बैलून यात्रा


ये लोग जानते थे कि क्लोरो-फ्लोरो कार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमण्डल में पहुँच कर ओजोन परत को नुकसान पहुँचा रही हैं। जिसका असर इनकी धरती के भूमंडलीय ताप पर पड़ रहा है। ‘लहर सोचने लगी-’ ओह! पराबैंगनी किरणों की बढ़ती मात्रा के कारण ही इनकी धरती वीरान और बंजर हो गई है। लहर ने रोका-बस अब हमें वापस अपनी धरती की ओर लौटना चाहिए। मुझसे इस दुनिया की स्थिति नहीं देखी जा रही है।

अरे! लहर तुम यहाँ! दिल्ली से कब आई? ओह! चाची ने कहा होगा कि मैं कई दिनों से घर नहीं आया हूँ तो तुम यहीं मिलने आ गई। है न? लहर ने हामी भरते हुए कहा- ‘चाचू, मैं ओजोन परत की एक डिबेट में फर्स्ट आई हूँ। अब मुझे स्टेट लेवल की एक कांफ्रेंस में व्याख्यान देना है। प्लीज हेल्प मी। डॉ. केतन ने हँसते हुए कहा- व्हाई नॉट? हमारा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ओजोन परत को लेकर ही तो काम करता है। लहर ने कहा- ‘थैंक्यू चाचू। चाची कह रही थी कि आप ऐसा बैलून बना रहे हो, जो पारदर्शी होगा। बैलून में बैठकर दो यात्री आसमान की यात्रा कर सकेंगे।’ डॉ. केतन ने हँसते हुए कहा- ‘आसमान की नहीं अंतरिक्ष की। मजेदार बात यह है कि उस बैलून के अंदर आरामदायक सीट होंगी। एक रिमोट होगा जो लगातार यात्री को धरती के संपर्क से जोड़े रखेगा। ऑटोमेटिक ह्यूमन वॉयस उसे डायरेक्शन देती रहेगी कि आप कहाँ हैं और कहाँ जा रहे हैं। यात्री जिस दृश्य को अपनी आँखों से देखेगा, ह्यूमन वॉयस उसके बारे में डिटेल से बताती रहेगी।’

डॉ. केतन ने लहर को अपने पर्सनल कम्प्यूटर पर ओजोन परत से सम्बन्धित फिल्म देखने को कहा। लहर ने कॉपी-पेंसिल उठा ली और ध्यान से फिल्म देखने लगी। लहर ने स्क्रीन पर डॉ. केतन को ओजोन बैलून के बारे में बताते हुए सुना। अचानक वह उठी और डॉ. केतन के रूम के अंदर बने पर्सनल केबिन में जा घुसी। वह बुदबुदाई- ‘यहाँ होगा वो ‘डमी बैलून’, वो रहा।’ बायीं ओर कैल्कुलेटर की तरह एक रिमोट रखा था। उसने मन ही मन में कहा- ‘मुझे ‘ए फाइव’ बटन दबाना है। हाँ यही है।’ लहर ने कैप्स लॉक का बटन दबा दिया। डमी बैलून का मुँह एक छोटे से दरवाजे में बदल गया। लहर रिमोट सहित बैलून के भीतर चली गई। डॉ. केतन के पर्सनल केबिन की छत लिफ्ट की तरह खुली और डमी बैलून उन्नत रॉकेट से पचास गुना अधिक गति से अंतरिक्ष की ओर रवाना हो गया।

ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने डायरेक्शन देना शुरू कर दिया- ‘काँग्रेचुलेशन। आपकी उड़ान का पहला चरण सक्सेसफुली कम्प्लीट हो गया है। अब आप किसी भी दूसरे ग्रह की ओर मूव कीजिए।’ लहर ने एंटर का बटन दबा दिया। ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने कहा- ‘ओह! हम अनजान और अब तक अपिरिचित ग्रह की ओर बढ़ रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से आप एफ वन मोड का बटन दबाएँ आप इस अपरिचित ग्रह की धरती को चालीस मीटर की दूरी से देख सकेंगे। आपकी आँखें ऑटोमैटिक किसी नजारे को स्वयं जूम कर लेगी।’ लहर हैरान थी। वह मानव धरती जैसी दूसरी धरती के वायुमंडल पर थी। इंसानों की तरह के प्राणी उसे दिखाई दे रहे थे। अति उन्नत किस्म की दुनिया। लेकिन उजाड़। इस धरती के इंसान चेहरे को स्पेशल मॉस्क से ढके हुए थे। हर किसी के हाथ में एक छतरी थी। जंगल कहीं नहीं नदी-तालाब कहीं नहीं। दुकानों में पानी दवाई की शीशी में मिल रहा था। लहर ने सोचा- ‘यहाँ के लोग दवाई की मात्रा के मुताबिक पानी पी रहे हैं। सभी बेहद जल्दी में हैं।’

ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने कहा- ‘ओह। हम अपनी मानव धरती के पिछले एडीशन पर चले आए हैं। यहाँ के वृक्ष हमारी धरती के वृक्षों की औसत बढ़त से पाँच गुना तेजी से बढ़ेंगे। लेकिन परागण की प्रक्रिया से मुक्त रहेंगे। इन वृक्षों में न फूल लगेंगे न ही फल। दरअसल अति आधुनिकता के कारण इस धरती के सैकड़ों कीट-पतंग और जीव-जन्तु नष्ट हो गए हैं।’ लहर इंसानों को गौर से देख रही थी। वह एक ही तरह के स्पेशल मास्क पहने हुए थे।

ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने बताया- ‘ये सामान्य श्वसन ले पाने में असहज हो गए हैं। स्पेशल मास्क और इनकी वेशभूषा चौबीस घंटे की कृत्रिम ऑक्सीजन इन्हें मुहैया करा रही है। इनकी धरती की ओजोन परत में अत्यधिक बड़ा छेद हो गया है। यही कारण है कि यहाँ बेहद गर्मी पड़ रही है।’ लहर सोचने लगी- ‘फिर तो ये लोग एयर कंडीशनर का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे होंगे।’ ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने जवाब दिया- ‘एसी का अत्यधिक इस्तेमाल करने से ही तो यह नौबत आई है। अत्यधिक क्लोरो-फ्लोरो कार्बन से युक्त चीजों, वस्तुओं और उपकरणों के प्रयोग से ओजोन परत को नुकसान पहुँचा है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणें इनकी धरती पर अत्यधिक मात्रा में पहुँचती रही। इन मनुष्यों ने अत्यधिक ए सी, रेफ्रिजरेटरों, अग्निशमन, सुपरसोनिक विमान का अधिकाधिक उपयोग कर जीवन को अधिक सुविधाजनक और आरामदायक तो बना लिया, लेकिन पेड़-पौधों, फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुँचाने से नहीं रोक पाये। समुद्री जीव तक नष्ट हो गए। त्वचा में असाध्य रोग पैदा हो गए। लाखों मनुष्य काल के गाल में समा गए।’

ये लोग जानते थे कि क्लोरो-फ्लोरो कार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमण्डल में पहुँच कर ओजोन परत को नुकसान पहुँचा रही हैं। जिसका असर इनकी धरती के भूमंडलीय ताप पर पड़ रहा है। लहर सोचने लगी- ‘ओह! पराबैंगनी किरणों की बढ़ती मात्रा के कारण ही इनकी धरती वीरान और बंजर हो गई है। लहर ने रोका- ‘बस अब हमें वापस अपनी धरती की ओर लौटना चाहिए। मुझसे इस दुनिया की स्थिति नहीं देखी जा रही है। मैं बैकस्पेस का बटन दबा रही हूँ।’ लहर ने ऐसा ही किया। ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने कहा- ‘हमारा डमी बैलून आगमन समय की अपेक्षा अस्सी गुना तेज गति से वापस अपनी धरती की ओर लौट रहा है। डमी बैलून अब तक अपने नब्बे फीसदी अपेक्षित परिणाम पर खरा उतरा है। लहर रिमोट सहित बैलून से बाहर आ गई। ऑटोमैटिक ह्यूमन वॉयस ने कहा- ‘कांग्रेचुलेशन। आपकी वापसी उड़ान का अंतिम चरण भी सक्सेसफुली कम्प्लीट हो गया है।’

लहर दबे पाँव डॉ. केतन की ओर बढ़ने लगी। वे अब भी कुर्सी में ऊंघ रहे थे। वह डॉ. केतन के पर्सनल कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर झुक गई। उसने ओजोन बैलून की फाइल को डिलीट कर दिया। अब उसने डॉ. केतन को धीरे से हिलाया- चाचू उठिए। डॉ. केतन उठे और कहने लगे मैं ओजोन परत के बारे में नवीनतम जानकारी भी तुम्हें दूँगा। लहर ने राहत की साँस ली। चाचू दिल्ली लौटने पर मैं आपको मोबाइल पर सब कुछ बता दूँगी। लहर यही सोच रही थी।

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श्री मनोहर चमोली ‘मनु’,
भितांई, पो.बॉ. 23, पौड़ी (गढ़वाल) 246 001 (उत्तराखंड), मो : 09412158688;ई-मेल : chamoli123456789@gmail.com)


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