ग्रामीणों ने तालाब खरीदा, नहर बनाई और बढ़ गया अंटाली गांव में जलस्तर
आसींद (भीलवाड़ा)/उदयपुर.गांव वालों ने मिल कर निजी तालाब को खरीदा। फिर अपने श्रम और अर्थ दान को जारी रखते हुए नहर बनाई। बाद में इस संपदा को सरकार से भी जोड़ा। ग्रामीणों का यह भागीरथी प्रयास आखिरकार आसपास के हजारों लोगों के लिए जीवन रेखा बन गया। सात साल पहले शुरू हुई यह कवायद अब तक पेयजल संकट से निबटने में ही मददगार थी, मगर इस बार इसका फायदा लगभग पांच हजार बीघा की खेती को भी मिला। विकास की यह कहानी है गुलाबपुरा मार्ग स्थित अंटाली गांव की ग्रामीणों ने वर्ष 2004-05 में 5.40 लाख रुपए एकत्र कर गांव के पूर्व ठाकुर परिवार से 20-25 बीघा में फैला रतन सागर तालाब खरीदा। फिर तालाब में पानी पहुंचाने के लिए कैचमेंट में तीन किमी लंबी नहर खुदवाई गई।
कठोर परिश्रम के साथ 640 घंटे तक जेसीबी लगाकर इस काम को अंजाम दिया। अब छह फीट चौड़ी व 13 फीट गहरी इस नहर को पक्का करने का काम भी शुरू हो गया। इस प्रयास का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि अन्य जलस्रोत रिचार्ज होने से इलाका पेयजल संकट का मुकाबला आसानी से कर पा रहा है। अभी गर्मी परवान चढ़ते ही तालाब काफी हद तक सूख गया, मगर गत मानसून के दौरान इसमें इतना पानी आया कि सात साल में पहली बार बड़े भू-भाग की खेती को भी इसका फायदा मिल रहा है।
सरकारी सहायता भी मिली
खुद के करीब 15 लाख खर्च करने व जमीन दान करने के बाद ग्रामीणों की समिति को काम के लिए सरकार की चरागाह योजना से 1.45 लाख, तत्कालीन सांसद वीपी सिंह के मद से ढाई लाख व विधायक हगामीलाल मेवाड़ा से डेढ़ लाख रुपए मिले। पूर्व सरपंच गीतादेवी सेन के कार्यकाल में हुए इस अभिनव प्रयोग को देखने तब के विभागीय सचिव रामलुभाया भी आए थे।
अब बन गई सरकारी संपदा
ग्रामीणों के दम पर तैयार रतन सागर तालाब में अब नरेगा के तहत फेस वाल बनाई। अंदर से गहराई भी बढ़ाई गई। बाद में इस तालाब के कैचमेंट में आने वाले गोपाल सागर तालाब को भी रिपेयर कराया गया, ताकि रतन सागर का ओवरफ्लो पानी गोपाल सागर में जमा हो सके। अब तीन किमी लंबी नहर व तालाब को पक्का बनाने के लिए 50 लाख रुपए खर्च करने की योजना है, इसके लिए सरकार से मांग करेंगे।
-प्रेमराज मेहता, सरपंच अंटाली
कई गांव लाभान्वित
रतन सागर तालाब में एकत्रित पानी से अंटाली के अलावा पास के खेजड़ी, मुतयका खेड़ी, नाहरगढ़, भीमलत की सेजा सहित अन्य खेड़ों, ढाणियों के कुओं का जलस्तर बढ़ जाता है। इससे किसानों को दोनों फसलों में लाभ है।
नहीं ली सरकारी मदद
रूपपुरा गांव से शुरू हुई नहर के लिए करीब एक दर्जन ग्रामीणों ने अपनी करीब आठ बीघा कृषि भूमि दान की। नहर खुदाई तथा निर्माण पर भी करीब 10 लाख रुपए खर्च हुए। इसके लिए सरकार से कोई मदद नहीं ली गई थी।
मकसद जल सरंक्षण
तालाब में भरे पानी को सीधे सिंचाई में काम नहीं लिया जाता। ग्रामीणों का मकसद भूजल रिचार्ज है। इसमें एकत्रित पानी से अन्य तालाब, कुओं, बावड़ियों, ट्यूबवैल आदि का जलस्तर स्वत: बढ़ जाता है, जिससे पेयजल व खेती दोनों को फायदा होता है।
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