बाढ़ै पूत पिता के धर्मे।
खेती उपजै अपने कर्मे।।
भावार्थ- घाघ का मानना है कि पुत्र पिता के धर्म से फलता-फूलता है और खेती अपने कर्म से अच्छी होती है।
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