बाध, बिया, बेकहल, बनिक, बारी, बेटा, बैल।
ब्यौहार, बढ़ई, बन बबुर, बात सुनो यह छैल।।
जो बकार बारह बसैं, सो पूरन गिरहस्त।
औरन को सुख दे सदा, आप रहै अलमस्त।।
शब्दार्थ- बाध-चारपाई बुनने के लिए मूँज की बड़ी पतली रस्सी। बेकहल-पटुए या सन की छाल। बारी-बगीचा। ब्योहार-उधार या सूद पर पैसा देने वाला। बन-कपास।
भावार्थ- बाध, बीज, बेकहल, (पटुए या सन की छाल) बनिया, बारी, बेटा, बैल, ब्यौहार, बढ़ई, बन, बबूल और बात ये बारहों बकार जिसके पास हों वही पूरा गृहस्थ है। वही व्यक्ति दूसरों को सुख दे सकता है और स्वयं भी सुखी एवं निश्चिन्त रह सकता है।
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