बचें वायु प्रदूषण से

पटाखों से बढ़ता वायु प्रदूषण
पटाखों से बढ़ता वायु प्रदूषण


सर्दियों की शुरुआत होते ही और दीपावली के समय पर दिल्ली-एनसीआर, अन्य महानगरों और शहरों में वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुँच जाता है। यह वायु प्रदूषण गम्भीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 16 भारत में हैं।

कारण

वायु प्रदूषण मुख्य रूप से उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ, मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएँ, थर्मो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट के साथ-साथ कंडे और पराली जलाने से होता है। वायु प्रदूषण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और 10) और अन्य गैसों (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन) का मिश्रण है। हवा की गुणवत्ता की जाँच करने के लिये एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के अन्तर्गत हवा में पीएम 2.5, पीएम 10, नाइट्रोजन और सल्फर डाइऑक्साइड की जाँच की जाती है।

एक्यूआई और वायु प्रदूषण

0 से 50 कीे बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अच्छा माना जाता है, 51 से 100 सन्तोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 के बीच अत्यन्त गम्भीर स्तर पर माना जाता है।

दीपावली के समय पटाखों और आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण और बढ़ जाता है (मानक से 5-10 गुना तक)। इनडोर यानी घर के अन्दर वायु प्रदूषण ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है, क्योंकि अभी भी काफी लोग खाना पकाने के लिये गोबर से बने कंडों पर निर्भर हैं। ये लोग रोशनी के लिये केरोसीन या अन्य तरल ईंधन पर भी निर्भर हैं।

सार्थक सुझाव

1. धूम्रपान ने करें। धूम्रपान करने वाले दूसरे लोगों के धुएँ के सम्पर्क में आने से भी बचें। बच्चो को भी धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बारे में समझाएँ। अपने घर में, कार में या कार्य क्षेत्र पर धूम्रपान की अनुमति न दें।
2. प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने पर बाहर व्यायाम करने से बचें। ऐसे समय में जिम में व्यायाम करें या मॉल में टहलें। हाई ट्रैफिक वाले क्षेत्रों के पास व्यायाम न करें।
3. सार्वजनिक परिवहन से सफर कर और पैदल चलकर ड्राइविंग को सीमित करें।
4. बायोमास और जीवाश्म ईंधन को खुलें में न जलाएँ। पराली जलाने को प्रतिबन्धित करें।
5. लकड़ी और कोयले की जगह साफ बर्निंग गैस पर खाना बनाएँ। एलपीजी और बिजली का प्रयोग करें।
6. अधिक संख्या में पेड़ लगाएँ। प्रत्येक व्यक्ति अगर एक पेड़ लगाने का संकल्प ले, तो इससे हवा साफ होगी। पेड़ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायक हैं।
7. ज्यादा प्रदूषण के समय सुरक्षात्मक मास्क पहनें।
8. खाना बनाते समय एक्जॉस्ट पंखा चलाएँ।
9. यदि आपको फेफड़ों की बीमारी है तो फ्लू और निमोनिया से बचाव का टीका लगवाएँ।
10. दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस के रोगी अपनी दवाइयाँ नियमित रूप से लें और जरूरत पड़ने पर तुरन्त अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सरकार से अपेक्षा

1. सरकार को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
2. जिन औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषण फैलता है, उनमें प्रदूषण को कम या नियंत्रित करने वाली तकनीकी विधियों का इस्तेमाल करने का नियम बनाना चाहिए।
3. धूल को नियंत्रित करने के लिये सड़कों पर पानी छिड़का जाना चाहिए।
4. कूड़े को जलाने के बजाय इसके वैकल्पिक उपाय अपनाए जाएँ।
5. सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) और पवन चक्की के अधिकाधिक विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए।

दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण से फेफड़ों पर काफी बुरा असर पड़ता है। यह पहले से मौजूद सांस की बीमारियों से बिगड़ने का कारण बन सकता है। प्रदूषित वायु के सम्पर्क में आने से वायु मार्ग में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस की समस्या बढ़ जाती है।

दीपावली के समय इन रोगों के मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी हो जाती है। फेफड़े का कैंसर, निमोनिया, लंग फाइब्रोसिस की समस्या भी बढ़ जाती है। बच्चे और वृद्ध लोग वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

दीपावली के समय अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जो फेफड़ों के अन्दर तक जाकर कई गम्भीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करता है। पटाखों की आवाज काफी ध्वनि प्रदूषण फैलाती है। तेज आवाज से व्यक्ति बहरा भी हो सकता है, उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हृदय रोगियों में दिल का दौरा पड़ने की आशंकाएँ भी बढ़ जाती हैं।

(लेखक कोकिलाबेन हॉस्पिटल, मुम्बई में सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट हैं)

बच्चों को मोटा बना रहा प्रदूषण

हिन्दुस्तान, 07 नवम्बर, 2018

हवा में घुलता जहर हमारे भविष्य के लिये भी खतरनाक बनता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या भी पैदा हो रही है। जहरीली हवा सांसों के जरिए बच्चों के दिमाग में घुसकर उनकी भूख और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर रही है।

अमरीका के दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोध के मुताबिक सड़क के पास या प्रदूषित माहौल में रहने की वजह से बच्चों में चर्बी को जलाने वाली शक्ति क्षीण पड़ती जा रही है। ऐसे माहौल में रहने वाले बच्चे बड़े होकर मोटापे का शिकार हो जाते हैं। अध्ययन के मुताबिक प्रदूषित क्षेत्र में रहने वाले 10 साल के बच्चों का वजन स्वच्छ हवा में रहने वालों की तुलना में करीब एक किलो ज्यादा पाया गया।

विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों के लिये पहला साल बहुत ही अहम होता है। इसलिये अभिभावकों को सोच-समझकर उनके पालन-पोषण के लिये जगह का चयन करना चाहिए। करीब 2318 बच्चों पर यह शोध किया गया। शोध में पाया गया कि जिन बच्चों का पहला साल प्रदूषित क्षेत्र में बीता, वे आगे चलकर अन्य की तुलना में ज्यादा मोटे हुए।

जहरीली हवा से ऑटिज्म का भी खतरा

‘चाइनीच एकेडमी ऑफ साइंस’ ने एक चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में ऑटिज्म का खतरा 78 फीसदी तक बढ़ जाता है। शोध के दौरान शंघाई में जन्म से लेकर तीन वर्ष के बच्चों में पीएम 2.5 के प्रभाव का असर देखा गया था। अध्ययन के दौरान 124 ऑटिज्म बच्चों और 1240 स्वस्थ बच्चों को शामिल किया गया था।
 

Path Alias

/articles/bacaen-vaayau-paradauusana-sae

Post By: editorial
×