आज से कावेरी बेसिन क्षेत्र का दौरा करेगी समिति


कावेरी नदी जल बँटवारे पर विवादबंगलुरु। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल बँटवारा विवाद को सुलझाने के लिये उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित उच्च स्तरीय तकनीकी समिति शुक्रवार से कावेरी बेसिन क्षेत्र का दौरा करेगी। अदालत ने 4 अक्टूबर को केन्द्र सरकार को समिति गठित करने का आदेश दिया था। समिति को 17 अक्टूबर तक दोनों राज्यों के कावेरी बेसिन क्षेत्र के जमीनी हालात का आकलन कर अदालत को रिपोर्ट देनी है।

शीर्ष अदालत के आदेश के एक दिन बाद ही केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष जी एस झा की अध्यक्षता में तकनीकी समिति का गठन किया था। आयोग में दो तकनीकी विशेषज्ञों को भी नामित किया गया है जबकि कावेरी से जुड़े तीन राज्यों-कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल व केन्द्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियन्ता स्तर के अधिकारी को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु के मुख्य सचिव अथवा उनकी ओर से नामित अधिकारी भी सदस्य होंगे। समिति की पहली बैठक बंगलुरु में शुक्रवार सुबह 09:30 बजे होगी। जिसके बाद समिति दो दिनों तक राज्य के कावेरी बेसिन के बाँधों व जलाशयों और इलाके के हालात का आकलन करेगी। इसके बाद समिति के सदस्य तमिलनाडु भी जाएँगे। दौरे के दौरान समिति के सदस्यों को कड़ी सुरक्षा प्रदान करने के लिये सरकार पहले ही सम्बन्धित जिलाधिकारियों को निर्देश दे चुकी है। मुख्यमन्त्री सिद्धरामय्या ने कावेरी बेसिन के जिलों के प्रभारी मन्त्रियों को भी टीम के साथ रहने व उनको हर सुविधा उपलब्ध करवाने को कहा है।

हालात से अवगत कराएगी सरकार


कावेरी बेसिन क्षेत्र के दौरे पर निकलने से पहले राज्य सरकार समिति के सदस्यों के राज्य के वास्तविक हालात से भी अवगत कराएगी। दौर पर जाने से पहले टीम के सदस्यों की विधानसभा में होने वाली तैयारी बैठक में राज्य के जल संसाधन मन्त्री एम बी पाटिल और मुख्य सचिव सुभाष चन्द्र कुंटिया राज्य के कावेरी बेसिन क्षेत्र में हुई बारिश, चारो बाँधों में उपलब्ध पानी और खेती की स्थिति के बारे में बताएँगे। इसके तुरन्त बाद राज्य सरकार की ओर राज्य में कम बारिश होने के कारण उत्पन्न स्थिति के बारे में बताया जाएगा। पाटिल ने गुरुवार को जल संसाधन विभाग और मौसम विभाग के अधिकारियों के साथ टीम के दौरे के मद्देनजर बैठक की और जानकारियाँ संग्रहित की। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में पाटिल ने कहा कि समिति के सदस्यों को हम वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी देंगे। इसमें तमिलनाडु के भी सदस्य होंगे। क्षेत्र के दौरे के दौरान वे खुद देखेंगे कि कैसे नहरों में पानी नहीं छोड़े जाने के कारण खेत परती पड़े हैं अथवा जो बुवाई हुई थी वह फसल खराब हो चुकी है।

कावेरी नदीअधिकारियों के मुताबिक कावेरी बेसिन क्षेत्र में राज्य का रकबा करीब 18 लाख हेक्टेयर है। इसमें से करीब 10.98 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी लेकिन पानी की कमी के कारण इसमें 20 फीसदी यानी करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है। बाकी 41 फीसदी फसल को भी सिंचाई के लिये पानी का इन्तजार है। समिति के सदस्यों को कम बारिश के कारण राज्य के 110 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किये जाने के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। ज्ञापन में यह भी बताया कि राज्य के बाँधों में 30.48 टीएमसी पानी उपलब्ध है जिसमें 24 टीएमसी पानी अगले साल 31 मई तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन से पहले तक बैंगलुरु, मैसूरु और मण्ड्या में पेयजल आपूर्ति के लिये चाहिए। ज्ञापन में सरकार पड़ोसी तमिलनाडु की कर्नाटक की अपेक्षा और उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान होने वाली बारिश की संभावनाओं के बारे में भी अवगत कराएगी जिसके सहारे तमिलनाडु स्थिति से निपटने में सक्षम होगा।

समिति को राज्य के वास्तविक हालात की जानकारी देने के लिये राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राकेश सिंह, मैसूरु वृत के मुख्य अभियन्ता शिवशंकर तथा कावेरी नीरावरी निगम के प्रबन्ध निदेशक चिक्क रायप्पा को प्रतिनियुक्त किया है।

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