बांध से चंबल के डाकुओं को घेरने की योजना अधर में

 

बात बहुत चैंकाने वाली लगती है कि बांध से डाकुओं का भी सफाया किया जा सकता है! जी हां ऐसा ही दावा है उत्तर प्रदेश सरकार का। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित पंचनंदा बांध के कई लाभों में से एक यह लाभ भी गिनाया था। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की आपत्ति के बाद परियोजना का निर्माण अधर में लटक गया है। गत तीन दशक के उतार चढ़ाव का सामना करने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को उत्तर प्रदेश की पिछली मुलायम सिंह सरकार ने आगे बढ़ाने की भरसक कोशिश की थी। यदि इस परियोजना का निर्माण हुआ तो इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासकर जालौन एवं इटावा जिले के आस पास के इलाके लाभान्वित होंगे।

 

इस परियोजना के तहत यमुना नदी पर 25 मीटर ऊंचा हाई ग्रेविटी बांध बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिसकी जलाशय की क्षमता 29 लाख एकड़ फुट होगी। परियोजना से उत्तर प्रदेश की 33,812 हेक्टेअर एवं मध्य प्रदेश की 17,201 हेक्टेअर जमीन डूब में आएगी। सन 1980 के कीमत के आधार पर इस परियोजना की प्रस्तावित लागत 5.6 अरब रूपए है। इस परियोजना से 4.42 लाख हेक्टेअर जमीन की सिंचाई एवं 20 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्रस्ताव है। हालांकि सन 1982 में ही मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने इस परियोजना पर आपत्ति जताते हुए केन्द्रीय जल आयोग से इसे रोकने की मांग की थी। मध्य प्रदेश का दावा है कि केन्द्रीय जल आयोग के दावे के विपरीत इस परियोजना से 15 के बजाय 21 गांव डूब में आएंगे।

 

अब कहा जा रहा है कि पंचनंदा बांध को पूरा करने में बजट आड़े आ रहा है। लंबे समय से बांध के पूरा होने का जालौन जिले के निवासियों को इंतजार है। बजट की केन्द्र सरकार से मांग भी की गई थी पर प्राप्त जानकारी के आधार पर मध्य प्रदेश सरकार की आपत्ति के कारण केन्द्र सरकार ने फिलहाल इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इस विषय में लोकसभा सदस्य घनश्याम अनुरागी ने संसदीय कार्य व जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल को बांध के निर्माण करवाने का आग्रह करते हुए एक पत्र भेजा था।

 

घनश्याम अनुरागी ने सात जुलाई 2009 को नियम 377 के तहत लोकसभा में यमुना, चंबल, क्वारी, सिंध और पाहुज नदियों के संगम के नीचे प्रस्तावित पंचनंदा बांध निर्माण परियोजना का मुद्दा उठाया था। जिसका जवाब देते हुए जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल ने सांसद को पत्र के जरिए कहा कि चूंकि इन नदियों के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान का भी कुछ हिस्सा शामिल है। इसलिए केन्द्रीय जल आयोग ने 13 जून 2007 को तीनो राज्यों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई थी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने दोनो पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश एवं राजस्थान को बांध की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। दोनो राज्यों को एक महीने में अपनी टिप्पणी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। 29 अगस्त 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय जल आयोग को बताया कि उसने दोनों राज्यों को डीपीआर भिजवा दी है। 2008 के दिसंबर में मध्य प्रदेश ने इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई जो कि पंचनंदा बांध के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा साबित हुई।

 

इस बारे में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की आपत्ति के बाद उक्त परियोजना का मूल्यांकन करना केन्द्रीय जल आयोग के लिए संभव नहीं रहा। समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सुझाव भी दिया है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार अपने सह बेसिन राज्यों के साथ मामलों का समाधान करे तभी इस पर से अवरोध हट सकता है।

 

उधर जल संसाधन मंत्री के पत्र के बाद सांसद घनश्याम ने कहा है कि उनके पत्र से स्पष्ट हो गया है कि पंचनंदा बांध निर्माण परियोजना की प्रगति को लेकर केन्द्र सरकार सिर्फ बहलाने का प्रयास कर रही है और झूठे आश्वासन दे रही है। हकीकत तो यह है कि यह प्रस्ताव बहुत पहले ही दरकिनार करके फाइल में बंद कर दिया गया है। इसके बाद अब वे दृढ़ संकल्पित हैं कि बांध का निर्माण कार्य पूरा करवाकर ही दम लेंगे ताकि सूखे की मार झेल रहे किसानों की समस्याओं को स्थायी रूप से विराम दे सकें।

 

हालांकि यह पूरी परियोजना राज्यों के आपसी विवादों से घिरी हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि यदि प्रस्तावित नदी जोड़ योजना के तहत यदि पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना आगे बढ़ती है तो चंबल नदी में पानी कम हो जाएगा। इसलिए उत्तर प्रदेश यमुना नदी के पानी पर अपना हक जता रहा है। चूंकि पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदीजोड़ योजना मध्य प्रदेश के क्षेत्र की प्रस्तावित परियोजना है और उससे ज्यादातर लाभ मध्य प्रदेश को ही होने वाला है इसलिए वह इसे आगे बढ़ाने के लिए पंचनंदा बांध पर अपनी आपत्ति पर जोर नहीं दे रहा था। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में मध्य प्रदेश सरकार ने फिर से आपत्ति जता दी है और परियोजना एक बार फिर अधर में लटक गई। इसके साथ ही पंचनंदा बांध से चंबल में डाकुओं को घेरने का सपना फिलहाल तो टूट ही गया।

 

Tags: Dam, Yamuna, Chambal, Pachnand Dam, Inter state dispute, River-linking, Parbat-Kalisindh-Chambal

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