बिहार में इस वर्ष बाढ़ विकराल रूप में है। सरकार द्वारा इसके बचाव व राहत के कार्य किये जा रहे हैं। सरकार द्वारा राहत, बचाव, सहाय्य अनुदान वितरण इत्यादि कार्यों के लिये मानक तय किया गया है। साथ ही मानक संचालन प्रक्रिया एस.ओ.पी. भी बनाई है जिसके तहत बाढ़ पूर्व तैयारियाँ, बाढ़ के दौरान कार्य व बाढ़ के बाद के कार्य संचालित होने हैं। बाढ़ पीड़ितों व प्रभावित लोगों की जनजागरूकता के लिये प्रमुख जानकारियाँ दी जा रही है। आपदा विभाग ने राज्य में नियंत्रण कक्ष के नं. जारी किया है पटना में (SEOC) टोल फ्री 1070 है।
सामुदायिक रसोई का संचालन
आपदा विभाग के प्रधान सचिव ने पत्रांक 2359 दिनांक 14.08.2017 द्वारा बाढ़ प्रभावित जिलों के जिला पदाधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा है कि जो लोग बाढ़ में फँसे हैं और प्रशासन की कोशिशों के बावजूद निकल नहीं रहे हैं वहाँ उच्च स्थान पर सामुदायिक रसोई चालू किया जाय जहाँ सभी को दोनों समय भोजन तैयार कर खिलाया जाएगा। यदि वहाँ ऐसी स्थिति है कि लोग घर की छतों पर बैठे हैं फिर भी निकल नहीं रहे हैं ऐसे में उन लोगों को नाव से लाकर दोनों समय भोजन दिन में ही कराया जाय और नाव से उन्हें वापस भेज दिया जाय।
फूड पैकेट : ऐसा भी निर्देश है कि जो लोग बाढ़ राहत शिविरों या ऊपर की दोनों व्यवस्थाओं के लाभ नहीं ले पा रहे हैं उनके लिये सूखा राशन की जगह फूड पैकेट में भोजन सामग्री प्रत्येक परिवार को दी जायेगी। एक फूड पैकेट में 5 किलो चावल, 1 किलो दाल, 2 किलो आलू और नमक हल्दी का छोटा पैकेट होगा। जिला पदाधिकारी के देख-रेख में पैकिंग होगी और जरूरत के हिसाब से एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के माध्यम से वितरित की जाएगी।
राहत कार्य शिविर की व्यवस्था
राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण सभी प्रकार की आपदाओं के दौरान स्थापित किये जाने वाले राहत शिविरों में आपदा पीड़ितों के लिये शरण स्थल, भोजन, पेयजल, चिकित्सा सुविधा एवं स्वच्छता के सम्बन्ध में निर्धारित न्यूनतम मानदर तय किया है। साथ ही इसके सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के वाद संख्या 444/2013 में आये निर्देश के आलोक में बिहार आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा पत्रांक 1202 दिनांक 17.03.16 द्वारा मानदर निर्धारित किया गया है। जो निम्न है-
राहत शिविरों में शरण स्थल : राहत शिविरों में सभी लोगों के लिये कम-से-कम 3.5 वर्ग मीटर ढका हुआ प्रकाशित क्षेत्र होना चाहिए। जिसमें सुरक्षा, निजता खासकर महिलाओं, विधवा, विकलांग की होनी चाहिए। दरी चटाई की व्यवस्था की जायेगी। रोशनी के लिये भाड़े के जेनरेटर की व्यवस्था भी करने का प्रावधान है।
भोजन : सभी को दोनों समय पका हुआ पौष्टिक भोजन दिया जायेगा। प्रत्येक व्यक्ति वयस्क 500 ग्राम, अवयस्क 200 ग्राम चावल, 100 ग्राम दाल, 200 ग्राम आलू व अन्य सामग्री होनी चाहिए। प्रत्येक पुरुष/महिला 2400 किलो कैलोरी व बच्चों के लिये 1700 किलो कैलोरी निर्धारित है। बासी भोजन का इस्तेमाल नहीं होगा।
बच्चों के लिये दूध-5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये दो समय दूध की व्यवस्था होगी। दुग्ध, डेयरी उत्पादों, भोजन सामग्री में प्रयुक्त डिब्बाबन्द पदार्थों के एक्सपायरी का विशेष ध्यान रखना है। भोजन बनाने के कार्य में लगने वाले शिविर के व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक का भुगतान तय दर से किया जाएगा।
पेयजल : हाथ धोने व अन्य कार्य छोड़कर पेयजल के रूप में कम-से-कम 3 लीटर साफ पानी प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध कराया जायेगा। स्वच्छता की स्थिति नहीं रहने पर उसकी मात्रा दोगुनी होगी। नहाने व शौचालय में कम-से-कम 15 लीटर पानी की व्यवस्था की जाएगी। टेप पेय जलस्रोतों की दूरी 500 मीटर तक ही होगी।
शौचालय व स्वच्छता : 30 व्यक्तियों पर एक शौचालय की व्यवस्था की जायेगी। महिला, बच्चों के लिये अलग शौचालय व स्नानागार होगा। हाथ धोने व सफाई की पूरी व्यवस्था होगी। साबुन, डिटर्जेन्ट, फिनाइल की व्यवस्था होगी। सेनिटरी नैपकिन, डिग्नीटी किट्स उपलब्ध कराने के बारे में भी कहा गया है। दूरी 50 मीटर से अधिक नहीं होगी। गन्दगी प्रवाहित होने वाली नालियाँ भूगर्भीय व जलस्रोतों से दूर होगी। शौचालयों के पीट भी भूगर्भीय जलस्रोत से 30 मीटर की दूरी पर होगा।
चिकित्सा के लिये दवा के साथ डॉक्टर उपस्थित रहेंगे। मोबाइल मेडिकल टीम की व्यवस्था होगी। लम्बे समय तक चलने वाले शिविरों में मनोवैज्ञानिक चिकित्सक की व्यवस्था होगी। प्रसव की बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध होंगी। मास कैजुअल्टी से बचने के लिये एडवांस कैजुअल्टी प्लान बनाने की बात की गई है। विधवा व अनाथ हुए बच्चों का सम्पूर्ण विवरण कैम्प में दर्ज होगा। यदि आर्थिक रूप से कमजोर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो दाह संस्कार की राशि भी दी जायेगी। परन्तु अनुग्रह अनुदान से उतनी राशि काट ली जाएगी। ऐसे लोगों के अनुग्रह अनुदान राशि का भुगतान आवश्यक जाँचोपरान्त 45 दिन में करनी है।
शिविर में सुरक्षा के लिये आरक्षी बल उपस्थित रहेंगे। संचार की व्यवस्था होगी। हेल्पलाइन नम्बर, कॉन्टैक्ट नम्बर व अन्य जानकारियाँ कैम्पों में व बाहर प्रदर्शित/दिखलाई जायेगी।
नोट : राहत शिविरों की सुविधाओं के तय मानदर को लागू करने के सम्बन्ध में विभाग द्वारा कहा गया है कि उपरोक्त का अनुपालन बाढ़ या आपदा आने के दिन से ही कोशिश किया जायेगा परन्तु आपदा के 11वें दिन से शत-प्रतिशत अनुपालन होगा।
भारत सरकार के पत्र संख्या 32-7/2014 एन.डी.एम.-1 दिनांक 08.04.15 द्वारा निर्धारित मानदर विभागीय अधिसूचना संख्या 1418 दिनांक 17.04.15 द्वारा आपदाओं के लिये 2015 से 2020 तक के लिये राज्य में तय मानदर निम्न है-
अनुग्रह अनुदान (मृतक व घायल होने पर)
(क) मृतकों के परिवारों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान- 4 लाख रुपये प्रति मृतक व्यक्ति है (सक्षम प्राधिकार द्वारा मृत्यु के कारणों का प्रमाणीकरण किया जाएगा।)
(ख) हाथ-पैर या आँख के क्षति होने पर अनुग्रह अनुदान का भुगतान-59100 रुपये प्रति व्यक्ति जब विकलांगता 40 से 60 प्रतिशत के बीच हो।
अथवा 2 लाख रुपये प्रति व्यक्ति जब विकलांगता 60 प्रतिशत से अधिक हो। (बसर्ते सरकारी अस्पताल/डिस्पेंसरी द्वारा विकलांगता की सीमा व कारण प्रमाणीकरण किया गया हो।)
(ग) गम्भीर चोट जिसके चलते हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़े-12700 प्रति व्यक्ति (एक सप्ताह से अधिक हॉस्पिटल में भर्ती रहने पर) व 4300 प्रति व्यक्ति (एक सप्ताह से कम हॉस्पिटल में भर्ती रहने पर) वस्त्र व बर्तन इत्यादि क्षतिग्रस्त होने पर
(घ) जिन परिवारों का वस्त्र एवं बर्तन/घरेलू समान पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो या एक सप्ताहह से अधिक की अवधि के लिये आपदा में जल पल्वित हो- 1800 प्रति परिवार वस्त्र की क्षति के लिये व 2000 रुपये प्रति परिवार बर्तन/घरेलू सामान की क्षति के लिये।
अति जरूरतमन्द परिवार को अनुग्रह अनुदान
(ङ) ऐसे बाढ़ या आपदा से पीड़ित जो शिविर में नहीं रहे हैं उनको 60 रुपये प्रति वयस्क व्यक्ति की दर से और 45 रुपये प्रति बच्चा की दर से अनुग्रह अनुदान मिलेगा। यह 30 दिनों के लिये होगा। बाद में स्थिति को देखते हुए सरकार इसे 30 दिन और बढ़ा सकती है।
नोट : राज्य सरकार सभी बाढ़ पीड़ितों के इसी मानदर के अनुसार प्रति परिवारों को एक कुन्तल खाद्यान्न (50 किलो गेहूँ, 50 किलो चावल) और 3000 नगद देती है। पिछले वर्ष आई बाढ़ के समय खाद्यान्न नहीं देकर उसके लिये भी 3000 रुपये दी थी अर्थात अनाज के नहीं मिलने की स्थिति में 6000 रुपये।
खोज एवं बचाव कार्य
सरकार सभी बाढ़ या आपदा में फँसे व्यक्तियों को नाव व बचाव दल के द्वारा खोज व बचाव कार्य करेगी इसके लिये नार्वे, नाविक, खोजी व रक्षादल की तैनाती भी सरकार द्वारा होता है। कोई खर्च पीड़ित को नहीं देना होगा।
प्रभावित क्षेत्र की सफाई
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की में मलबे की सफाई, बाढ़ के पानी की निकासी, मानव व मृत पशुओं के शवों का निष्पादन भी सरकार द्वारा होता है।
कृषि
2 हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमिधारक कृषकों को सहायता कृषि योग्य भूमि का डिसिल्टिंग (जहाँ बालू/सिल्ट का जमाव 3 इंच से अधिक हो और सक्षम पदाधिकारी द्वारा सत्यापित हो) और सरकार के किसी अन्य योजना या सब्सिडी न प्राप्त करने के योग्य हो या पा लिया हो- 12,200 प्रति हेक्टेयर प्रत्येक मद में।
नदियों के मार्ग बदलने के कारण भूमि के बड़े हिस्से की क्षति : प्रभावित भूमि के राजस्व अभिलेखों में मालिक लघु व सीमान्त किसानों को 37500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से दिया जाएगा।
इनपुट सब्सिडी
जहाँ फसल क्षति 33 प्रतिशत या उससे अधिक हुआ हो-
कृषि फसल, रोपने वाली फसल एवं वार्षिक वृक्षारोपण वाले फसल आदि के लिये- 6800/प्रति हेक्टेयर वर्षा आधारित फसल के लिये। 13500/प्रति हेक्टेयर सुनिश्चित सिंचाई आधारित फसल के लिये। बुआई वाले क्षेत्र के लिये सहाय्य 1000 रुपये से कम नहीं दी जायेगी। शाश्वत फसल के लिये- 18000/- प्रति हेक्टेयर की दर से। बुआई वाले क्षेत्र के लिये साहाय्य राशि 2000/- रुपये से कम नहीं होगी।
नोट : दो हेक्टेयर से अधिक किसानों को भी (दो हेक्टेयर प्रति कृषक देय होगी)
सेरी कल्चर (रेशम) के लिये- 4800/- रुपये प्रति हेक्टेयर इरी, मलबेरी एवं तसर के लिये। और 6000/- रुपये प्रति हेक्टेयर मूँगा के लिये।
पशुपालन-लघु एवं सीमान्त किसानों को सहायता
दूध देने वाले जानवर : गाय/भैंस/ऊँट इत्यादि- 30000 रुपये/- की दर से भेड़/बकरी-3000 रुपये/- की दर से।
अदुग्धकारी जानवर : ऊँट/घोड़ा/बैल इत्यादि-25000 रुपये प्रति की दर से। बछड़ा/गदहा और टट्टू- 16000 रुपये प्रति की दर से। सहाय्य आर्थिक रूप से उत्पादक जानवरों की वास्तविक क्षति के अनुसार सीमित होगी और यह 3 बड़े दुग्धकारी जानवर या 30 छोटे दुग्धकारी जानवर या 3 बड़े अदुग्धकारी जानवर या 6 छोटे दुग्धकारी जानवर प्रति परिवार तक सीलींग के अन्तर्गत होगी। चाहे जानवरों के क्षति की संख्या बड़ी क्यों न हो। क्षति राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट सक्षम पदाधिकारियों द्वारा प्रमाणित की जायेगी।
पोल्ट्री : पोल्ट्री चिड़िया की मृत्यु प्राकृतिक आपदा में हुई हो तो 50 रुपये प्रति चिड़िया की दर से यह सहायता प्रत्येक लाभुक परिवारों को 5000/- रुपये की अधिकतम सीमा।
पशु शिविरों में पशुचारा सहित जलापूर्ति व औषधि हेतु-
बड़ा पशु 70 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन की दर से और 35 रुपये प्रति छोटा पशु प्रतिदिन की दर से एक माह के लिये जिसे स्थिति को देखते हुए पुनः सरकार एक माह बढ़ा सकती है।
पशु शिविरों के बाहर पशुचारा का परिवहन- वास्तविक परिवहन लागत के अनुरूप सरकार द्वारा तय और पशु गणना के आकलन पर आधारित होगा।
मछुवारों के लिये नाव, जाल आदि का मरम्मती/पुनर्स्थापन
4100/- रुपये आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त नाव के लिये।
2100/- रुपये आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त जाल के लिये।
9600/- रुपये पूर्णतः क्षतिग्रस्त नाव के प्रतिस्थापन के लिये।
2600/- रुपये पूर्णतः क्षतिग्रस्त जाल के प्रतिस्थापन के लिये।
मछली जीरा फार्म के लिये इनपुट- रुपये 8200 प्रति हेक्टेयर किसी अन्य योजना में लाभ नहीं मिला हो।
हस्तशिल्प/हस्तकरघा- कारीगरों के लिये सहायता क्षतिग्रस्त उपकरणों के प्रतिस्थापन के लिये- 4100/- रुपये प्रति शिल्पी कच्चे माल/प्रक्रियाधीन माल/तैयार माल के क्षति के लिये- 4100/- रुपये प्रति शिल्पी (राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट पदाधिकारी द्वारा सत्यापित हो।)
आवास व मकान पूर्णतया/अत्यधिक क्षतिग्रस्त अथवा ध्वस्त मकान- पक्का व कच्चा 95000 रुपये प्रति घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकान- पक्का- रुपये 5200 प्रति मकान व कच्चा- रुपये 3200 प्रति मकान। क्षतिग्रस्त/बर्बाद झोपड़ी-रुपये 4100 प्रति झोपड़ी घर के साथ संलग्न पशुशेड- रुपये 2100 प्रति पशुशेड (राज्य सरकार के सक्षम पदाधिकारी द्वारा सत्यापित हो।)
नोट : आपदा के समय जारी नियंत्रण कक्ष नं. पूर्णिया- 06454 241555/243000, किशनगंज-06456 223452/223453, अररिया- 06453 222209, कटिहार- 06452 239025/239026, दरभंगा-06272 240600, मधुबनी-06276 222576, पूर्वी चम्पारण-06252 242418, पश्चिमी चम्पारण-06254 242534, मुजफ्फरपुर-0621 2212007 शिवहर-0622 257360, सीतामढ़ी- 06226 250316 है मधेपुरा के आपदा प्रभारी-8986165706 एडीएम आपदा-9473191354, सुपौल के आपदा प्रभारी-8544412401 व एडीएम आपदा-9430513297 सहरसा के आपदा प्रभारी-9431818433 व एडीएम आपदा 9431818376 से सम्पर्क किया जा सकता है। आपदाग्रस्त व पानी से डूबे क्षेत्रों के लिये नावें भी आवंटित हैं जिससे निकल सकते हैं सम्बन्धित अंचल के अंचल पदाधिकारी इसकी जानकारी देंगे। आपदा प्रभारी, अनुमण्डल पदाधिकारी व एडीएम आपदा या जिला पदाधिकारी या राज्य में आपदा प्रबन्धन विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं।
(उपरोक्त मानकदर के आधार पर अपनी राहत की माँग करें। इसे अन्य लोगों को भी बतायें। इसका अनुपालन नहीं होने भ्रष्टाचार होने अथवा लाभ से वंचित होने की स्थिति में आपसी एकता व जनदबाव से इन अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं।)
निवेदक- कोसी नव निर्माण मंच व जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)
कोसी नव निर्माण मंच एक जनसंगठन है जो क्षेत्र के लोगों को आपदाओं के राहत व पुनर्वास के साथ उनके अधिकारों को दिलाने, किसानों व पलायन मजदूरों के हितों के लिये संघर्षरत है। समता, सादगी, स्वावलम्बन, धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को अपनाते हुए शान्तिमय संघर्षों को मानता है। मंच समाज में लोगों के भागीदारी पूर्ण गहरे लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना व जन विकास के साथ कोसी अंचल के नव निर्माण की पृष्ठभूमि बनाने की कोशिश में लगा है। यदि उपरोक्त बुनियादी मूल्यों से सहमत हों तो आप स्वेच्छा से इसके साथ जुड़ सकते हैं।
सम्पर्क करें
महेन्द्र यादव
9471234559, 9973868981, 8210315975, 9631320961, 7903115758, 9931466671
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