आज तो नदियां हमारे पास हैं

आज तो नदियां हमारे पास हैं,
कम न होगी यह नहीं आभास है।

पेड़ सांसों के कटे, नदियां बिकीं,
कुछ लुटेरों की यहां, रोटी सिकीं,

जेब भरते लोग अक्सर खास हैं
कम न होगी यह नहीं आभास है।

प्यास की नदियां बही है आजकल,
सूखती लहरें बहीं हैं आजकल,

गुम हुआ हर मौसमी आभास है
कम न होगी यह नहीं आभास है।

नदियों के प्रवाहों पर लगा प्रतिबंध है
सब्र का हर टूटता तटबंध है

गीत में भी गुम हुआ उल्लास है
कम न होगी यह नहीं आभास है।

वर्षा, पेड़ों, जंगलों खेतों में है
ऊंचाइयों, गहराइयों, स्रोतों में है।

हर दिलों में एक नदी का वास है,
कम न होगी यह नहीं आभास है।

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