असामान्य है पिंडारी ग्लेशियर का पीछे खिसकना

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हिमनद क्षेत्र में हालात बहुत अच्छे नहीं रहे। पर्यावरणविद प्रकाश जोशी के अनुसार दिसम्बर व जनवरी में यहाँ बेहतर बर्फबारी हुआ करती थी, जिससे पिंडार नदी का जलप्रवाह थम सा जाता था। तापमान सामान्य से 15-20 डिग्री नीचे गिर जाता था। अब तापमान ज्यादा नहीं गिरता। जो बर्फ गिरती भी है, वह जल्द पिघल जाती है। इससे सर्दियों में जलप्रवाह बढ़ रहा है, लेकिन गर्मियों में पानी नाममात्र को भी रहेगा।

हिमालय के एक और बड़े हिमनद (ग्लेशियर) पिंडारी का अस्तित्व संकट में है। वर्तमान में यह जीरो प्वाइंट से 200 मीटर पीछे खिसक गया है। इससे पिंडर घाटी के 17 जलस्रोत भी सूखने लगे हैं। यह जानकारी उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा किये गये अध्ययन में सामने आई है।

अध्ययन दल के सदस्य प्रकाश जोशी ने बताया कि पिंडारी ग्लेशियर अब विलुप्त होने के संकेत दे रहा है। पिछले एक साल में ग्लेशियर का 200 मीटर और पीछे खिसकना बेहद चिन्ता की बात है। अब यह जीरो प्वाइंट से 700 मीटर तक पीछे खिसक चुका है। इस बार इसके पीछे खिसकने की दर औसत से बेहद अधिक है। यानी कम बर्फबारी के कारण एक ही वर्ष के भीतर ग्लेशियर के सिकुड़ने की दर कई गुना बढ़ गई है। हालात इतने विकट हो चले हैं मानो पिंडारी ग्लेशियर उद्गम पर्वतमालाओं की तलहटी पर अपना वजूद तलाश रहा है।

 

 

 

अध्ययन दल के नतीजे


गंगोत्री हिमनद जहाँ प्रतिवर्ष 22.25 मीटर पीछे खिसक रहा है, वहीं पिंडारी ग्लेशियर का 200 मीटर और पीछे खिसक जाना असामान्य है। गंगोत्री के बाद यह इस रेंज में दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। नंदादेवी व नंदाकोट पर्वतमाला की तलहटी पर ग्लेशियर का वजूद लगभग खत्म हो चुका है।

 

 

 

 

पैदल ट्रैक हुआ बर्फविहीन


रिपोर्ट के अनुसार करीब एक दशक पहले आठ किमी पूर्व फुर्किया से जीरो प्वाइंट तक सर्दियों में ट्रैकिंग बर्फ के कारण नहीं हो पाती थी। मगर वर्तमान में इस पूरे इलाके में ग्लेशियर है ही नहीं। सिर्फ पत्थर व जमीन ही दिखाई देती है।

 

 

 

 

गर्मियों में थम जायेगा जलप्रवाह


हिमनद क्षेत्र में हालात बहुत अच्छे नहीं रहे। पर्यावरणविद प्रकाश जोशी के अनुसार दिसम्बर व जनवरी में यहाँ बेहतर बर्फबारी हुआ करती थी, जिससे पिंडार नदी का जलप्रवाह थम सा जाता था। तापमान सामान्य से 15-20 डिग्री नीचे गिर जाता था। अब तापमान ज्यादा नहीं गिरता। जो बर्फ गिरती भी है, वह जल्द पिघल जाती है। इससे सर्दियों में जलप्रवाह बढ़ रहा है, लेकिन गर्मियों में पानी नाममात्र को भी रहेगा। यह भविष्य के लिये अच्छा संकेत नहीं है।

 

 

 

 

सूखने लगे पिंडार नदी के स्रोत


नंदादेवी व नंदकोट चोटियों के बीच स्थित पिंडारी ग्लेशियर पिंडार नदी का प्रमुख स्रोत है। यह हिमनद कर्णप्रयाग (गढ़वाल) के संगम पर अलकनंदा नदी से मिलता है। पिंडारी नदी की लम्बाई 105 किमी है जो अब सिकुड़ने के संकेत दे रही है। यूसर्क के अध्ययन दल ने पिंडारी ग्लेशियर के जीरो प्वाइंट से 27 किमी पूर्व खाती गाँव से पिंडार नदी को जिन्दा रखने वाले जलस्रोतों का भी अध्ययन किया। खाती से द्वाली तक 17 प्राकृतिक जलस्रोत तो मिले, पर सूखने के कगार पर हैं।

 

 

 

 

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