प्राकृतिक आपदाएँ हालाँकि आदिकाल से आती रही हैं लेकिन इधर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते इनकी आवृत्ति बढ़ गई है। आज मानव समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती इनसे जूझने की है। ऐसा नहीं है कि सरकारों ने इनसे निपटने के लिए उपाय नहीं किए हों लेकिन जब भी ऐसी कोई आपदा आती है, तमाम तैयारियाँ धरी की धरी रह जाती हैं। हमारे देश में भी आपदाओं से निपटने और राहत कार्यों के लिए एक बड़े तन्त्र की स्थापना की गई है।
अन्तरराष्ट्रीय रेडक्रॉस एजेंसी के एक अध्ययन के अनुसार आपदा प्रबन्धन के दो महत्त्वपूर्ण हिस्से हैं, एक पूर्व चेतावनी। दूसरे, आपदा हो जाने की स्थिति में जल्दी से जल्दी राहत कार्य शुरू करना। इन दोनों मोर्चों पर हम कमजोर दिखते हैं। जबकि जापान, अमेरिका, चीन जैसे तमाम बड़े देशों की तैयारियाँ हमसे बेहतर हैं। इसलिए वे आपदाओं के नुकसान को न्यूनतम करने में सफल रहे हैं। एक और कमी की बात करें तो वह है लोगों में जागरूकता।
देश में 2004 की सुनामी, उससे पहले लातूर और भुज में आए भूकम्प के बाद सरकार ने आपदा प्रबन्धन को लेकर बड़े कदम उठाए। मुंगेर का क्षेत्र भूकम्प के लिहाज से काफी संवेदनशील है। यह जोन पाँच के अन्तर्गत आता है। आपदा प्रबन्धन और जागरूता को ध्यान में रखकर बिहार सरकार ने विद्यालय सुरक्षा पखबारा मना रही है। इसी को ध्यान में रखकर बिहार राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री अनिल कुमार सिन्हा ने मुंगेर जिला समाहरणालय में जिलापदाधिकारी तथा आपदा प्रबन्धन से जुड़े अधिकारियों के साथ कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आपदा किसी को बता कर नहीं आती है। पूर्व जानकारी देना भी मुमकिन नहीं है। यदि हमलोगों को जागरूक करें तो इसके प्रभाव को न्यून जरूर किया जा सकता है। इसलिए प्रशासनिक पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि के साथ-साथ आपदा प्रबन्धन से जुड़े मास्टर ट्रेनरों की अहम भूमिका है।
जिला पदाधिकारी अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने मुख्यमन्त्री विद्यालय सुरक्षा पखवारा की चर्चा करते हुए कहा कि आपदा की घड़ी में जान-माल की क्षति को कैसे कम किया जाय, इसकी जानकारी आवश्यक है। भूकम्प के समय में भवन के गिरने से एवं भगदड़ मचने से जान-माल की क्षति होती है। उसको लेकर क्या एहतियात बर्तनी चाहिए इसे लेकर विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा कार्यक्रम पूरे राज्य में चल रहा है। इस कार्यक्रम का लाभ लोगों को कैसे मिले यह सुनिश्चित करना होगा। बाढ़, भूकम्प, अगलगी, आँधी-तूफान सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव, इससे सम्बन्धित पूर्व की तैयारी एवं इसको लेकर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों के कर्मचारी को आॅफिस डिजास्टर मैनेजमेंट की जानकारी होनी चाहिए। साथ ही मल्टी हजार्ड डिजास्टर मैनेजमेंट का प्लान तैयार किया जाना चाहिए। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष कुमकुम देवी ने पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उपविकास आयुक्त नागेन्द्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, मास्टर ट्रेनर नवनीत निराला, राजेश कुमार झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
/articles/apadaa-jaagarauukataa-sae-kama-hao-sakataa-haai-khataraa