किशन गौड़
बाड़मेर. जिले के लोग पिछले कई सालों से लगातार जहर जैसा पानी पीने को मजबूर हैं। यह उनके शरीर को खोखला करता जा रहा है। ऐसा भूगर्भीय जल में हानिकारक केमिकल्स की बेतहाशा बढ़ती जा रही मात्रा के कारण हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष लोगों को सप्लाई किए जाने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 पीपीएम थी, जो इस वर्ष बढ़कर 2.5 से 3 पीपीएम तक जा पहुंची है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड से बाड़मेर में लोगों को पीने के लिए मिल रहे पानी की तुलना करने पर भयावह स्थिति सामने आती है। बाड़मेर सहित बालोतरा, पचपदरा, चौहटन, शिव, गुड़ामालानी, सिवाना, बायतु आदि क्षेत्रों के पानी की जिला मुख्यालय पर बनी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की प्रयोगशाला में समय-समय पर जांच की गई। इसमें पाया गया कि पानी में फ्लोराइड, क्लोराइड, नाइट्रेट व टीडीएस की मात्रा बढ़ती जा रही है।
इसलिए पैदा हुए हालात
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पानी में तेजी से बढ़ती जा रही केमिकल्स की मात्रा का कारण भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन है। क्षेत्र में बारिश काफी कम होती है इसलिए पानी का पुनर्भरण इस तेजी से नहीं हो पा रहा है।
नहरी पानी से मिलेगी निजात
बाड़मेर शहर में जलापूर्ति के लिए भाड़खा के नलकूपों से महावीर नगर, लक्ष्मी नगर व शास्त्री नगर में बनी टंकियों में पानी आता है।इनसे पानी की आगे सप्लाई की जाती है। बाड़मेर लिफ्ट केनाल, पोकरण-फलसूंड उम्मेद सागर-धवा-समदड़ी-बालोतरा-सिवाना परियोजना, गडरा नहर, नर्मदा नहर आदि पेयजल परियोजनाओं का काम चल रहा है। इनका मीठा पानी आने पर ही लोगों को समस्या से निजात मिल सकेगी।
साभार - भास्कर न्यूज .
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