अरावली को नुकसान पहुंचाया, बिल्डर पर केस

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अवैध रूप से फार्महाउस बनाने एवं अधिकारियों की मिलीभगत से सीएलयू कराने के मामले में विशेष पर्यावरण न्यायालय ने मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिए हैं। मामला अरावली में रायसीना गांव की पहाड़ी पर अंसल बिल्डर द्वारा 150 फार्म हाउस बनाने का है। बिल्डर पर अरावली क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

इस मामले में गुरुग्राम के उपायुक्त द्वारा पहले भी जांच कराई जा चुकी है। इस जांच में नियमों का उल्लंघन प्रमाणित भी हुआ है, लेकिन उसमें कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गुरुग्राम ने विशेष पर्यावरण न्यायालय फरीदाबाद  में याचिका लगाई थी। इस याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी नवीन गुलिया ने अदालत में दाखिल अपनी याचिका में बताया है कि बिल्डर ने 1980 में रायसीना की पहाड़ी पर 150 से अधिक फार्म हाउस बनाए थे। हालांकि दिल्ली एनसीआर के बिगड़ते पर्यावरण को देखते हुए भारत सरकार ने 1992 में एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए एक निर्धारित क्षेत्र में बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के किसी भी तरह के निर्माण पर पूर्णतः रोक लगा दी थी। लेकिन 2006 में पाया गया कि बिल्डर ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर बिना पर्यावरण मंजूरी के इन फार्म हाउसों को जमीन का सीएलयू करा लिया है।

नवीन गुलिया ने बताया कि पहले यह जमीन ‘गैर मुमकिन पहाड़’ में दर्ज थी, लेकिन बिल्डर ने सीएलयू कराते हुए इसे ‘गैर मुमकिन फार्म हाउस’ बना दिया। उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी होने पर तत्कालीन उपायुक्त ने डीआरओ से मामले की जांच कराई थी। इसमें पाया गया कि खरीफ 1990 में यह जमीन गैर मुमकिन पहाड़ थी, लेकिन 1991 में इसे गैर फार्म हाउस बनाया गया है। 

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