्मक उपायों में वे कार्यविधियाँ और प्रकियाएँ शामिल हैं जो विखण्डन सुविधा में हैं, जबकि भौतिक उपायों में मुख्यतः विखण्डन सुविधा में उचित व्यवस्था करना (जैसे उपकरण, विन्यास, आदि)। कुछ उपायों को प्रचालनात्मक या भौतिक के रूप में वर्गीकृत करना मुश्किल है।

वे कार्रवाइयाँ जिन्हें व्यावहारिक रूप से तुरन्त ही या अल्प समय में, एक साल में लागू किया जा सकता है, उनमें शामिल हैं अधिकांशतः प्रचालनात्मक उपाय और सस्ते भौतिक उपाय, जैसे कर्मियों को निजी रक्षात्मक उपकरण (पीपीई) देना और उन्हें प्रशिक्षण देना और उनकी जागरुकता में वृद्धि लाना (अन्तिम दो निरन्तर चलते रहने चाहिए)। खतरनाक कचरे का अन्तरिम रूप से सुरक्षित भण्डारण जिसका मानिटरण होता हो, को भी अल्पकालिक आवश्यकता मानना चाहिए। मध्यम-कालिक कार्रवाइयों को पाँच साल के अन्दर लागू कर देना चाहिए।

दीर्घकालिक कार्रवाइयों में मुख्य रूप से शामिल हैं पर्यावरणीय दृष्टि से उचित जलपोत विखण्डन के लिये आवश्यक भौतिक जरूरतों की पूर्ति, जैसे:

- अपारगम्य फर्श ताकि विखण्डन प्रक्रिया के किसी भी चरण में जलपोत का पूर्ण परिसीमन (कंटेनमेंट) हो सके
- सर्वोच्च मानकों के अनुरूप (निर्वात आधारित शुद्धीकरण इकाई से) एसबेस्टोस हटाना
- पर्याप्त पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ लैंडफिल
- मलिन जल परिष्करण सुविधा

रिक्तियों को भरने और ईएसएम अनुपालन के लिये जिन कार्रवाइयों का क्रियान्वयन आवश्यक है, उन्हें चित्र 2 में दर्शाया गया है।

विखण्डन स्थलों की अनुमति देते समय यह आवश्यक बनाकर कि समयबद्ध तरीके से ये कदम उठाए जाएँ, सरकारें सुनिश्चित कर सकती हैं कि ये कदम सचमुच उठाए जाएँगे।

चित्र 2 वर्तमान जलपोत विखण्डन सुविधा के उन्नयन के चरण


 

अधिकतम 1 वर्ष के अन्दर

अधिकतम 5 वर्ष के अन्दर

अधिकतम 10 वर्ष के अन्दर

छलके द्रवों की सफाई की प्रक्रिया

  

जलपोत में विद्यमान खतरनाक पदार्थों की सूची (इन्वेंटरी)

गरम कामों का प्रमाणीकरण

विखण्डन के पूर्व सफाई और परीक्षण

खतरनाक कचरे का भण्डारण

अग्नि शमन उपकरण

मूलभूत व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण

श्वसन सम्बन्धी खतरों से रक्षा के लिये उचित सुरक्षात्मक उपकरण

कचरे का पृथक्करण और निपटारा

एसबेस्टोस के हस्तन के लिये प्रक्रियाएँ

पर्याप्त स्थानान्तरण प्रचालन सुविधाएँ

छलके द्रवों के परिसीमन के लिये उपकरण

वर्षाजल की निकासी के लिये पर्याप्त प्रावधान

पेंट हटाने के कामों के लिये विशेष श्वसन सुरक्षा उपकरण

एसबेस्टोस हटाने की सुधरी सुविधाएँ (बन्द कक्ष, सीमित पहुँच, फिल्टरित वायु, कर्मियों को शुद्ध करना, आदि)

पर्याप्त निकासी और पम्पिंग उपकरण

विभिन्न खतरनाक पदार्थों के लिये पर्याप्त उपचार/निपटारा सुविधाएँ

छलके द्रवों की सफाई के लिये उपकरण

पेंट हटाने के कामों के लिये अलग स्थान। बन्द और अलग-थलग और वातन (वेंटिलेशन) सुविधा के साथ, अपारगम्य फर्श। वायु फिल्टरन के लिये उचित प्रणाली लगाई जाये।

खतरनाक पदार्थों (जैसे, पीसीबी) के पृथक्करण के लिये अलग स्थान बनाया जाये।

जलपोत विखण्डन के सभी कामों का पूर्ण परिसीमन।

सर्वोच्च विधि से एसबेस्टोस हटाना (निर्वात आधारित शुद्धीकरण इकाई)।

 

आमतौर पर ऐसी कुछ कानूनी और संस्थागत शर्तें भी हैं जिन्हें पूरा करना खतरनाक कचरे के ईएसएम के लिये आवश्यक है। इनमें शामिल हैं:

- एक विनियमन और प्रवर्तन (एनफोर्समेंट) ढाँचा जो संगत विनियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करे
- सुविधाओं और स्थलों को प्राधिकृत करना ताकि खतरनाक कचरे के निपटारे के लिये मानक प्रौद्योगिकी और प्रदूषण नियंत्रण को सुनिश्चित किया जा सके
- प्रवर्तन की क्षमता ताकि मानिटरण से जब पता चले कि खतरनाक कचरों का उचित निपटारा नहीं हो रहा है या अमान्य स्तर के उत्सर्जन हो रहे हैं, तो उचित कार्रवाई की जाये

इन शर्तों की प्राप्ति इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों के दायरे के बाहर का विषय है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस तरह के विनियम न हों, तो इसकी सम्भावना बहुत कम है कि स्थिति में कोई सुधार आएगा।

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