अवैज्ञानिक व्यवहार ने नष्ट किया गंगाजल का चारित्रिक गुण

एनइइआरआई (नेशनल इंवायरमेंटल इंजीनियरिंग आफ रिसर्च इंस्टीच्यूट, नागपुर) द्वारा वर्ष 2011 में जारी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि टिहरी डैम बन जाने के कारण भागीरथ नदी के जलगुण 90 फीसदी नष्ट हो चुके हैं लेकिन गंगा की दूसरी प्रमुख सहायक नदी अलकनंदा के जल में वो सारे चारित्रिक गुण मौजूद हैं जो भागीरथ में थे। इस रिपोर्ट के जारी होते ही महासभा अलकनंदा को प्रोजेक्टों से बचाने में लग गयी। बताया कि गंगा का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि मूल नदी भागीरथ पर मनेरीभाली फेस-1, फेस-2 के अलावा टिहरी डैम और इसके नीचे कोटेश्वर डैम बना कर गंगा की धारा को कमजोर कर दिया गया।

अपने वजूद से जूझ रही गंगा को बचाने के लिए भारत सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी के खिताब से नवाज कर अरबों रुपये की थैली खोल दी है लेकिन दशा सुधरने के बजाए और बिगड़ती ही जा रही है। जानकारों का कहना है कि सिर्फ और सिर्फ अवैज्ञानिक व्यवहार के ही चलते गंगाजल के सारे चारित्रिक गुण नष्ट होते जा रहे हैं और गंगा सूख कर नाले का रूप अख्तियार करती जा रही हैं। गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक गंगा के हितों की अनदेखी कर जिस तरह से एक के बाद एक बांधों की श्रृंखला तैयार की जा रही है और इसके जल का जिस कदर बंदरबांट किया जा रहा है वह अपने आप में इस बात का सबूत है कि हरिद्वार के बाद गंगा का भविष्य चंदरोजा है। गंगा को लेकर तपस्या पर उतारू संत समाज में इस बात को लेकर आक्रोश है कि बांधों की श्रृंखला बना कर गंगा की मूल नदी भागीरथ के जलगुणों को तो नष्ट कर ही दिया गया है, अब गंगा की दूसरी मुख्य सहायक नदी अलकनंदा, मंदाकिनी पर तीन प्रोजेक्टों को स्वीकृति दे कर इसके जल प्रवाह को भी बांधने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

गंगा महासभा की हालिया अध्ययन रिपोर्ट पर यकीन करें तो अलकनंदा, मंदाकिनी पर स्वीकृत परियोजानाओं को मूर्तरूप लेते ही गंगा में न केवल बचे-खुचे जलगुण नष्ट हो जाएंगे वरन गंगा को नाले में तब्दली होने से भी कोई नहीं बचा सकेगा। गंगा महासभा संगठन के महासचिव गोविंद शर्मा कहते हैं कि गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए पैसों के नजरिए से नहीं मां के नजरिए से देखना होगा। वजह, गंगा महज नदी नहीं बल्कि मानवजाति के लिए प्रकृति का अद्भुत वरदान है। अपने विशिष्ट चरित्र के ही चलते संपूर्ण विश्व में आकर्षण व शोध की केंद्र है। खासतौर से आत्मशुद्धि और रोगकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की जो क्षमता गंगाजल में वह अन्य किसी भी जल में नहीं है। एनइइआरआई (नेशनल इंवायरमेंटल इंजीनियरिंग आफ रिसर्च इंस्टीच्यूट, नागपुर) द्वारा वर्ष 2011 में जारी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि टिहरी डैम बन जाने के कारण भागीरथ नदी के जलगुण 90 फीसदी नष्ट हो चुके हैं लेकिन गंगा की दूसरी प्रमुख सहायक नदी अलकनंदा के जल में वो सारे चारित्रिक गुण मौजूद हैं जो भागीरथ में थे।

इस रिपोर्ट के जारी होते ही महासभा अलकनंदा को प्रोजेक्टों से बचाने में लग गयी। बताया कि गंगा का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि मूल नदी भागीरथ पर मनेरीभाली फेस-1, फेस-2 के अलावा टिहरी डैम और इसके नीचे कोटेश्वर डैम बना कर गंगा की धारा को कमजोर कर दिया गया। इसके नीचे देवप्रयाग से हरिद्वार तक ऋषिकेश-चिल्ला बैराज, भीमगौड़ा बैराज के जरिए भागीरथ से आ रहे गंगाजल के रहे-सहे जलगुण को भी नष्ट कर दिया गया। इतना ही नहीं अपनी प्राकृतिक मौलिकता का 90 फीसदी गुण खोने के बाद हरिद्वार में भागीरथी का न्यूनतम प्रवाह तकरीबन 12 हजार क्यूसेक है लेकिन इसमें से तकरीबन 11 हजार 400 क्यूसेक गंगा का जल सिंचाई, पेयजल के नाम पर ऊपरी गंगा कैनाल में डाइवर्ट कर दिया जाता है। नीचे की गंगा के नाम पर महज 600 क्यूसेक छोड़ा जाता है। इसके बाद भी गंगा को दुर्गति से मुक्ति नहीं मिलती।

हरिद्वार के बाद गंगा आसपास के भूमिगत जल और रास्ते में मिलने वाली दूषित नदियों के बूते अपना थोड़ा बहुत वजूद बनाते हुए जब नरौरा पहुंचती हैं तो वहां गंगा का न्यूनतम प्रवाह 6500 क्यूसेक हो जाता है। यहां भी सिंचाई के नाम पर इस नदी से 63 सौ क्यूसेक पानी निकाल कर लोवर कैनाल के हवाले कर दिया जाता है और गंगा को बड़े-बड़े नालों के हवाले। चौकाने वाली बात यह भी है कि कुंभ के समय जब हो हल्ला होता है तो गंगा में शारदा सहायक और रामगंगा का पानी छोड़ दिया जाता है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रयाग होते हुए काशी तक आनेवाली गंगा में कितना गंगाजल होगा।

आश्वस्त होने के बाद ही करेंगे विश्वास


गंगाप्रेमी भिक्षु जी के हालत की जायजा लेते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जीगंगाप्रेमी भिक्षु जी के हालत की जायजा लेते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जीअविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सरकार ने अलकनंदा पर निर्माणाधीन दो परियोजनाओं का निर्माण फिलहाल रोक दिया है। इसकी जानकारी गुरुवार को सरकार के नुमाइंदो ने मौखिक तौर पर दी है लेकिन इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है लिहाजा मौखिक बातों पर भरोसा करने के बजाए मौके पर जा कर इसकी पुष्टि की जाएगी कि मांगों के अनुरूप काम रोका गया है अथवा नहीं। इसके लिए शुक्रवार को गंगा सेवा अभियानम् का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अलकनंदा जाएगा। प्रतिनिधिमंडल जो रिपोर्ट देगा उस पर न केवल यकीन किया जाएगा वरन् 17 अप्रैल की राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में शरीक होने और उसके लिए एजेंडा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

स्वामी जी ने बताया कि अधिकृत जानकारी लेने के लिए उत्तराखंड गंगा सेवा अभियानम् के प्रमुख पं. प्रेमदत्त नौटियाल, प्रदेश समन्वयक ब्रजेश, प्रदेश प्रमुख श्रीधरआनंद, सेवासंद प्रकाश रावत, विजय वर्मा को नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि वादे के मुताबिक मंगलवार तक काम न रोके जाने से क्षुब्ध स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बुधवार को साधु-संतों से इस मसले पर वार्ता करने के लिए वाराणसी से रायपुर रवाना हो गए थे। वहां स्वामी सानंद की तपस्या पुन: शुरू कराने और 17 अप्रैल की बैठक का बहिष्कार करने के मुद्दे पर गुरुवार को चर्चा शुरू होने ही वाली थी कि सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई कि अलकनंदा पर काम रोक दिया गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि यदि काम मंशा के मुताबिक रोका गया है तो विश्वास आगे बढ़ेगा अन्यथा स्वामी सानंद की तपस्या जारी करने और बैठक के बहिष्कार का निर्णय किया जाएगा।

तपस्यारत गंगाप्रेमी का रक्तचाप सामान्य से नीचे


गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत गंगाप्रेमी भिक्षु का रक्तचाप लगातार गिरता जा रहा है। गुरुवार को उनका रक्तचाप 100/60 आंका गया। चिकित्सकों के अनुसार सामान्य से काफी नीचे है और इसका शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वहीं नब्ज की रफ्तार 60 और वजन 35 किलो था। मंडलीय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीबी सिंह के अनुसार स्वास्थ्य स्थिर है लेकिन पौष्टिक आहार की कमी से कमजोरी बढ़ती जा रही है। यह भी बताया कि तपस्यारत गंगाप्रेमी के स्वास्थ्य की जानकारी ऊपर के अधिकारियों को दे दी गई है। इधर, गंगाप्रेमी के सेवकों ने बताया कि भिक्षु जी कुछ बेचैनी महसूस कर रहे हैं। वह तड़के तीन बजे ही उठ गए। थोड़ी देर बैठे रहे फिर श्रीमद्भागवत कथा सुनने की इच्छा जाहिर की। अस्पताल में उनके साथ मौजूद पं. रूपेश तिवारी ने उन्हें कथा सुनाई। इसके बाद उन्होंने लैपटॉप पर श्रीकृष्ण लीला का वीडियो भी देखा। सुबह जब चिकित्सक उनके स्वास्थ्य की जांच करने आए तो गंगाप्रेमी ने डॉक्टरों से हाथ जोड़ कर डिप निकालने का अनुरोध किया और बताया कि इससे उन्हें घबड़ाहट हो रही है। विश्वास दिलाया कि उन्हें कुछ नहीं होगा। इसके पहले वह हिमालय की कंदराओं में अन्न-जलत्याग तपस्या कर चुके हैं।

अस्पताल में पंडित रूपेस जी से गंगाप्रेमी भिक्षु जी भागवत कथा सुनते हुएअस्पताल में पंडित रूपेस जी से गंगाप्रेमी भिक्षु जी भागवत कथा सुनते हुएअभी कुछ वर्ष पूर्व ही शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के गंगा अभियान के दौरान काशी में भी निर्जल तपस्या की थी। उनकी बात सुनने के बाद चिकित्सकों ने स्वास्थ्य व जिम्मेदारी का हवाला देते हुए डिप निकालने से इन्कार कर दिया। मेडिकल जांच में कीटोन बॉडी पॉजिटिव पाई गई।

तपस्या के समर्थन में रामनगर की गंगा आरती बंद


शंकराचार्य घाट स्थित तपस्या पीठ पर सांकेतिक तपस्या करने और समर्थन देने वालों का तांता गुरुवार को भी जारी रहा। इस क्रम में केंद्रीय देव दीपावली समिति के उपाध्यक्ष श्रीनारायण द्विवेदी ने आज तपस्यास्थल पर उपवास किया और गंगा की दुर्दशा से क्षुब्ध हो कर 30 मार्च से 17 अप्रैल तक रामनगर में होने वाली भव्य गंगा आरती को बंद करने की घोषणा की। स्पष्ट किया कि रामनगर के बलुआघाट पर अब सिर्फ सांकेतिक आरती ही की जाएगी। साथ ही यह भी एलान किया कि अब वह बाबा विश्वनाथ को सीवर मिश्रित गंगाजल नहीं चढ़ाएंगे। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र नेता महेंद्र सिंह मोनू की अगुवाई में काफी संख्या में छात्रों का दल शंकराचार्य घाट पहुंचा और गंगा अभियान में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की घोषणा की। कहा, चाहे बनारस बंद का मसला हो अथवा धरना-प्रदर्शन या फिर उपवास का विद्यापीठ के छात्र पीछे नहीं रहेंगे। छात्र नेताओं में प्रमुख रूप से राधेश्याम, कौशल मिश्र, अतुल राय, नीरज, विनोद यादव, रविकांत राय आदि शामिल थे।

गौरी केदार सेवा समिति के प्रबंधक गौरव प्रकाश के नेतृत्व में गंगाभक्तों का दल तपस्या स्थल पर पहुंचा। गंगा निर्मलीकरण अभियान का समर्थन किया और एलान किया कि गंगा को गंगा का रूप दिलाने के लिए समिति के लोग हर स्तर पर मदद के लिए तैयार हैं। आदर्श भारतीय संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय चौबे ने गंगा के लिए जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा की। अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय ने उपवास करने वालों को माल्यार्पण कर उनके सांकेतिक उपवास का शुभारंभ कराया। कहा, सरकार ने अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन परियोजनाओं को फिलहाल रोक दिया है। यह गंगा के सवाल पर काशी के लोगों की एकजुटता का ही परिणाम है।

यतीन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि गंगा महज नदी नहीं बल्कि गंगा से जुड़ी करोड़ो-करोड़ लोगों की गहरी आस्था का है। वैसे भी गंगा मानवजाति के लिए प्रकृति का अद्भुत वरदान है। इसकी पवित्रता की रक्षा करना सबका दायित्व है।उन्होंने सरकार से कहा कि वह तपस्वियों के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। आध्यात्मिक उत्थान मंडल (महिला शाखा) की सदस्याओं ने रोज की भांति आज भी शंकराचार्य घाट के तपस्या पीठ की कमान संभाल रहे ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद के समक्ष श्रीरामचरित मानस का पाठ किया। तपस्या में हिस्सेदारी निभाने वालों में ओमप्रकाश पाण्डेय, प्रभुनाथ पाण्डेय, विद्यासागर एडवोकेट, बालेश्वर तिवारी, मनोज उपाध्याय, दिनेश गुप्ता, रमेश चोपड़ा, रमेश उपाध्याय, आरके धवन, राजेश कुमार सिंह, संजय चौरसिया, केदारनाथ आदि शामिल थे।

संतों के समर्थन में छात्रों ने निकाला जुलूस


मां गंगा अविरल धारा के लिए संघर्षरत् संतों के समर्थन में गुरुवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों ने गेट नंबर एक से जुलूस निकाला। इस दौरान गंगा की निर्मल व अविरल धारा सुनिश्चित कराने के लिए हर स्तर पर ठोस व कारगर पहल करने का संकल्प लिया गया। छात्रों ने हाथों में ‘गंगा हमारी माता है, सबकी जीवनदाता है’, ‘गंगा को बंधनमुक्त करो-मुक्त करो’ ‘मॉ गंगा करें पुकार बंद करों यह अत्याचार’ आदि स्लोगन लिखे तख्तियां लेकर चल रहे थे। छात्रों का जुलूस केदारघाट तक गया। वहां जाकर छात्रों ने स्वामी जी को आंदोलन का समर्थन किया। जुलूस में महेश सिंह ‘मोनू’ हर्षित सिंह, कौशल सिंह, प्रतीक सिंह, गौरव प्रकाश, राधेश्याम, मानवेंद्र सिंह सहित अन्य छात्र शामिल थे।

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