आंकड़े और संसाधन (Data & Resources)

जल से संबंधित कोई भी ठोस काम करने के लिए सबसे पहले विश्वसनीय डाटा इकट्ठा करना एवं विस्तृत रुप से अनुसंधान करना आवश्यक है। आपकी सहायता के लिए यहाँ एकत्रित डाटा उपलब्ध है – नीतियां, कानून, अनुसंधान दस्तावेज और रिपोर्ट- जो कि उचित निर्णय लेने में आपकी सहायता करेंगी। यहाँ मौसम विज्ञान के संबंध में पिछले 100 साल के आंकड़े तथा भारत के नदियों के संग्रहण क्षेत्र के बारे में आंकड़े उपलब्ध हैं।

मौसम विज्ञान मेट डाटा (Met Data)


आपके क्षेत्र में पिछली सबसे अच्छी बारिश कब हुई थी? आपके तालुका में पिछले कुछ सालों में औसत तापमान कितना रहा है? क्या आप जानना चाहते हैं कि आपके क्षेत्र का जल का संतुलन कितना है? पिछले 100 सालों में वैज्ञानिक अभ्यास के द्वारा प्राप्त की गई मौसम की जानकारी में से ऐसे ही कुछ प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ें।

मौसमविज्ञान से संबंधित और जानकारी ढूँढ़ें >>

अनुसंधान (Research)


क्या आप जल से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत जानकारी पाना चाहते हैं? यहाँ अनुसंधान दस्तावेज, रिपोर्ट का भंडार तथा आवश्यक जानकारी पाने के लिए कुछ लिंक्स भी उपलब्ध हैं।

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नीतियाँ और कानून


सचेत नागरिक बनिए। अपने देश में राज्य एवं केंद्रीय दोनों स्तरों पर पानी का नियंत्रण करनेवाले कानून, संविधान (नियम) एवं नीतियाँ क्या है इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें। इसमें जो नीतियाँ पहले से ही लागू हो चुकी हैं या जो लागू होनेवाली है ऐसी कुछ नीतियों पर विशेषज्ञों की चर्चा का भी समावेश है।

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नदी का संग्रहण क्षेत्र (River Basins)


सभी महत्त्वपूर्ण प्राचीन सभ्यताओं का विकास प्रमुख नदियों के किनारे ही हुआ है। इसीलिए नदियों का अपना अलग ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व है। हम हमारी नदियों की रक्षा और बेहतर रुप से कैसे कर सकते हैं ताकि वे अगली पीढियों के लिए भी ऐसा ही योगदान दे पाएँ?
हमारी नदियों की आज की दशा देखते हुए हमारे लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है। इसी समझ को बढ़ावा देने के लिए हमने विभिन्न स्थानों से जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की है।

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जल-संतुलन (Water Balance)


यदि जमीन के बताए गए हिस्से में उस जमीन में जितना पानी जमा होता है यानी वर्षा के जरिए या किसी अन्य तरीके से साफ पानी जमा होता है; उसकी तुलना में यदि उस क्षेत्र से अधिक पानी निकल जाता हो ( जैसे -वाष्पीकरण (evaporation), पंप द्वारा निकासी आदि के कारण), तो उसके परिणामस्वरूप जल-स्तर घट जाता है, जो एक दीर्घकालीन संकट का कारण बनता है। जल-संतुलन एक पहले से ही प्रबंध करने योग्य कृती है जिसमें वर्षाजल के प्रमाण, जिससे कि छोटे जल-प्रवाह, वाष्पीकरण द्वारा रिसाव, भू-जल पुनर्भरण होता है, का मूल्यांकन किया जाता है। हम एक ऐसा अभ्यास/ अध्ययन चलाते हैं जिसमें जल-संतुलन के सिद्धांत एवं व्यावहारिक रूप में जल-संतुलन करना सिख़ाया जाता है।

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