बांध सुरक्षा विधेयक संसद में पेश करे सरकार : समिति

समिति ने केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि राष्ट्रीय रजिस्ट्रार के अनुसार इस समय भारत में 5125 बड़े बांध हैं और इनमें से 4728 पूरे हो गए हैं जबकि 397 बांध निर्माणाधीन हैं। इनमें से दस फीसद 50 साल से अधिक और 2.6 फीसद सौ बरस से अधिक पुराने हैं। रिपोर्ट में समिति ने इस बात पर अधिक हैरानी जताई है कि 50 और 100 वर्ष से अधिक पुराने बड़े बांधों के नवीकरण को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय के पास कोई विशिष्ट योजना नहीं है। नई दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा)। बांध सुरक्षा उपायों को गंभीरता से लेने और 50 साल से अधिक पुराने बड़े बांधों की नियमित निगरानी की व्यवस्था की पुरजोर वकालत करते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने बांध सुरक्षा राष्ट्रीय समिति को पर्याप्त प्राधिकार और पर्यवेक्षण शक्ति सौंपे जाने की सिफारिश की है। दीप गोगोई की अध्यक्षता वाली जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने सोमवार को लोकसभा में पेश अपनी 17वीं रिपोर्ट में इस बात को लेकर हैरानी और चिंता जताई है कि देश में बांधों के खतरे का पैमाना बताने वाला कोई अध्ययन नहीं किया गया है। इसलिए समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि इस कार्य को जल्द से जल्द शुरू करें ताकि देश के बांधों को संभावित खतरे या टूटने से बचाना सुनिश्चित किया जा सके।

बांध सुरक्षा उपायों गंभीरता से लिए जाने की सिफारिश करते हुए समिति ने कहा है कि बांध सुरक्षा विधेयक को जल्द संसद में पेश किया जाए। समिति ने केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि राष्ट्रीय रजिस्ट्रार के अनुसार इस समय भारत में 5125 बड़े बांध हैं और इनमें से 4728 पूरे हो गए हैं जबकि 397 बांध निर्माणाधीन हैं। इनमें से दस फीसद 50 साल से अधिक और 2.6 फीसद सौ बरस से अधिक पुराने हैं। रिपोर्ट में समिति ने इस बात पर अधिक हैरानी जताई है कि 50 और 100 वर्ष से अधिक पुराने बड़े बांधों के नवीकरण को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय के पास कोई विशिष्ट योजना नहीं है।

जल को दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन बताते हुए समिति ने इस बात पर संज्ञान लिया है कि 2013-14 के लिए जल संसाधन मंत्रालय का कुल बजट अनुमान 2105.65 करोड़ रुपए है, जिसमें 1512 करोड़ रुपए का योजना आबंटन और 590.65 करोड़ का योजना भिन्न आबंटन है। मंत्रालय के बजटीय प्रस्तावों की समिति की जांच से सामने आया है कि 2012-13 के बजट अनुमान की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष के लिए आबंटन में मात्र 1.7 फीसदी की मामूली वृद्धि है जबकि 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 2012-13 के अनुमान में 65.49 फीसद की वृद्धि की गई थी।

समिति ने पाया है कि जो मामूली वृद्धि की भी गई है तो वह कर्मचारियों के वेतन वृद्धि और बढ़े हुए महंगाई भत्ते के लिए है, न कि योजना खंड में किसी अतिरिक्त व्यय के लिए। इसी के मद्देनज़र समिति ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि मामले को मध्यावधि मूल्यांकन चरण में आबंटन में वृद्धि के लिए योजना आयोग के सामने उठाया जाए।

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