संगोष्ठी. 06.06.2011
आज भारत का सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है एवं इस परिवर्तन में विज्ञान अपनी सार्थक भूमिका बखूबी निभा रहा है। देश तेज़ी से औद्योगिक रूप से विकसित हो रहा है परंतु आज भी देश में पर्यावरण जैसे ज्वलंत मुद्दे पर आमजन की जागरूकता आशानुरूप नहीं है। भू-जल एवं जंगल के रूप में नैसर्गिक रूप से प्राप्त देश की जैव धरोहर की रक्षा हेतु जनभाषा हिंदी के माध्यम से वैज्ञानिक एवं पर्यावरण से जुड़े विषयों पर प्रचार प्रसार आवश्यक है। देश के वैज्ञानिकों एवं युवा पीढ़ी में विज्ञान एवं पर्यावरण के प्रति रचनात्मक व विश्लेषणात्मक प्रवृत्ति जागृत करने के उद्देश्य से राजभाषा हिंदी में यह संगोष्ठी 6 एवं 7 जून 2011 को राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा में आयोजित की जा रही है। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारतवर्ष में स्थापित सीएसआईआर की प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं एवं अन्य प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान तथा अकादमी के वरिष्ठ तथा युवा वैज्ञानिकों को एक समसामयिक ज्वलंत विषय पर हिंदी में अपने विचार प्रकट करने हेतु मंच प्रदान करना है तथा हिंदी को विज्ञान के साथ जोड़कर उसकी उत्तरोत्तर प्रगति सुनिश्चित करना। आज हिंदी तथा भारत का विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं और इनका विकास एक दूसरे के प्रोत्साहन से संभव है। अतः हम आशा करते हैं कि हिंदी भाषा एवं विज्ञान को एक दूसरे के निकट लाने में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान इस संगोष्ठी के माध्यम से सकारात्मक भूमिका निभाने में सक्षम होगा।
दो दिवसीय संगोष्ठी के चार सत्र के विषय एवं शीर्षक इस प्रकार होंगे :
1. आधुनिक जीवन शैली का पर्यावरण पर प्रभाव
2. द्रुत औद्योगिकीकरण एवं पर्यावरण संतुलन
3. बदलते परिवेश का समुद्री पर्यावरण पर प्रभाव
4. विकास एवं हरित धरा संकल्पना
*आवश्यकतानुसार इनमें परिवर्त्तन भी किया जा सकता है।
सारांश प्राप्त करने की अंतिम तिथि : 15 मई 2011
A4 आकार के कागज़ पर शीर्षक, लेखक/लेखकों का नाम, पदनाम, पता तथा सारांश (अधिकतम 250 शब्दों में) केवल टाइप किया होना चाहिए।
पूर्ण शोध पत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि : 30 मई 2011
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