आओ जाने अपना पानी अभियान

अभियान में निकले चौंकाने वाले तथ्य

वर्ल्र्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन, अमेरिका और इंटरनेशनल वॉटर एसोसिएशन, नीदरलैण्ड के सहयोग से विश्वभर में चलाए जा रहे पानी जांच अभियान में भारत से नीर फाउंडेशन भी इसका हिस्सा बना। इस अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष 18 सितम्बर को वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे मनाया जाता है। इसके तहत प्रत्येक वर्ष दुनियाभर के देशों से गैर-सरकारी संगठनों व समूहों का चयन करके उनको वाटर टैस्ट करने की किट उपलब्ध कराई जाती हैं। इन किटों के माध्यम से सामाजिक संगठन अथवा समूह द्वारा अपने देश के प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित जल स्रोतों के पानी का परीक्षण किया जाता है। यह कार्य इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें स्कूली बच्चों की भागीदारी अधिक होती है। उपलब्ध कराई गई किटों के माध्यम से सम्पूर्ण परीक्षण 31 दिसम्बर से पहले पूर्ण करके वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरंग डे की टीम को सौंप दिए जाते हैं। सभी देशों से जब सभी रिपोर्ट एकत्र हो जाती हैं तो इसको एक रिपोर्ट में बदल दिया जाता है तथा ज्योग्राफिकल इंफोरमेशन सिस्टम के द्वारा सम्पूर्ण रिपोर्ट के आंकड़ों को दुनिया के नक्शे पर डाल दिया जाता है। जिससे दुनियाभर के लोग इंटरनेट के माध्यम से इस रिपोर्ट को पढ़ सकते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर दुनिया के सभी 6 द्वीपों में से 12 वाटर चैम्पियन चुने जाते हैं। जिसमें 6 निजी व 6 संस्थागत होते हैं। जिनकी घोषणा वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे 22 मार्च के दिन की जाती है।

वर्ष 2009 के लिए वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे की अधिकारी फ्रांसिस ल्यूक्राफ्ट ने भारत से सामाजिक संगठन नीर फाउंडेशन को चुना। संस्था को इस कार्य हेतु आठ किट मई माह में उपलब्ध कराई गईं थीं। संस्था द्वारा इन किटों के माध्यम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों, तालाबों, झीलों, कुओं, नहरों व हैण्डपम्पों के पानी के परीक्षण किए गए। इस कार्यक्रम को स्कूली बच्चों की शिक्षा से जोडते हुए संचालित किया गया था जिसमें कि मेरठ, मुजफरनगर, गाजियाबाद, दिल्ली, हापुड, परीक्षितगढ़ व बुढाना के आठ स्कूलों के करीब 700 बच्चों ने भाग लिया था। इस दौरान आठ किटों के माध्यम से आठ स्कूलों के बच्चों व कुछ अन्य कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न जल स्रोतों के 400 नमूनों के परीक्षण किए गए। इन नमूनों के परीक्षण में चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। इन परीक्षणों में मुख्य रूप से पानी का तापमान, उसकी टरबिडिटी, पीएच मूल्य व डिसाल्वड आक्सीजन के परीक्षण किए गए, साथ ही परीक्षण करते समय का तापमान, मौसम की जानकारी, लांगीट्यूड व लैटीट्यूड, परीक्षण का समय, स्थान व दिनांक सहित वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे द्वारा उपलब्ध कराए गए परफोरमा के अनुसार जानकारियां जुटाई गईं।

नीर फाउंडेशन द्वारा इस कार्य हेतु श्री दयालेश्वर पब्लिक स्कूल, मेरठ, के वी पब्लिक स्कूल, परीक्षितगढ़, महाकवि गंगादास सरस्वती शिशु मन्दिर, हापुड़, डी ए वी पब्लिक स्कूल, बुढ़ाना, आत्मासेवानन्द कन्या विधालय, करनावल, बाल भवन पब्लिक स्कूल, दिल्ली, बाल भारती पब्लिक स्कूल, दिल्ली तथा रेयान इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, दिल्ली, आठ स्कूलों का चयन किया गया। इसके अतिरिक्त जन कल्याण संस्था- मेरठ, नैचर फाउंडेशन- दिल्ली, रिसर्च एण्ड रिलीफ सोसायटी- मेरठ व समीक्षा- गाजियाबाद जैसे गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हुए। सभी स्कूलों को किट द्वारा परीक्षण करने का प्रशिक्षण प्रत्येक स्कूल को दिया गया तथा उनको किट सौंप दी गईं। इन स्कूलों ने जून माह से लेकर नवम्बर माह तक परीक्षण किए।

के वी पब्लिक स्कूल, परीक्षितगढ़ द्वारा गंगा नदी, गांधारी तालाब व ऐतिहासिक नवलदेह के कुए तथा परीक्षितगढ़ के आस-पास के गांवों के हैण्डपम्पों के 50 नमूनों के परीक्षण किए गए। गंगा नदी के 15 नमूनों में के परीक्षण में पीएच की मात्रा सामान्य अर्थात 7 से 7,5 के बीच रहा, डिसाल्वड आक्सीजन 0,00 पीपीएम व टरबिडिटी 0 जेटीयू तथा तापमान 22 से 24 के बीच निकल कर आया। इसी प्रकार परीक्षितगढ़ के आस-पास के गांवों, पूठी, सिखैडा, अगवानपुर, बढ़ला, रैदरा, चितमाना, रामनगर व कैली आदि गांवों के हैण्डपम्पों के नमूनों में पीएच का मान 7 से 8 के बीच रहा जबकि डिसाल्वड आक्सीजन 0,00 पीपीएम तथा टरबिडिटी 0 जेटीयू ही रही तथा इन नमूनों का तापमान 18 से 28 के बीच रहा। जबकि गांधारी सरोवर व नवलदेह कुएं के नमूनों का पीएच 6 से 7 के बीच, डीओ 0 पीपीएम तथा टरबिडिटी 40 जेटीयू रही। इन दोनों जल स्रोतों का तापमान बच्चों द्वारा 22 से 28 के बीच रिकार्ड किया गया। परीक्षण में अपर गंगा कैनाल, मध्य गंगा कैनाल व लोअर गंगा कैनाल सहित परीक्षितगढ़ के रजवाहे के नमूनों को भी गंगा के पानी की तरह सामान्य ही पाया गया। डीएवी पब्लिक स्कूल, बुढ़ाना व आत्मासेवानन्द कन्या विधालय, करनावल के बच्चों द्वारा हिण्डन व कृश्णी नदी के नमूनों का परीक्षण किया गया। इन नदियों सहित यमुना, धमोला, व काली पूर्वी व काली पश्चिमी नदियों के नमूनों के परीक्षण में संस्था के कार्यकर्ता भी साथ रहे। इन नदियों के अतिरिक्त बेघराजपुर के नाले का भी परीक्षण किया गया। इन सभी नदियों में अगर काली पश्चिम नदी के दस नमूनों के आंकड़ों को छोड दें कमोबेश सभी नदियों की स्थिति दयनीय बन चुकी है, अर्थात सभी नदियां नाला बन चुकी हैं जिनमें कि कैमिकल्स मिले पानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं बह रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हिण्डन, काली पूर्वी, कृश्णी व धमौला में अपना पानी नहीं बल्कि ये नदियां उधोगों द्वारा जमीन के नीचे से निकाले जाने वाले शुद्व पानी को औधोगिक प्रक्रिया में प्रदूशित करने के पश्चात जब नदियों में छोड़ा जाता है तब जाकर इन नदियों में पानी आ रहा है। डीएवी पब्लिक स्कूल द्वारा बडकटा और सदाबर गांवों के तीन तालाबों के 15 नमूनों के परीक्षण भी किए गए। इन तालाबों में डिसाल्वड आक्सीजन 4 पीपीएम, टरबिडिटि 40 जेटीयू व पीएच मान 6 से 8 के बीच पाया गया। सहारनपुर से मुजफरनगर, बागपत, मेरठ व गाजियाबाद होते हुए गौरतबुद्वनगर तक बहने वाली करीब 260 किलोमीटर लम्बी हिण्डन नदी के लिए 6 स्थानों सहारनपुर, कलीना, किनौनी, बालैनी, मोहननगर व तिलवाड़ा से तीस नमूने लिए गए। इन सभी नमूनों में डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 व पीएच मान 8,5 से 10 तक पाई गई। गौरतलब है सहारनपुर से हिण्डन नदी के उदगम स्थल से तथा तिलवाड़ा, गौतमबुद्वनगर उसके यमुना में मिलने से पहले के नमूने भी लिए गए थे। चौंकाने वाला तथ्य यह भी था कि उदगम से लेकर यमुना में मिलने तक हिण्डन में प्रदूशण का स्तर समान बना हुआ है अथवा बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हिण्डन का उदगम ही स्टार पेपर मिल के नाले के प्रदूषित पानी से हो रहा है।डीएवी पब्लिक स्कूल के बच्चेडीएवी पब्लिक स्कूल के बच्चे इसी प्रकार सहारनपुर से बागपत तक बहने वाली करीब 78 किलोमीटर लम्बी कृश्णी नदी के वर्तमान उदगम स्थल भनेडा खेमचन्द से उसके हिण्डन में विलय हो जाने वाले स्थल बरनावा से 10 नमूनों के परीक्षण किए गए। इसी प्रकार सहारनपुर से शरकथाल गांव तक बहने वाली करीब 52 किलोमीटर लम्बी धमौला नदी के भी 10 नमूने उदगम व हिण्डन में विलय होने के स्थान से लिए गए।

सहारनपुर से ही बहने वाली करीब 75 किलोमीटर लम्बी काली पश्चिम नदी के चन्दपुरा, मलीरा, शामली रोड, तबलशाहपीर, पुरबालियान, डबल व हिण्डन में विलय होने वाले स्थान पिठलोकर तक 35 नमूनों के परीक्षण किए गए। मुजफ्फरनगर से निकलने वाले बेघराजपुर नाले से भी काली पश्चिमी में विलय होने के स्थान घासीपुरा तक 15 नमूनों के परीक्षण किए गए। कृश्णी व धमौला नदियों तथा बेघरापुर नाले के सभी नमूनों में हिण्डन की ही तरह डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 जेटीयू व पीएच मान 8,5 से 10 तक पाया गया। काली पिश्चम नदी के कुल 35 नमूनों में से चन्दपुरा व मलीरा गांवों से लिए गए नमूनों में डिसाल्वड आक्सीजन 4 पीपीएम, टरबिडिटि 40 जेटीयू व पीएच मान 8 से 8,5 के बीच पाया गया, जबकि बाकी बचे 25 नमूनों की हालत दयनीय ही थी इन नमूनों में भी डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 जेटीयू व पीएच मान 8,5 से 10 तक पाई। इन नदियों के धमौला नदी इन नमूनों में भी हिण्डन नदी के समान ही इन नदियों के नमूनों के परीक्षण से लगा कि इनमें बहने वाले पानी में प्रदूषण का स्तर किट की मापन क्षमता से भी अधिक है।

दिल्ली के दो स्कूलों बाल भारती पब्लिक स्कूल व बाल भवन पब्लिक स्कूल के बच्चों सहित नैचर फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने यमुना नदी के कालिंदीकुज, मोमनाथल गांव व आगरा से 15 नमूनों के परीक्षण किए गए तथा साथ ही कालिंदीकुंज से निकलने वाली आगरा कैनाल के भी 5 नमूने जांचे गए। उल्लेखनीय है कि मोमनाथल गांव में हिण्डन नदी के यमुना में विलय हो जाने के बाद नमूने लिए गए। इन सभी नमूनों में डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 जेटीयू व पीएच मान 9 से 10 के बीच पाया गया। दिल्ली के ही एक अन्य रेयान इंटरनेशन पब्लिक स्कूल द्वारा संजय गांधी झील के पांच नमूनों में डिसाल्वड आक्सीजन 0 पीपीएम, टरबिडिटि 0 जेटीयू व पीएच मान 8 पाया गया। रेयान पब्लिक स्कूल व बालभवन पब्लिक स्कूल द्वारा मयूरविहार के 10 हैण्डपम्पों के नमूनों के परीक्षण भी किए गए। इनमें डिसाल्वड आक्सीजन 0 पीपीएम, टरबिडिटि 0 जेटीयू व पीएच मान 8 पाया गया।

श्री दयालेश्वर पब्लिक स्कूल, मेरठ द्वारा मेरठ की कुछ कॉलोनियों के हैण्डपम्पों, सबमर्सिबल पम्पों व मुजफ्फरनगर से निकलकर मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद से होते हुए कन्नौज में जाकर गंगा में समाहित होने वाली काली पूर्वी नदी के 50 नमूनों के परीक्षण किए गए। ये नमूने धन्जू, जयभीमनगर, कौल, हापुड, बुलंदशहर, पहासू, अतरौली, कासगंज, फरूखाबाद व कन्नौज से लिए गए। इन सभी नमूनों में एक समान स्थिति निकलकर सामने आई। गौरतलब है कि काली पूर्वी नदी मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील के अंतवाड़ा गांव से निकलती है, लेकिन वर्तमान में यह नदी दौराला से लावड़ रोड़ तक सूखी हुई है। इस नदी के नमूनों के परीक्षण में डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 जेटीयू व पीएच मान 9 से 10 पाया गया। इस दौरान नदी के पानी का औसत तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस था। स्कूल द्वारा मेरठ की विभिन्न कालोनियों मोहनपुरी, पुलिस लाईन, शापीरगेट, नौचंदी ग्राउंड, देवी नगर, हनुमानपुरी व साकेत आदि के 50 नमूनों के भी परीक्षण किए। जिनमें डिसाल्वड आक्सीजन 0 पीपीएम, टरबिडिटि 0 जेटीयू व पीएच मान 6,5 से 8 के बीच पाया गया।

महाकवि गंगादास सरस्वती शिशु मन्दिर, हापुड के बच्चों द्वारा कुचेसर, उपेडा, रसूलपुर, बनखन्डा, ततारपुर, रामपुर, पूठा छेजा, सबली व खरखौदा गांवों से हैण्डपम्पों, सबमर्सिबल पम्पों व तालाबों के 50 नमूनों के परीक्षण किए। हैण्डपम्पों व सबमर्सिबल पम्पों के पानी में डिसाल्वड आक्सीजन 0 पीपीएम, टरबिडिटि 0 जेटीयू व पीएच मान 6 से 8 के बीच पाया गया, जबकि तालाब के नमूनों में डिसाल्वड आक्सीजन 0 पीपीएम, टरबिडिटि 40 जेटीयू व पीएच मान 6 से 8 के बीच पाया गया।

इन सभी जल स्रोतों को इसलिए चुना गया क्योंकि इन पर ही इस क्षेत्र की सम्पूर्ण आबादी घरेलू, कृषि व उद्योगों के लिए आधारित है। परीक्षणों से बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। यमुना, कृष्णी, काली पूर्वी व पिश्चमी, धमोला तथा हिण्डन नदियां पूरी तरह से मृत हो चुकी हैं। इनमें बहने वाले पानी में अत्यधिक प्रदूशण की मात्रा घुल चुकी हैं। जबकि गंगा नदी, व यहां का भूजल अभी साफ-सुथरा नजर आता है।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से जुडने के पश्चात बच्चे बहुत ही प्रसन्न नजर आए। प्रत्येक दिन बच्चों में परीक्षण के लिए उत्साह रहता था। इस कार्यक्रम से बच्चों ने जहां पानी के परीक्षण को सीखा वहीं उनको यह भी ज्ञात हो गया कि हमारे आस-पास के जल स्रोतों में किस प्रकार का पानी मौजूद है या हम किस प्रकार के पानी का उपयोग करते हैं। बच्चों के लिए यह एकदम नया अनुभव था।
खास बातें :
जून से प्रारम्भ होकर नवम्बर माह तक चला अभियान।
वर्ल्र्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन, अमेरिका और इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन, नीदरलैण्ड का वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे के लिए साक्षा प्रयास।
दुनिया के सभी 6 द्वीपों के करीब 70 देशों के करीब 73000 लोग ले चुके हैं इस अभियान में भाग।
भारत से हुआ था मेरठ स्थित नीर फाउंडेशन का चयन नीर फाउंडेशन द्वारा इस अभियान से मेरठ, मुजफरनगर, गाजियाबाद व दिल्ली के आठ स्कूल जोडे गए।
नीर फाउंडेशन को वर्ल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे की अधिकारी फ्रांसिस ल्यूक्राफट की और से प्राप्त हुईं थी आठ वाटर टैस्टिंग किट।
नीर फाउंडेशन ने ये किट आठ स्कूलों को उपलब्ध कराकर उनके करीब 700 बच्चों को इस अभियान से जोड़ा।
नैचर फाउंडेशन, जन कल्याण संस्था, समीक्षा व रिसर्च एण्ड रिलीफ जैसे गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों सहित करीब 200 लोग भी जुडे इस अभियान से।
इस दौरान गंगा, यमुना, हिण्डन, काली पूर्व, काली पिश्चम, कृश्णी, धमौला, जैसी नदियों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बहने वाली प्रमुख नहरों, नालों, तालाबों, ऐतिहासिक कुओं, हैण्डपम्पों, सबमर्सिबल पम्पों सहित संजय गांधी क्षील के 400 नमूने के परीक्षण किए।
गांधारी तालाब व नवलदेह के कुएं का भी किया गया परीक्षण।
तमाम जल स्रातों के 112 स्थानों पर जाकर किए गए नमूनों के परीक्षण।
गंगा को छोड़ सभी नदियों के पानी में भयंकर प्रदूषण।
पीएच, डिसाल्वड आक्सीजन, टरबिडिटि व पानी के तापमान जैसे मानक किए गए टैस्ट।
नीर फाउंडेशन द्वारा वल्र्ड वाटर मानिटिरिंग डे कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट।
31 दिसम्बर तक सम्पूर्ण विश्व से आ जाएंगी रिपोर्ट।
सभी रिपोर्ट का एक कम्पाइल डाटा तैयार किया जाएगा तथा उसको जीआईएस सिस्टम से इंटरनेट से जोडा जाएगा।
प्रत्येक वर्ष चलाया जाता है यह अभियान।
रिपोर्ट के आधार पर विश्व के सभी द्वीपों से चुने जाएंगे 12 वाटर चैम्पियन।

 

रिपोर्ट का तकनीकी पक्ष


क्रम संख्या जल स्रोत कुल नमूनों की संख्या कुल डिसाल्वड आक्सीजन पीपीएम में कुल टरबिडिटि जेटीयू में कुल तापमान डिग्री सेंटीग्रेट में कुल पीएच मान

 

 

 

1 गंगा नदी 20 0,00 0,00 23 7

 

 

2 हिण्डन नदी 30 8,00 100,00 24 से 30 10

3 यमुना नदी 15 8,00 100,00 14 से 18 10

4 कृष्णी नदी 10 8,00 100,00 24 से 30 10

5 काली पूर्व नदी 50 8,00 100,00 24 से 28 10

6 काली श्चिम नदी 35 8,00 100,00 22 से 26 10

7 धमौला 10 8,00 100,00 24 से 30 10

8 हैण्डपम्प 144 0,00 0,00 18 से 28 7,5

9 सबमर्सिबल 6 0,00 0,00 18 से 28 7,5

10 झील संजय गांधी 5 0,00 0,00 14 7,5

11 तालाब/गांधारी तालाब 21 4,00 40,00 18 से 28 8

12 कुंआ नवलदेह 5 0,00 0,00 22 7,5

13 नहर/अपर,मध्य व लोअर 30 0,00 0,00 20 से 26 7

14 नाले 15 8,00 100,00 22 10

 

नोट :

इन नमूनों के अतिरिक्त एक नमूना परीक्षितगढ़ में नहर के नाले का था जिसकी डिसाल्ड आक्सीजन 0,00 पीपीएम, टरबिडिटि 0,00 जेटीयू, पीएच मान 7 तथा तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था जबकि चार नमूने कालंदी कुंज से निकलने वाली आगरा नहर के भी थे जिनमें डिसाल्वड आक्सीजन 8 पीपीएम, टरबिडिटि 100 जेटीयू व पीएच मान 9 से 10 पाया गया।
 

 

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