पृथ्वी पर जल दो स्थानों पर पाया जाता है - सतह और भूमि के अंदर। सतह के ऊपर पाए जाने वाले जल को ‘सतही जल’ और भूमि के अंदर वाले पानी को ‘भूजल’ कहते हैं। प्रारंभिक दौर में इंसान अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सतही जल पर निर्भर था। यदि वें भूजल का उपयोग करते भी थे, तो उसे रिचार्ज करने के भी पूरे इंतजाम किया करते थे। तालाबों आदि के माध्यम से वर्षा जल संग्रहण किया जाता था। एक प्रकार से जितने भी पानी का उपयोग किया जाता था, उतना ही पानी भूमि के अंदर पहुंचाने की व्यवस्था भी की गई थी। इससे प्रकृति का संतुलन बना रहता था। मिट्टी में नमी रहती थी और हरियाली को आसानी से पनपने में सहायता मिलती थी। निर्माण कार्यों को भी प्रकृति के अनुकूल किया जाता था, लेकिन आधुनिकता की तरफ बढ़ते-बढ़ते सब प्रकृति के विपरीत होने लगा।
आधुनिकता की दहलीज पर कदम रखते ही हमने प्रकृतिक संसाधनों का जरूरत से ज्यादा उपयोग करना प्रारंभ कर दिया। सतही जल के स्रोत और भूजल को रिचार्ज करने के माध्यम ‘तालाबों’ पर अतिक्रमण कर भवनों का निर्माण किया। बचे हुए तालाबों को डंपिंग जोन में परिवर्तित कर दिया। कई इलाकों में तालाबों के कैचमेंट एरिया में ही निर्माण कार्य किए गए। जिस कारण तालाब सूख गए। यही हमने नदियों और झीलों के साथ किया। इससे इन्हें पानी उपलब्ध कराने वाले प्राकृतिक स्रोत लगातार सूखते चले गए। परिणामतः हजारों नदियां और जलस्रोत सूख गए। जो नदियां और स्रोत वर्तमान में बचे हैं, उनमें से अधिकांश प्रदूषित हैं। जिस कारण पानी के लिए लोग भूजल पर निर्भर हो गए। इसका असर भूजल स्तर पर भी पड़ा। नदियों और स्रोतों के सूखने से भूजल पर निर्भरता बढ़ी। आबादी बढ़ने के साथ निर्भरता बढ़ती गई और भूजल का अतिदोहन शुरु हो गया, लेकिन भूजल रिचार्ज करने पर शासन और प्रशासन तथा जनता का ध्यान नहीं गया। परिणामस्वरूप, भूजल स्तर हर साल नीचे जाता गया और अब देश में एक गंभीर जल संकट का रूप ले चुका है। यहां राज्यवार भूजल दोहन के आंकड़ें दिए गए हैं। भूजल दोहन का ये आंकड़ा हर साल बढ़ ही रहा है।
राज्यवार भूजल दोहन के आंकड़े
राज्य | 2013 (आंकड़े प्रतिशत में) | 2017 (आंकड़े प्रतिशत में) |
पंजाब | 149 | 165.77 |
राजस्थान | 140 | 139.88 |
हरियाणा | 135 | 136.91 |
दिल्ली | 127 | 119.61 |
चंडीगढ़ | - | 89 |
हिमाचल प्रदेश | 51 | 86.37 |
तमिलनाडु | 77 | 80.94 |
लक्षद्वीप | 68 | 65.99 |
तेलंगाना | 58 | 65.45 |
पुड्डुचेरी | 88 | 74.33 |
गुजरात | 68 | 63.89 |
कर्नाटक | 66 | 69.87 |
दमन और दीव | 70 | 61.40 |
उत्तराखंड | 50 | 56.83 |
मध्य प्रदेश | 57 | 54.76 |
महराष्ट्र | 54 | 54.62 |
केरल | 47 | 51.27 |
बिहार | 45 | 45.76 |
पश्चिम बंगाल | 45 | 45 |
छत्तीसगढ़ | 37 | 44.43 |
आंध्र प्रदेश | 44 | 44.15 |
ओडिशा | 30 | 42.18 |
गोवा | 37 | 33.50 |
दादरा और नगर हवेली | 32 | 31.34 |
जम्मू और कश्मीर | 24 | 29.47 |
झारखंड | 23 | 27.73 |
असम | 16 | 11.25 |
त्रिपुरा | 7.3 | 7.88 |
मिजोरम | 2.9 | 3.82 |
अंडमान-निकोबार | 1 | 2.74 |
मेघालय | 0.4 | 2.28 |
मणिपुर | 1.01 | 1.44 |
नागालैंड़ | 2 | 0.99 |
अरुणाचल प्रदेश | 0.23 | 0.28 |
सिक्किम | - | 0.06 |
केंद्रीय भूजल बोर्ड फरीदाबाद के आंकड़ों के अनुसार सबसे कम भूजल का उपयोग सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड़ करते हैं। वर्ष 2017 में सिक्किम ने 0.06 प्रतिशत पानी का दोहन किया। अरुणाचल प्रदेश ने वर्ष 2013 में 0.23 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 0.28 प्रतिशत और नागालैंड़ ने वर्ष में 2 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 0.99 प्रतिशत भूजल दोहन किया। वहीं, मणिपुर ने वर्ष 2013 मे 1.01 प्रतिशत, 2017 में 1.44 प्रतिशत, मेघालय ने वर्ष 2013 में 0.4 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 2.28 प्रतिशत, अंडमान-निकोबार ने वर्ष 2013 में 1 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 2.74 प्रतिशत, मिजोरम ने वर्ष 2013 में 2.9 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 3.82 प्रतिशत, त्रिपुरा ने वर्ष 2013 में 7.3 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 7.88 प्रतिशत, असम ने वर्ष 2013 में 16 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 11.25 प्रतिशत, झारखंड ने वर्ष 2013 में 23 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 27.73 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर ने वर्ष 2013 में 24 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 29.47 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली ने वर्ष 2013 में 32 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 31.34 प्रतिशत, गोवा ने वर्ष 2013 में 37 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 33.50 प्रतिशत, ओडिशा ने वर्ष 2013 में 30 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 42.18 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश ने वर्ष 2013 में 44 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 44.15 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ ने वर्ष 2013 में 37 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 44.43 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल ने वर्ष 2013 में 45 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 45 प्रतिशत, बिहार ने वर्ष 2013 में 45 प्रतिशत और वर्ष 2017 में 45.76 प्रतिशत भूजल दोहन किया। डाउन टू अर्थ ने इन आंकड़ों को प्रकाशित किया था।
केरल में वर्ष 2013 में 47 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 51.27 प्रतिशत, महराष्ट्र ने वर्ष 2013 में 54 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 54.62 प्रतिशत, मध्य प्रदेश ने वर्ष 2013 में 57 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 54.76 प्रतिशत, उत्तराखंड ने वर्ष 2013 में 50 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 56.83 प्रतिशत, दमन और दीव ने वर्ष 2013 में 70 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 61.40 प्रतिशत, कर्नाटक ने वर्ष 2013 में 66 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 69.87 प्रतिशत, गुजरात ने वर्ष 2013 में 68 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 63.89 प्रतिशत, तेलंगाना ने वर्ष 2013 में 58 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 65.45 प्रतिशत, लक्षद्वीप ने वर्ष 2013 में 68 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 65.99 प्रतिशत, तमिलनाडु ने वर्ष 2013 में 77 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 80.94 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2013 में 51 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 86.37 प्रतिशत, चंडीगढ़ में वर्ष 2017 में 89 प्रतिशत, दिल्ली में वर्ष 2013 में 127 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 119.61 प्रतिशत, हरियाणा ने वर्ष 2013 में 135 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 136.91 प्रतिशत, राजस्थान ने वर्ष 2013 में 140 प्रतिशत, वर्ष 2017 में 139.88 प्रतिशत और पंजाब ने वर्ष 2013 में 149 प्रतिशत तथा वर्ष 2017 में 165.77 प्रतिशत भूजल दोहन किया।
हिमांशु भट्ट (8057170025)
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