अपनी वसीयत नर्मदा को

मैंने वसीयत में लिख दिया
राष्ट्र के नाम
अपना राष्ट्र गीत राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र भाषा
और संविधान अपना

लिख दिया विश्व के नाम
चांद सूरज तारे
हवा पानी प्रकाश
पर्यावरण

और अंत में सबके लिए
सृजन के संकल्प
और प्रार्थनाएं अनन्त

नहीं लिखा
विनाश का कोई भी शब्द
किसी के लिए कहीं

मैंने सौंप दी
अपनी वसीयत नर्मदा को
जो अमरकंठ में धारण किये
बहती रहेगी समुद्र तक
सृजन कये साथ साथ!!

कवि, आलोचक व लेखक। मोः 09425044895.

Path Alias

/articles/apanai-vasaiyata-naramadaa-kao

Post By: pankajbagwan
×