केवल इसलिए कि कोई चीज उस समय अस्तित्व में थी, जब आपका जन्म हुआ था, इसका अर्थ यह नहीं कि आप यह स्वीकार कर लें कि उसे वैसा ही रहना चाहिए। जैसे कि मोटर कार, वायुयान तथा कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ था। इसलिए अपने आस-पास देखें और सोचें कि अपनी सोच की टोपी पहन कर आप क्या कुछ बदल सकते हैं? हमारे देश में स्टार्ट-अप्स अब यही कुछ कर रहे हैं- अपने आस-पास देखते हैं और एक नए विचार के लिये स्थान खोजते हैं ताकि व्यावहारिक तौर पर काम किया जा सके।
न्यूयार्क की युवा सामाजिक उद्यमी सिंथिया कोएनिंग को जब पता चला कि दुनिया में लाखों लड़कियाँ तथा महिलाएँ प्रतिदिन दूर-दूर के स्थानों से पानी इकट्ठा करने के लिये घंटों व्यतीत करती हैं, तो उसने गरीब समुदाय के लोगों की मदद करने के लिये एक नया तरीका ईजाद करने का निर्णय लिया, जिसके तहत उन तक पानी पहुँचाया जाए और इसे ‘वाटर व्हील’ का नाम दिया गया। कोएनिंग के वाटर व्हील से लोग 50 लीटर के केंटनर अथवा 5 गैलन (19 लीटर) के जग में पानी ले जा सकते हैं। कोएनिंग ने अनुमान लगाया कि वाटर व्हील प्रत्येक सप्ताह महिलाओं के पानी लाने के 35 घंटे बचा सकता है और इसके साथ ही उस शारीरिक तनाव से भी रोकथाम करता है, जो प्रतिदिन घंटों सिर के ऊपर लगभग 20 लीटर पानी ढोने से पैदा होता है।
प्रतिदिन विश्व भर में 20 करोड़ से अधिक घंटे पानी एकत्र करने में व्यतीत किए जाते हैं, आम तौर पर घर से मीलों दूर जलस्रोतों से और यह कार्य सामान्यतः महिलाओं तथा लड़कियों के पल्ले पड़ता है। महिलाओं का कीमती समय बचाकर वाटर व्हील उन्हें अपने परिवार को गरीबी से निकालने के लिये आय उत्पन्न करने की गतिविधियों में समय लगाने में मदद करता है। समय बचने का अर्थ यह भी है कि लड़कियाँ स्कूल जा सकेंगी, जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की दर में कमी आयेगी।
वाटर व्हील विकसित करने के लिये 1 लाख डॉलर का ग्रैंड चैलेंजेज कनाडा प्राइज प्राप्त करने के बाद कोएनिंग ने एक सामाजिक उद्यम कम्पनी वेलो की स्थापना की। यह कम्पनी विकास के प्रारंभिक चरण में है और भारत के ग्रामीण समुदायों तक वाटर व्हील पहुँचा रही है। कोएनिंग वाटर व्हील को और अधिक उपयोगी बनाने की भी योजना बना रही है, जिसके तहत इसमें फिल्ट्रेशन ड्रिप इरीगेशन किट्स, यहाँ तक की सेलफोन की बैटरी को चार्ज करने के लिये पहिये के घुमाव का इस्तमाल करेंगे। उनकी योजना लोगों की संचार तथा शिक्षा जैसी जरूरतों तक पहुँच बनाने की भी है।
आज की दुनिया अलग है, जहाँ नई खोजों तथा नए विचारों को तुरन्त लपक लिया जाता है, जो लोगों को धनी बनने में मदद करता है। आमतौर पर इसका मकसद केवल धन नहीं होता, इसका उद्देश्य लोगों के जीवन को आसान बनाने में मदद करना होता है, जैसे किसी दिव्यांग को यूजर फैमिली व्हील चेयर या कोई अन्य सामान देना।
एक मिनट के लिये उठें, थोड़ा टहलें और फिर अपने आस-पास देखें तथा सोचें...।
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