अपनी पुस्तक “आज भी खरे हैं तालाब” में श्री अनुपम जी ने समूचे भारत के तालाबों, जल-संचयन पद्धतियों, जल-प्रबन्धन, झीलों तथा पानी की अनेक भव्य परंपराओं की समझ, दर्शन और शोध को लिपिबद्ध किया है।
भारत की यह पारम्परिक जल संरचनाएं, आज भी हजारों गाँवों और कस्बों के लिये जीवनरेखा के समान हैं। अनुपम जी का यह कार्य, देश भर में काली छाया की तरह फ़ैल रहे भीषण जलसंकट से निपटने और समस्या को अच्छी तरह समझने में एक “गाइड” का काम करता है। अनुपम जी ने पर्यावरण और जल-प्रबन्धन के क्षेत्र में वर्षों तक काम किया है और वर्तमान में वे गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के साथ कार्य कर रहे हैं। उनकी पुस्तकें, खासकर “आज भी खरे हैं तालाब” तथा “राजस्थान की रजत बूंदें”, पानी के विषय पर प्रकाशित पुस्तकों में मील के पत्थर के समान हैं, और आज भी इन पुस्तकों की विषयवस्तु से कई समाजसेवियों, वाटर हार्वेस्टिंग के इच्छुकों और जल तकनीकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को प्रेरणा और सहायता मिलतीहै।
अनुपम जी ने खुद की लिखी इन पुस्तकों पर किसी प्रकार का “कॉपीराईट” अपने पास नहीं रखा है। इसी वजह से “आज भी खरे हैं तालाब” पुस्तक का अब तक विभिन्न शोधार्थियों और युवाओं द्वारा ब्रेल लिपि सहित 19 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। सामाजिक पुस्तकों में महात्मा गाँधी की पुस्तक “माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ” के बाद सिर्फ़ यही एक पुस्तक ब्रेल लिपि में उपलब्ध है। सन् 2009 तक, इस अनुकरणीय पुस्तक “आज भी खरे हैं तालाब” की एक लाख प्रतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
यहां पर 'आज भी खरे हैं तालाब' के पीडीएफ की हाई रिजोल्यूशन और लो रिजोल्यूशन प्रतियां संलग्न हैं। आप पढ़ने के लिए इन्हें डाऊनलोड कर लें।
हाई रिजोल्यूशन यहां क्लिक करें
Click here for High Resolution
Tags: Aaj Bhi Khare Hain Talab in Marathi, Anupam Mishra in Marathi, Aaj Bhi Khare Hain Talab, Anupam Mishra, Talab in Bundelkhand, Talab in Rajasthan, Tanks in Bundelkhand, Tanks in Rajasthan,Tanks; Ponds in Maharashtra, Simple living and High rThinking, Honest society, Role Models for Water Conservation and management, Experts in tank making techniques
/articles/aja-bhai-kharae-haain-taalaaba-maraathai