अल्फा सैंटोरी, बीटा सैंटोरी एवं अल्फा स्वस्तिक


आकाश में छितराए विभिन्न तारामण्डलों में दक्षिण आकाश का सैंटोरस मण्डल काफी विस्तृत है। बिना दूरबीन से देखे जा सकने वाले तारों में अल्फा सैंटोरी ही हमसे सबसे नजदीक तारा है। बीटा सैंटोरी दक्षिण खगोल का एक जाना माना नक्षत्र है, क्योंकि यह दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करने वाले नाविकों के लिये अल्फा सैंटोरी से मिलकर एक संकेतक का कार्य करता है। आकाश के 88 तारामण्डलों में सबसे छोटा है- क्रुक्स मण्डल।

दूसरी शताब्दी में खगोलविद टॉलेमी ने आकाश के जिन 48 तारामण्डलों की सूची तैयार की थी, उनमें सैंटोरस भी शामिल था। वर्तमान 88 तारामण्डलों में तो यह एक है ही! इस तारामण्डल को दक्षिण क्षितिज के अन्त से लेकर उसके कुछ उत्तर तक देखा जा सकता है। इसके तारे एक ऐसे प्राणी का आकार निर्मित करते हैं, जिसका आधा शरीर तो मनुष्य का है और शेष आधा घोड़े का!

सैंटोरस तारामण्डल में दक्षिण क्षितिज को छूते दो चमकीले तारे दिखाई देते हैं। इनमें से पूर्व की ओर का तारा अल्फा (α) सैंटोरी तथा पश्चिम की ओर का तारा बीटा (β) सैंटोरी कहलाता है। इन्हें भारत में मित्र और मित्रक नाम से भी पुकारा जाता है।

अल्फा सैंटोरी


अल्फा (α) सैंटोरी सैंटोरस मण्डल का सबसे चमकीला तारा है जो व्याध और अगत्स्य के बाद आकाश का सबसे चमकीला तारा है। यानी आसमान के सर्वाधिक चमकीले तारों में इसका नंबर तीसरा है। इसे नई दिल्ली के अधिक उत्तरी भाग से देखना संभव नहीं है, परन्तु, मध्यभारत और दक्षिण भारत से इसे आसानी से देखा जा सकता है।

.आकाश की छत पर हमें सभी तारे एक ही ऊँचाई पर टंगे दिखाई देते हैं। परन्तु, ऐसा नहीं है। कुछ तारे हमसे अपेक्षाकृत पास हैं, तो कुछ अपेक्षाकृत दूर! 19वीं शताब्दी में लम्बन विधि की मदद से जिन तारों की दूरियाँ निर्धारित की गईं, उनमें अल्फा सैंटोरी एक था। यह तारा हमसे 4.3 प्रकाशवर्ष दूर है। इसे सूर्य के बाद हमसे सबसे नजदीक का तारा माना गया था। परन्तु, बाद में इसके और एक साथी तारे की खोज हुई जो इसकी अपेक्षा हमसे 2400 खगोलीय इकाई (36 हजार करोड़ किमी) अधिक नजदीक है। इसे प्रॉक्सिमा सैंटोरी नाम दिया गया। प्रॉक्सिमा अर्थात पास का! परन्तु, इसे खुली आँखों से देखा नहीं जा सकता। इस प्रकार बिना दूरबीन से देखे जा सकने वाले तारों में अल्फा सैंटोरी ही सबसे नजदीक का तारा है।

अल्फा सैंटोरी एक युग्म तारक योजना


वस्तुतः अल्फा सैंटोरी एक युग्म तारक योजना है जिसे अल्फा सैंटोरी ए-बी कहा जाता है। इस योजना के दो तारे अल्फा सैंटोरी-ए और अल्फा सैंटोरी-बी हैं जिनमें से केवल अल्फा सैंटोरी- ए को ही खुली आँखों से देखा जा सकता है। इसका दृश्य कांतिमान 0.1 तथा निरपेक्ष कांतिमान 4.7 है। इसे दक्षिणी क्षितिज में पहचानना कठिन नहीं है, क्योंकि, जब यह दिखाई देता है, तब इसके आस-पास अगत्स्य जैसा कोई अन्य चमकदार तारा नहीं होता। 4.3 प्रकाशवर्ष दूर अल्फा सैंटोरी सूर्य की तरह पीले रंग का एक मध्यम कोटि का तारा है। इसका द्रव्यमान सूर्य के लगभग बराबर और चमक सूर्य की डेढ़ गुनी है। इसकी सतह का तापमान 5790 अंश केल्विन है। इसका व्यास सूर्य के व्यास का 1.2 गुना है। यह 22 दिनों में अपनी एक परिक्रमा पूरी करता है जो सूर्य के 25 दिनों की तुलना में कुछ ही कम है।

अल्फा सैंटोरी-ए का छोटा साथी तारा अल्फा सैंटोरी-बी नारंगी रंग का है। ये दोनों तारे लगभग 80 वर्षों में अपने उभय गुरुत्वकेन्द्र की परिक्रमा करते हैं। इन दोनों साथी तारों के बीच की दूरी, सूर्य से शनि की दूरी और उसकी प्लूटो से दूरी के बराबर कम-ज्यादा होते रहती है। प्रॉक्सिमा सैंटोरी या अल्फा सैंटोरी-सी इस जोड़ी का तीसरा साथी तारा है। 4.24 प्रकाश वर्ष दूर यह तारा हमसे सबसे नजदीक का तारा है। यह एक शीतल लाल-बौना तारा है। यह सूर्य से 20 हजार गुना कम प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह अल्फा सैंटोरी। से 0.19 प्रकाशवर्ष दूर है और 3 लाख से अधिक वर्षों में उसकी एक परिक्रमा पूरी करता है।

बीटा सैंटोरी


.सैंटोरस तारामण्डल में अल्फा (α) सैंटोरी से लगा हुआ उसके पश्चिम की ओर का दूसरा चमकीला तारा बीटा (β) सैंटोरी कहलाता है। यह तारासूची का 10वें क्रम का चमकीला तारा है, पर वस्तुतः यह आकाश का 8वां सबसे चमकदार तारा है। इसे हैडर (Hader) और एजीना (Agena) के नाम से भी पुकारा जाता है। इस नीले-सफेद विराट तारे का दृश्य कांतिमान 0.9 तथा निरपेक्ष कांतिमान -3.1 है। यह हमसे 350 प्रकाशवर्ष की विशाल दूरी पर स्थित है। इस अतितप्त दानव तारे का सतह तापमान लगभग 22500 अंश केल्विन है। सूर्य की तुलना में यह 15500 गुना अधिक प्रकाश उत्सर्जित करता है। इसका व्यास सूर्य का 8 गुना और द्रव्यमान 10-11 गुना है। बीटा सैंटोरी एक जुड़वाँ तारा है। बाद में यह खोज हुई कि इस युग्मयोजना के मुख्य तारे का एक और जुड़वाँ तारा है। इस प्रकार बीटा सैंटोरी तीन तारों की एक योजना है।

बीटा सैंटोरी दक्षिण खगोल का एक जाना पहचाना नक्षत्र है, क्योंकि यह अल्फा सैंटोरी से मिलकर दक्षिण गोलार्ध में प्रवेश के लिये एक संकेतक का कार्य करता है। इन दोनों तारों को मिलाने वाली रेखा क्रुक्स तारामण्डल तक पहुँचती है, जो दक्षिण गोलार्ध का प्रवेशद्वार माना जाता है।

अल्फा-स्वस्तिक (क्रुक्स मण्डल)


आकाश के 88 तारामण्डलों में सबसे छोटा है- क्रुक्स मण्डल। सैंटोरस तारामण्डल के दक्षिण में तथा अल्फा और बीटा सैंटोरी तारों के पश्चिम में स्थित इस तारासमूह के तारे क्रुक्स यानी क्रॉस अर्थात सलीब की आकृति निर्मित करते हैं। इसीलिये इसे दक्षिणी सलीब भी कहते हैं। हमारे यहाँ इसे स्वस्तिक या त्रिशंकु कहा जाता है। इस मण्डल के चार तारों को α (अल्फा), बीटा (β), गामा (⋎) तथा डेल्टा (δ) नाम दिए गए हैं। इनमें से सबसे चमकीला अल्फा तारा, जो दक्षिण की ओर है, तारासूची का 13वें क्रम का चमकीला तारा है। परन्तु, चमक की दृष्टि से इसका स्थान 9वां है। इसका दृश्य कांतिमान 1.1 तथा निरपेक्ष कांतिमान -2.7 है। 218 प्रकाशवर्ष दूर का यह तारा तीन तारों की एक संयुक्त योजना है। बीटा सैंटोरी की ही तरह अल्फा-स्वस्तिक भी एक अतितप्त श्वेत दानव तारा है। क्रुक्स तारामण्डल के अल्फा तथा गामा तारे दक्षिण-उत्तर एवं डेल्टा और बीटा तारे पश्चिम-पूर्व दिशाओं को दर्शाते हैं। अतः यह मण्डल दक्षिण सागर की यात्रा करने वाले नाविकों के लिये कुतुबनुमा का कार्य करता है।

.आज समूचे आकाश को 88 तारामण्डलों में विभक्त कर दिया गया है। इनमें से कई तारामण्डल दक्षिण आकाश के हैं। सर्वप्रथम खगोलविद एडमण्ड हेली ने और फिर 17वीं शताब्दी में हेविलियूस ने दक्षिणी गोलार्ध के तारों का अध्ययन किया और उनकी सूची बनाई। सन 1752 में फ्रेंच ज्योतिर्विद निकोल लुई द लकाईल ने दक्षिण के दो हजार तारों की एक सारणी का प्रकाशन किया था। दक्षिणी गोलार्ध के तारों को उत्तरी गोलार्ध के अधिकांश स्थानों से देखना संभव नहीं है, पर तमिलनाडु में स्थापित कावलूर वेधशाला से जहाँ पर एशिया की सबसे बड़ी प्रकाशीय दूरबीन लगाई गई है, दक्षिण खगोल के काफी बड़े हिस्से का अवलोकन किया जा सकता है। अगत्स्य, नदीमुख, अल्फा सैंटोरी आदि तारे दक्षिण खगोल के प्रमुख तारे हैं। इनके अलावा यहाँ दो मंदाकिनियाँ बड़ा मेग्गलानी मेघ तथा छोटा मेग्गलानी मेघ भी देखी जा सकती हैं, जो देवयानी के बाद हमारी आकाशगंगा के सबसे नजदीक की आकाश गंगाएं हैं।

सम्पर्क


श्री मिलिन्द साव (व्याख्याता- गणित)
19/31, विवेकानंद नगर, राजनांदगांव 491441 (छत्तीसगढ़), (मो. : 09827159436)


Path Alias

/articles/alaphaa-saaintaorai-baitaa-saaintaorai-evan-alaphaa-savasataika

Post By: Hindi
×