अरावली की गायब पहाड़ियाँ

पहाड़ियाँ
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जो पहाड़ियाँ सैकड़ों बर्षों से दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आबोहवा को प्रभावित करती आई हैं, उनके धीरे-धीरे गायब होने का इस पूरे इलाके पर फर्क पड़ रहा है, अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगाकर ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

राजस्थान में अरावली पर्वतमाला की 128 में से तीस से ज्यादा पहाड़ियों के गायब हो जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान सरकार से जिस तरह जवाब तलब किया है, वह पर्यावरण के मोर्चे पर हमारी सरकारों की उदासीनता का एक और क्षुब्ध करने वाला उदाहरण है। लालच का जो तंत्र नदियों को सुखा दे रहा है , वही तंत्र सुनियोजित तरीके से पहाड़ियों को गायब कर रहा है। दिल्ली की सीमा से लगी अरावली की पहाड़ियों का बीस फीसदी से अधिक हिस्सा कुछ वर्षों में नहीं, बल्कि पिछले पचास साल में गायब हुआ है, पर इससे राजस्थान की मौजूदा सरकार का दामन पाक-साफ नहीं हो जाता, क्योंकि वह खुद मान रही है कि अवैध खनन का काम अब भी जारी है।

सूबे के पन्द्रह जिलों में अवैध खनन होता है, जिनमें से अलवर डूँगरपुर और सीकर कुख्यात माने जाते हैं। खनन कम्पनियों से राज्य सरकार को सालाना करीब पाँच हजार करोड़ की रॉयल्टी मिलती है। लेकिन इससे प्रदूषण के मोर्चे पर दिल्ली को जो नुकसान झेलना पड़ रहा है, वह उससे कई गुना अधिक है। शीर्ष अदालत ने राजस्थान सरकार को न केवल 48 घंटे के अन्दर अवैध खनन रोकने के लिये कहा है, बल्कि उससे इस सम्बन्ध में हलफनामा दाखिल करने के लिये भी कहा है।

अरावली में दशकों से जारी अवैध खनन सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हरियाणा में भी हालत उतनी ही बदतर है और वहाँ भी अदालत को समय- समय पर इस मामले में सख्ती बरतते देखा गया है। अरावली की पहाड़ियाँ सैकड़ों वर्षों से गंगा के मैदान के ऊपरी हिस्से की आबोहवा तय करती आई हैं, जिनमें वर्षा, तापमन, भू-जल रिचार्ज से लेकर भू-संरक्षण तक शामिल हैं।

ये पहाड़ियाँ दिल्ली, हरियाण और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को धूल, तूफान और बाड़ से बचाती रही हैं। लेकिन हाल का एक अध्ययन बताता है कि अरावली में जारी खनन से थार की रेत दिल्ली की ओर लगातार खिसकती जा रही है। राजस्थान से हरियाण तक एक विशाल इलाके में खनन से जमीन की उर्वरता खत्म हो रही है।

इससे हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सूखा और राजस्थान के रेतीले इलाके में बाढ़ की स्थिति बनने लगी है, क्योंकि मानसून का पैटर्न बदलता जा रहा है प्रदूषण के मोर्चे पर हालांकि पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है, पर अरावली में अवैध खनन पर पूरी तरह अंकुश लगाकर अब भी पर्यावरण को कमोबेश बचाया जा सकता है।

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