अल नीनो रहे चाहे ला नीना, छग से कभी नहीं रुठा मानसून

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छत्तीसगढ़ ही नहीं, मध्य भारत में होती रही है सामान्य वर्षा, भौगोलिक स्थितियां और पर्यावरण है इसके लिए जिम्मेदार

मौसम वैज्ञानिक बारिश के पूर्वानुमान में भले ही अल नीनो या ला नीना परिस्थितियों के असर का आकलन करते रहें, लेकिन यह हकीकत है कि छत्तीसगढ़ में बारिश पर किसी प्रभाव का असर नहीं हुआ। राज्य में पिछले 10 साल में न ज्यादा सूखा पड़ा और न अत्यधिक वर्षा ही हुई। पिछले साल ही देश के मौसम विज्ञानियों ने प्रशांत महासागर में अल नीनो की मजबूत उपस्थिति बताते हुए कई देशों में सूखा और देश में कम बारिश के आसार जताए थे, लेकिन छत्तीसगढ़ में औसतन से थोड़ी ज्यादा बारिश हो गई। लालपुर मौसम केंद्र के निदेशक एमएल साहू के अनुसार मानसून और वर्षा का पूर्वानुमान जारी करने के लिए वैज्ञानिक कई मॉडलों का अध्ययन करते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग 2004 से एक्सपेरिमेंटल क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर-यूएसए के मौसम पूर्वानुमान मॉडल का उपयोग कर रहा है। इससे वह दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा का पूर्वानुमान जारी करता है। यह मॉडल समुद्र सतह के तापमान पर आधारित है। इस साल पूर्वानुमान के लिए अप्रैल के पहले दस दिनों की स्थितियों का अध्ययन किया गया। यही आधार बना है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. एएसआरएएस शास्त्री के अनुसार इसी आधार पर दोनों ही परिस्थितियों से छत्तीसगढ़ में बारिश पर खास असर नहीं पड़ रहा है। मानसून देश में सबसे पहले केरल में पहुंचता है। 30-31 मई के आसपास यह केरल पहुंचता है। छत्तीसगढ़ में आमतौर से 10 से 16 जून के बीच मानसून सक्रिय होता है। राज्य का औसत रिकार्ड यही है कि अगर मानसून लेट हुआ, तब भी यहां 1147 मिमी के आसपास (औसत) बारिश हो ही जाती है।

 

छत्तीसगढ़ का रिकार्ड

 

 

 

साल

मानसून आया

बारिश

कम/ज्यादा

2013

08 जून

1165.1

2 प्रति. ज्यादा

2012

18 जून

1227.5

17 प्रति. ज्यादा

2011

16 जून

1220.4

06 प्रति. ज्यादा

2010

17 जून

1034.6

13 प्रति. कम

2009

25 जून

0796.2

34 प्रति. कम

2008

10 जून

1064.4

12 प्रति. कम

2007

13 जून

1105.0

8 प्रति. कम

 


नोट : बारिश 1 जून से 30 सितंबर तक मानसून अवधि के हैं।

 

 

मजबूत ला नीना

 

 

 

साल

बारिश

कम/ज्यादा(')

1973

1084.8

11.1(+)

1975

1095.3

10.6(+)

1988

1065.6

11.2(+)

1999

944.3

6.2(-)

2010

1028.8

3.6(+)

 

 

मजबूत अल नीनो

 

 

 

साल

बारिश

कम/ज्यादा (')

1957

866.4

13.3(-)

1965

764.6

23.0(-)

1972

754.9

24.5(-)

1982

847.3

12.9(-)

1997

994.1

1.0(-)

 

 

हर परिस्थिति में सामान्य


मौसम विभाग के अनुसार भारत में मौसम के प्रभाव का आकलन करने के लिए देश को तीन हिस्सों में बांटा गया है। उत्तरी, मध्य और दक्षिण भारत। मध्य भारत के सभी राज्यों (छत्तीसगढ़ समेत) में मौसम की समान परिस्थिति बनती है। 1957 से 1997 तक पांच बार अल नीनो सक्रिय रहा। इसके बावजूद मध्य भारत में हुई बारिश सामान्य से कुछ ही कम थी। यह औसत 14.94 फीसदी कम बारिश का था, जबकि मौसम विज्ञान में प्लस-माइनस 10 परसेंट को सामान्य ही माना जाता है।

1973 से 2010 तक मानसून पांच बार ला नीना परिस्थिति से प्रभावित हुआ। लेकिन छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत में इस दौरान भी औसत से केवल 6.06 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

 

 

 

छत्तीसगढ़-मध्य भारत में वर्षा

 

 

 

ये है ला नीना


यह अल नीनो की विपरीत परिस्थिति है। समुद्र का तापमान ज्यादा बढ़ जाता है। इससे वाष्पीकरण बढ़ता है और अत्यधिक वर्षा होती है।

 

 

ये है अल नीनो


प्रशांत महासागर में मार्च में समुद्र का पानी 5 डिग्री से ज्यादा गर्म होने पर अल नीनो बनता है। इससे ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों में कम और कम वाले में ज्यादा वर्षा होती है।

 

 

 

 

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