जागरण-याहू, कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान [आईआईटी] ने ऐसा कार्बो नैनो फाइबर बनाया है, जिसकी फिल्टर क्षमता मौजूदा उपकरणों से कई गुना ज्यादा है। यह कमाल कर दिखाया है नव विकसित नैनो साइंस विभाग के वैज्ञानिकों ने। अब ऐसे फिल्टर बनाये जा सकेंगे जो औद्योगिक प्रदूषण को तो रोकेंगे ही, पानी से बैक्टीरिया भी छान निकालेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की विशेष रुचि पर यहां शुरू हुए नैनो साइंस विभाग में नैनो साइंस के विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष शर्मा व डॉ. निशीथ वर्मा के संयुक्त प्रयासों से कई महत्वपूर्ण शोध हो रहे हैं, जिसमें से एक है कार्बन के नैनो फाइबर [रेशे] बनाने का काम। इन रेशों से कारों सहित दूसरी गाड़ियों, एयर कंडीशनरों व दूसरे संयंत्रों तथा पानी को शुद्ध करने वाले फिल्टर तैयार किये जा सकेंगे।
प्रो. आशुतोष कहते हैं, 'ये फिल्टर गैसीय व द्रवीय पदार्थो में मिश्रित हानिकारक कार्बन कणों, सल्फर व नाइट्रोजन के आक्साइड आदि को बिलकुल साफ कर सकेंगे। औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाले सभी तरह के कणों को भी वातावरण में नहीं घुलने देंगे।
कार्बो नैनो फाइबर से तैयार फिल्टर की शुद्धता शत प्रतिशत होगी। कानपुर के भूगर्भ जल में जहां क्रोमियम और कुल घुलनशील लवणों [टीडीएस] की मात्रा बहुत ज्यादा है। वहीं राजस्थान के कई हिस्सों के पानी में फ्लोराइड तो पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा इतनी अधिक रहती है कि उनसे जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। पानी में कई तरह ऐसे बैक्टीरिया रहते हैं जो पाचनतंत्र को तुरंत प्रभावित करते हैं। उन्हें पानी को उबाल कर अथवा सामान्य फिल्टर से दूर नहीं किया जा सकता है।
कार्बो नैनो फिल्टर फ्लोराइड व आर्सेनिक से तो निजात दिलायेंगे ही, बैक्टीरिया भी छान देंगे। यह स्वास्थ्य रक्षा के लिए एक बड़ा कदम होगा। इन फिल्टरों का घरों से लेकर बड़े बड़े कारखानों में भी उपयोग किया जा सकेगा। कार्बो नैनो फाइबर फिल्टर को व्यवसायिक रूप देने के बाबत डॉ. शर्मा कहते हैं, 'आईआईटी की कुछ कंपनियों से वार्ता हो रही है। कौन सी कंपनी फिल्टर तैयार करती है। लागत उसी पर निर्भर करेगी। हां! इतना तय है कि उन पर परंपरागत फिल्टर से अधिक खर्च नहीं आएगा। बड़ी मात्रा में तैयार करने पर उसकी लागत घटाई जा सकेगी।'
साभार - जागरण-याहू
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