समुद्र में अम्लीकरण बढ़ता जा रहा है, जो कि पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी हानिकारक है। इसे रोका जाना बहुत जरूरी है। इसी मुद्दे पर यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के शोधकर्ताओं ने एक नया शोध प्रस्तुत किया है। नए शोध में शोधकर्ताओं ने समुद्र में बढ़ते अम्लीकरण को रोकने के लिए शैवाल को महत्वपूर्ण माना है। प्रमुख शोधकर्ता रोनाल्ड ओसिंगा ने बताया कि यदि समुद्र में शैवाल का विकास होगा, तो अम्लकरण घटता जाएगा। उन्होंने बताया कि समुद्रों की वर्तमान स्थिति बहुत भयावह है। अम्लीकरण बढ़ने से पर्यावरण एवं मनुष्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
ओसिंगा ने बताया कि समुद्री अम्लीकरण को शैवाल जड़ से खत्म कर सकता है। उन्होंने बताया कि इसके कारण कोरल रीफ भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि कोरल रीफ बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं और इसी कारण इनपर समुद्री अम्लीकरण का कुप्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है। समुद्री अम्लीकरण के कारण कोरल रीफ के कैल्सियम धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं।
ओसिंगा ने बताया कि समुद्री अम्लीकरण को कम करने की दृष्टि से यह शोध काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अभी तक इसका कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा था, लेकिन उनके शोध ने कारगर उपाय सामने लाए हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे समुद्री शैवाल विकास करेगा, वैसे-वैसे समुद्री पौधे पानी में से अम्लीयता को खत्म करते जाएंगे। ओसिंगा और उनके सहयोगियों ने बताया कि समुद्र के अंदर मैरिन गार्डन है, जो कि 1,80,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पूरी दुनिया को भरपूर प्रोटीन देने में सक्षम है। ओसिंगा ने अपने इस शोध में मत्स्य पालन को प्रमुखता दी है। उन्होंने बताया कि इसके कारण भी शैवाल को बढ़ाया जा सकता है। मछुआरे मछली मारने के बाद बेकार के उत्पाद समुद्र में फेंक देते हैं, जिसके कारण शैवाल अपना विकास कर सकता है।
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