आकाश गंगा न्यास के वर्षा-केन्द्र The rain center का केसस्टडीज

The rain Center
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यह दस्तावेज आकाश गंगा न्यास, चेन्नई के श्री शेखर राघवन से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। केस अध्ययन - , चेन्नई

परिचय
वर्ष 2025 तक भारत की 60 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवासरत होगी, ऐसा माना जा रहा है। निरंतर बढ़ती जा रही शहरी आबादी की पानी की आवश्यकताओं की पूर्ति करना नगर पालिका निकायों के लिये समस्या बनती जा रही है। इसका एक अच्छा उदाहरण तटीय शहर, चेन्नई (मद्रास) है। चेन्नई तमिलनाडु राज्य की राजधानी है और भारत के चार महानगरों में से एक है।

नगरपालिका द्वारा प्रदत्त जल की कमी ने यहाँ की जनता को भू-जल खींचने पर मजबूर किया है। अत्याधिक दोहन के कारण भू-जल का स्तर और इसकी गुणवत्ता तेजी से घट रही है। विशेषकर चेन्नई के तटीय बस्तियों में समुद्री जल भू-जल में समाहित हो गया है, जिससे यह खारा हो गया है।

चेन्नई में जल ग्रहण गतिविधियाँ - वर्षा केन्द्र The Rain Center की भूमिका

वर्षा केन्द्रवर्षा केन्द्रचेन्नई जैसे शहर में वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता और महत्व के प्रति जन-जागरण की प्रक्रिया को गति प्रदान करने हेतु, कुछ समान विचार वाले व्यक्तियों ने जनवरी 2001 में आकाश गंगा न्यास का गठन किया। 21 अगस्त 2002 को वर्षा केन्द्र चेन्नई का उदघाटन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।

वर्षा केन्द्र देश में अपने प्रकार की पहली संस्था है। वर्षा जल संग्रहण से संबंधित विषयों पर यह संस्था जानकारी तथा सहायता एक ही स्थान पर प्रदान करती है। इसके गठन हेतु बीज-राशि अमेरिका में रहने वाले कुछ अप्रवासी भारतीयों द्वारा प्रदान की गई। संसाधन-सामग्री के रूप में दिल्ली में स्थित गैर शासकीय संस्था सेन्टर फॉर साईन्स एण्ड इन्विरोन्मेंट ने सहायता प्रदान की।

तमिलनाडु शासन वर्षा केन्द्र का एक सह-प्रायोजक है।

वर्षा केन्द्र में वर्षा का अनुकरण

वर्षा केन्द्र सभी के लिए उपलब्ध है। यह संस्था नागरिकों से कोई सेवा शुल्क नहीं वसूलती है। तीन वर्ष पूर्व, अपने गठन के बाद से यह संस्था शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण के प्रोत्साहन हेतु नीचे उल्लेखित तीनों प्राथमिकता वाली दिशाओं में सक्रिय है :-

(1) शिक्षा :- तात्कालिक उपयोग हेतु वर्षा जल संग्रहण तथा दीर्धकाल के लिए भू-जल स्तर संरक्षण से संबंधित विषयों पर जागरूकता का कार्य। यह कार्य पोस्टर, वीड़ियो, पुस्तिकायें तथा क्रियाशील मॉडलों के माध्यम से किया जाता है।

(2) क्रियान्वयन :- कार्यशालायें तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों की रचना एवं आयोजन। नागरिकों को उनकी ही भूमि पर वर्षा जल संग्रहण हेतु प्रभावशाली और उचित लागत वाले उपायों पर सलाह प्रदान करना।

(3) मूल्यांकन/शोध : निम्नलिखित बिन्दुओं पर अध्ययन करना :-

(क) शहर के विभिन्न इलाकों में भीतरी मिटटी का स्वरूप तथा बड़ी मात्रामें वर्षा जल सोकने की उसकी क्षमता।

वर्षा केन्द्र में वीड़ियो प्रदर्शन

(ख) वर्षा जल संग्रहण से संबंधित विभिन्न उपायों और निर्मित ढाँचों की सार्थकता और पर्याप्तता।(ग) ऐसे क्षेत्रों में जहाँ वर्षा जल संग्रहण के ढाँचे स्थापित हैं, वर्षा के पश्चात परीक्षण करना कि इनसे कितनी मात्रा में दोहन-योग्य जल प्राप्त होता है और इसकी गुणवत्ता क्या है।

वर्षा केन्द्रवर्षा केन्द्रप्रस्तावित गतिविधियाँ :-

चेन्नई तथा सम्पूर्ण तमिलनाडु में वर्षा जल संग्रहण के संबंध में व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के पश्चात वर्षा केन्द्र अब नागरिकों को प्रशिक्षित स्त्रोत व्यक्तियों की सलाह के बिना वर्षा जल संग्रहण ढाँचों के निर्माण से संभावित समस्याओं के प्रति जागरूक करना चाहती है। दोषपूर्ण पाये जाने वाले ढाँचों के सुधार हेतु भी वर्षा केन्द्र लोगों की सहायता करना चाहती है।

जल संरक्षण से संबंधित एक अन्य पहल के रूप में वर्षा केन्द्र स्नान आदि घरेलू उपयोगों के निकासी जल के पुर्नउपयोग के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करना चाहती है।

क्रियाशील मॉडलइसके अतिरिक्त, वर्षा केन्द्र भारत के अन्य शहरों में भी इसी प्रकार के केन्द्रों की स्थापना हेतु विशेषज्ञ के रूप में सलाह प्रदान करना चाहती है। संस्था विदेश में भी ऐसे शहरों का सर्वेक्षण कर रही है, जहाँ बड़े पैमाने पर वर्षा जल संग्रहण से भू-जल का संवर्धन संभव है।

यह न्यास स्वयं की वित्तीय लागत से वृध्दाश्रम, अनाथाश्रम, विकलांग-गृह आदि परोपकारी संस्थाओं के लिये वर्षा जल संग्रहण ढाँचे स्थापित करना चाहती है।

रूफ-टाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग, वर्षाजल प्रबंधन केसस्टडीज

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