बुझेगी दिल्ली की प्यास
5 Feb 2009, नवभारत टाइम्स / वीरेंद्र वर्मा
यमुना के तट पर बसी फिर भी पानी के लिए तरसती दिल्ली। कभी यमुना की एक धारा लाल किले के शाही हमाम तक पहुंचाई गई थी, आज वॉटर मैनिजमंट की कमी का असर साफ दिख रहा है। आए दिन पीने के पानी की किल्लत हो रही है, दूसरी तरफ हर साल लाखों क्यूसेक पानी यमुना में यूं ही बहकर बर्बाद हो जाता है। वीरेंद्र वर्मा बता रहे हैं कि अगर यमुना के बाढ़ क्षेत्र में जगह-जगह डैम और बैराज बना दिए जाएं तो दिल्ली के जल संकट पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है-
यमुना के बाढ़ क्षेत्र में अगर जगह-जगह बैराज और डैम बना दिए जाएं तो राजधानी में आए दिन होने वाली पानी की किल्लत से निजात मिल सकती है। जल विशेषज्ञों के मुताबिक पल्ला, वजीराबाद बैराज के ऊपरी बेसिन, बवाना के निकट हॉर्स शू लेक और नजफगढ़ झील ऐसी जगहें हैं, जहां बरसात के दिनों में इतना पानी इकट्ठा किया जा सकता है कि करीब छह महीने तक राजधानी के लोगों को लगातार पानी की सप्लाई की जा सकती है। साथ ही पानी स्टोर करने से राजधानी के लगातार गिरते ग्राउंड वॉटर का लेवल उठाने में भी मदद मिल सकती है।
यमुना में पहाड़ी एरिया से लेकर दिल्ली तक एक भी डैम नहीं हैं। हरियाणा में हथनी कुंड और ताजेवाला में छोटे-छोटे बैराज हैं। ये बैराज कुछ हजार क्यूसेक पानी ही संभाल पाते हैं। यही कारण हैं कि हर साल बरसात के दिनों में लाखों क्यूसेक पानी यमुना में बहकर बर्बाद हो जाता है। पिछले साल भी करीब तीन लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी दिल्ली में आकर बाढ़ का खतरा बना। अगर बैराज या डैम बने होते तो यह पानी दिल्ली के लिए वरदान साबित होता।
पल्ला में प्रस्तावित है बैराज
बरसात के पानी को पल्ला के निकट इकट्ठा करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने पल्ला बैराज का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके मुताबिक, वजीराबाद बैराज से ऊपर पल्ला के निकट यमुना में पानी स्टोर करने के लिए यह बैराज बनाया जाना है। जल बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक, बैराज के निर्माण पर करीब 600 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। यहां स्टोर पानी से संकट के दिनों में लोगों की करीब तीन महीने तक प्यास बुझाई जा सकती है। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन रही है। प्रस्ताव पर अभी अपर यमुना रिवर बोर्ड की मुहर लगनी बाकी है। अगर यह बैराज बन जाता है तो 120 एमजीडी क्षमता के वजीराबाद प्लांट व 95 एमजीडी क्षमता के चंदावल वॉटर ट्रीटमंट प्लांट को पानी की कमी नहीं होगी।
यहां बन सकते हैं बैराज
अपर वजीराबाद बेसिन
सिटिजन फ्रंट फॉर वॉटर डेमॉक्रसी के संयोजक एस. ए. नकवी के मुताबिक बजीराबाद बैराज के ऊपर दो जगह बैराज बनाकर पानी इकट्ठा किया जा सकता है। यमुना के इस बाढ़ क्षेत्र में 40 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इकट्ठा करने की क्षमता है।
हॉर्स शू लेक
बवाना के आसपास वेस्टर्न यमुना लिंक के कारण घोड़े के खुर जैसी एक झील है। यहां भी एक स्टोरेज बनाया जा सकता है। यहां बरसात के दौरान 60 लाख क्यूबिक मीटर पानी इकट्ठा किया जा सकता है। इस पानी को हैदरपुर व नांगलोई प्लांट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
नजफगढ़ झील
साउथ-वेस्ट दिल्ली में नजफगढ़ झील में भी बरसात का पानी इकट्ठा किया जा सकता है। यहां चेक डैम बनाकर करीब 40 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इकट्ठा हो सकता है। यहां पानी स्टोर रहने से आसपास के इलाकों का भूजल स्तर ऊंचा उठ सकता है।
यमुना के पहाड़ी क्षेत्र में डैम
हरियाणा के सुपरिंटेंडिंग एंजीनियर एम. के. लांबा के मुताबिक, यमुना के ऊपरी इलाकों में अगर दो या तीन डैम बना दिए जाएं तो हरियाणा सहित दिल्ली को भी पानी की किल्लत नहीं होगी। बरसात के दिनों में पानी स्टोर करने से संकट वाले दिनों में दिल्ली को पानी देने में कोई परेशान नहीं होगी। पानी स्टोरेज के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण अभी ताजेवाला में केवल दो हजार क्यूसेक पानी रह गया है, जिसमें से एक हजार क्यूसेक पानी दिल्ली को दिया जा रहा है। ऐसे में पानी कहां से लाएं। पिछले साल इन दिनों में यहां तीन हजार क्यूसेक के करीब पानी था।
साभार – नवभारत टाइम्स
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