आईबीएन-7/नई दिल्ली। गर्मी के दिनों में पानी के टैंकर के पास मारामारी दिल्ली में अक्सर देखी जाती है। वजह है जनसंख्या के मुकाबले कम पानी। 1.4 करोड़ की आबादी वाली दिल्ली को रोजना 90 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है जिसे पूरा करने के लिए दिल्ली को दूसरे राज्यों का मुंह देखना पड़ता है।
राजधानी को मौजूदा समय में 15 करोड़ गैलन पानी गंगा, 22 करोड़ गैलन यमुना, 24 करोड़ गैलन भाखड़ा नांगल और 10 करोड़ गैलन पानी बरसात से मिलता है। दिल्ली जल बोर्ड जनता को करीब 75 करोड़ 50 लाख गैलन पानी मुहैया कराता है जो जरूरत के मुकाबले 14 करोड़ 50 लाख गैलन कम है।
पानी की किल्लत के लिए लीकेज भी एक बहुत बड़ा कारण है। लीकेज के चलते 40 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है। हालांकि सरकार का मानना है कि इसमें पहले से सुधार हुआ है।
कॉमनवेल्थ गेम्स को देखते हुए सरकार कई और ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में जुट गई है। राजधानी में वर्ष 2004 में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 55 लाख थी औऱ पानी की मांग थी करीब 60 करोड़ 80 लाख गैलन। 2005 में आबादी हो गई 1 करोड़ 60 लाख और पानी की मांग बढ़कर हो गई 63 करोड़ 30 लाख गैलन।
2005 में सरकार ने 1000 करोड़ रुपए की लागत से सोनिया विहार ट्रीटमेंट प्लान्ट बनाकर 14 करोड़ गैलन अतिरिक्त पानी जुटाया। 2006 में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 66 लाख हो गई और पानी की मांग भी 66 करोड़ गैलन तक पहुंच गई।
मौजूदा समय में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 75 लाख पार कर गई है और पानी की मांग भी बढकर 90 करोड़ गैलन हो गई है।पानी की मांग को देखते हुए सरकार ने सोनिया विहार प्लांट तो बनाया लेकिन टिहरी से पानी नहीं मिल पाने से ये प्लांट पांच साल देरी से शुरू हुआ। इसी तरह सरकार ने बवाना प्लान्ट बनाया।
लेकिन उत्तर प्रदेश से पानी नहीं मिलने की वजह से ये प्लांट पिछले आठ साल से बंद पड़ा है। जाहिर है दिल्ली की प्यास बुझाना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
साभार - आईबीएन-7 खबर
Tags - Heat, low water, water needs in Delhi ( Hindi ), Delhi Jal Board in Delhi ( Hindi ), shortage of water in Delhi ( Hindi ), waste water in Delhi ( Hindi ), treatment plant in Delhi ( Hindi ), Sonia Vihar treatment plant in Delhi ( Hindi ), water demand
राजधानी को मौजूदा समय में 15 करोड़ गैलन पानी गंगा, 22 करोड़ गैलन यमुना, 24 करोड़ गैलन भाखड़ा नांगल और 10 करोड़ गैलन पानी बरसात से मिलता है। दिल्ली जल बोर्ड जनता को करीब 75 करोड़ 50 लाख गैलन पानी मुहैया कराता है जो जरूरत के मुकाबले 14 करोड़ 50 लाख गैलन कम है।
पानी की किल्लत के लिए लीकेज भी एक बहुत बड़ा कारण है। लीकेज के चलते 40 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है। हालांकि सरकार का मानना है कि इसमें पहले से सुधार हुआ है।
कॉमनवेल्थ गेम्स को देखते हुए सरकार कई और ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में जुट गई है। राजधानी में वर्ष 2004 में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 55 लाख थी औऱ पानी की मांग थी करीब 60 करोड़ 80 लाख गैलन। 2005 में आबादी हो गई 1 करोड़ 60 लाख और पानी की मांग बढ़कर हो गई 63 करोड़ 30 लाख गैलन।
2005 में सरकार ने 1000 करोड़ रुपए की लागत से सोनिया विहार ट्रीटमेंट प्लान्ट बनाकर 14 करोड़ गैलन अतिरिक्त पानी जुटाया। 2006 में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 66 लाख हो गई और पानी की मांग भी 66 करोड़ गैलन तक पहुंच गई।
मौजूदा समय में दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 75 लाख पार कर गई है और पानी की मांग भी बढकर 90 करोड़ गैलन हो गई है।पानी की मांग को देखते हुए सरकार ने सोनिया विहार प्लांट तो बनाया लेकिन टिहरी से पानी नहीं मिल पाने से ये प्लांट पांच साल देरी से शुरू हुआ। इसी तरह सरकार ने बवाना प्लान्ट बनाया।
लेकिन उत्तर प्रदेश से पानी नहीं मिलने की वजह से ये प्लांट पिछले आठ साल से बंद पड़ा है। जाहिर है दिल्ली की प्यास बुझाना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
साभार - आईबीएन-7 खबर
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