बांध तथा जल विद्युत शक्ति
कुछ बांधों को विशेषतौर पर जल विद्युत जो जल द्वारा निर्मित विद्युत होती है, का निर्माण करने के लिए बनाया जाता है । इस किस्म की विद्युत कार्यशील, प्रदूषण-मुक्त तथा कम लागत की होती है । जल विद्युत सयंत्र घरो, स्कूलों, खेतों, फैक्टियों तथा व्यवसायों को उपयुक्त दर पर विद्युत मुहैया कराते हैं । जल को विशाल पाइपों के जरिए बांध में प्रायः उपलब्ध एक पावर हाऊस तक लाया जाता है । पावर हाऊस में जल की शक्ति टरबाईंनों को गोल-गोल धुमाती है तथा इस निरंतर गति से एक बल उत्पन्न होता है जिससे विद्युत-शक्ति का निर्माण किया जाता है । विद्युत सयंत्र में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा बांध के पीछे के जल की स्थिजित ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्राप्त की जाती है । यह जल विद्युत शक्ति को तब संग्रहित करके घरों में वितरित किया जाता है जहाँ यह टीवी देखने, कम्प्यूटर पर खेलने, खाना बनाने इत्यादि के काम आती है ।
जल विद्युत शक्ति कैसे निर्मित की जाती है ?
जल विद्युत केन्द्र
जल विद्युत संयत्र तेजी से प्रवाहित अथवा गिरते हुई जल की गतिज ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न करने के लिए जल को एक उच्चतर स्तर एकत्र अथवा संग्रहित करके बड़े पाइपों ;जिन्हे पेनस्टॉक कहते हैं अथवा सुंरगों से निचले स्तर पर भेजा जाता है । गिरता हुए जल की सहायता से टरवाईनों को चलाया जाता है । टरबाइनों की सहायता से जेनेरेटरों को क्रमशः चलाया जाता है जिनमें एक आर्मेचर तार एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है । इससे टरबाइन की यांत्रिक ऊर्जा विद्युत में परिवर्तित होती है । टांस्फारमर द्वारा जेनेरेटरों में उत्पन्न प्रत्यावर्ती करंट को उच्च वोलटेज करंट में परिवर्तित किया जाता है जो दूरस्थ पारगमन के लिए उचित होता है । एक संरचना जिसमें टरबाइनों तथा जेनेरेटरों को रखा तथा पाइपों अथवा पेनस्टॉकों को लगाया जाता है उसे पावरहाऊस कहते हैं ।
शक्ति के अन्य स्रोतो की तुलना में कई लाभ होते हैं जैसे जल विद्युत चक्र की बार-बार होने वाली प्रकृति के कारण इसे लगातार पुनचक्रित किया जा सकता है, तथा इसे न तो उष्मीय और ना ही विविक्त प्रदूषण होता है । जल से विद्युत उत्पन्न करने के बार इसका उपयोग सिंचाई तथा पीने के लिए किया जा सकता है । तथापि, जल विद्युत सयंत्रों का निर्माण कुछ सीमित स्थानों पर ही किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए बड़ी मात्रा में निवेश तथा समय की आवश्यकता होती है । इनके लिए बड़े क्षेत्र को जलमग्न करने की आवश्यकता होती है । जिससे सामाजिक तथा पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है । सरकार उन ग्रामीणों का पुनर्वास करती है जिनकी भूमि को जलमग्न किया जाता है ।
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