कुछ हफ़्तों से यमुना में अमोनिया पाया गया है। जिसके बाद दिल्ली जल बोर्ड की और से कहा गया है कि दिल्ली के कई घरों में पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है। टैंकरो से लोगों तक पानी पहुँचाया जाने की व्यवस्था दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा की जा रही है।30- 31 अक्टूबर महीने में लोगों को कुछ इसी समस्या से जूझना पड़ रहा था। यमुना नदी, जिसका बहाव पड़ोसी राज्य हरियाणा से आता है उसमें अमोनिया की मात्रा काफी बढ़ गई थी. इस कारण से भागीरथी और सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बंद कर दिया गया था। जिससे लोगों 24 से 36 घंटे तक पानी की समस्या से जूझना पड़ा था। एक एडवायजरी में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा (Delhi Jal Board) ये कहा गया कि रविवार को कई क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की समस्या उत्पन्न हो सकती है दिल्ली जल बोर्ड ने भी दिल्लीवासियों को पानी स्टोर करने की हिदायत दी है
एक सीनियर अधिकारी दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी ने कहा है कि शनिवार रात को अमोनिया का लेवल दिल्ली में 2.2 पीपीएम मापा गया है जो कि करीब 0.9पीपीएम की सुरक्षित ऊपरी सीमा से दोगुना से कई अधिक था।
क्या है अमोनिया बढ़ने का कारण
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शेखर मंडे का कहाना था कि अमोनिया की मात्रा बढ़ने का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक और घरेलू कचरा है। कोई भी मामले में ट्रीटमेंट प्लांट अमोनिया को ठीक तरह से हटाने में अधिक प्रभावी नहीं होते।
सर्दियों में इसीलिये रहती है अधिक समस्या
अमोनिया की मात्रा बढ़ने से निपटने के लिए लॉग टर्म की आवश्यकता है क्योंकि यमुना में यह स्थिति हर साल होती है सर्दियों के समय मौसम में बदलाव के चलते यमुना नदी में अमोनिया के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। यह 20-25 वर्षों से लगातार चल रहा है।
अमोनिया से हो सकती है बीमारियां
विशेषज्ञों की मानें तो शुद्ध और साफ़ पानी में अमोनिया नहीं पाया जाता है। पानी में अमोनिया होने के कारण हैं। इनमें जीवाश्म ईंधन जलाना, डाई यूनिट, डिस्टिलरी और अन्य फैक्ट्रियां, सीवेज प्रमुख हैं। अमोनिया का इस्तेमाल एक औद्योगिक रसायन के तौर पर किया जाता है। यह औद्योगिक अपशिष्टों से होकर जमीन या पानी के स्रोतों के जरिय लोगों तक पहुंचता है।
इसका सबसे अधिक असर लीवर पर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही इससे पीलिया, हेपेटाइटिस समेत कई बीमारियां हो सकती है। वही इससे कोमा में जाने का खतरा भी काफी अधिक रहता है। पानी में अमोनिया की मात्रा करीब 0.5 पीपीएम से अधिक होने पर डीहाइड्रेशन और लीवर इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा हो सकता है
पानी मे अमोनिया के स्तर को ऐसे माप और पहचान सकते है।
पानी का स्वाद नही आता है
पानी से काफी बदबू आने लगती है
पानी में बहुत छोटे दूषित कण भी होते है
पानी में क्लोरीन का स्तर काफी कम होता है।
पानी में पीएच भी कम होता है
वैसे दिल्ली में ये अमोनिया की समस्या काफी पुरानी है । राजधानी दिल्ली में करीब 720 एमजीडी वाटर वेस्ट का उत्पादन किया जाता है जिसमें सिर्फ 525 एमजीडी का ट्रीटमेंट ही होता है। और राज्यों के मुकाबले दिल्ली में करीब 44 ट्रीटमेंट प्लांट है । कई सालों से पानी पर्यावरण विद मांग कर रहे है कि यमुना के बढ़ क्षेत्रों में तालाबो का निर्माण किया जाए और उसमें ट्रीटमेंट प्लांट को रखा जाए। जिससे भू जल भी रिचार्ज हो जाएगा और पानी की समस्या भी दूर हो जाएगी।
अब सरकार ने कहा है कि वह ट्रीटेड वाटर यूज को 90 एमजीडी से बढ़ाकर 400 एमजीडी तक ले जाएगी लेकिन यह बात सरकारें नई शताब्दी यानी सन 2000 से ही कह रही हैं अभी तक इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि इस वेस्ट वाटर को कहां यूज करेंगे.वैसे दिल्ली जल बोर्ड नई तकनीक वाले ट्रीटमेंट प्लांट को इसका बड़े हल के रूप में देख रही है और उसका मानना है इन नई मशीनों से कई हद पानी मे अमोनिया की समस्या दूर हो सकती है यह कितनी कारगार होगी यह आने वाला वक्त ही बतायेगा।
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