बैल बगौधा निरघिन जोय।
वा घर ओरहन कबहुँ न होय।।
भावार्थ- जिस किसान के पास बगौधा (घन का पाला) बैल हो और फूहड़-घिनौनी सुशीला पत्नी हो, उसके घर उलाहना कभी नहीं आता।
Path Alias
/articles/baaila-bagaaudhaa-nairaghaina-jaoya
/articles/baaila-bagaaudhaa-nairaghaina-jaoya