भारत में प्रदूषित नदियों का दायरा बढ़ता जा रह है। इसके कड़ी अब कर्नाटक भी शामिल हो गया है। कर्नाटक में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) द्वारा जल गुणवत्ता विश्लेषण रिपोर्ट जारी की गई।केएसपीसीबी के अनुसार, बेंगलुरु में एक भी झील पीने के पानी उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई है साथ ही उनमें अनु उपपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों का निर्वहन जारी है।
केएसपीसीबी के अध्ययन के अनुसार, बेंगलुरु की 105 झीलों में से किसी को भी क्लास ए, बी या सी के रूप में रखा गया है, उनमें से 65 को क्लास 'डी' और 36 झीलों को क्लास 'ई' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। चूंकि अन्य चार झीलों के जलाशय सूखे थे, इसलिए उनसे पानी के नमूने लेना संभव नहीं था
केएसपीसीबी के आकलन के अनुसार, क्लास 'ए' का पानी पारंपरिक उपचार के बिना पीने के लिए उपयुक्त है, जबकि क्लास 'बी' का पानी स्नान के लिए उपयुक्त है। जबकि वर्ग 'डी' के रूप में वर्गीकृत झील का पानी का उपयोग मत्स्य पालन और जानवरों के उपयोग के लिए किया जा सकता है, वही 'ई' क्लास का पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त है। वही सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बेंगलुरु में रोजाना 1458.6 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है
बेंगलुरु में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 1,456 एमएलडी सीवेज में से केवल 50% का ही सीवेज उपचार संयंत्रों में उपचार हो पाता है। इसलिए, विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 80% सीवेज और 20% औद्योगिक अपशिष्ट से झील प्रदूषित हो रही है।
वही पानी दूषित न हो उसके लिए बेंगलुरु के शहरी जिला पर्यावरण योजना की और से शहरी स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि अपशिष्ट जल ले जाने वाले नाले जल निकायों में विलय न करें।
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