आठ कठौती माठा पीवै, सोरह मकुनी खाइ।
उसके मरे न रोइये, घर के दलिद्दर जाय।।
भावार्थ- जो व्यक्ति आठ कठौता (काठ की परात) मट्ठा पीता हो, सोलह मकुनी (सत्तू भरी रोटी) खाता हो उसके मरने पर कभी भी रोना नहीं चाहिए क्योंकि उसके मरने से घर का दरिद्र ही चला जाता है।
Path Alias
/articles/atha-kathaautai-maathaa-paivaai