आज भी खरे है तालाब अनुपम मिश्र की बहुचर्चित पुस्तक - 02 अध्याय नींव से शिखर तक रमाकान्त राय के संगीतमय अंदाज में
अनुपम मिश्र पानी और पर्यावरण पर काम करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन उनकी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक आज भी खरे हैं तालाब के साथ उन्होंने एक ऐसा प्रयोग किया जिसका दूरगामी दृष्टि दिखती है। उन्होंने अपनी किताब पर किसी तरह का कापीराईट नहीं रखा। इस किताब की अब तक एक लाख से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।
अपनी पुस्तक “आज भी खरे हैं तालाब” में श्री अनुपम जी ने समूचे भारत के तालाबों, जल-संचयन पद्धतियों, जल-प्रबन्धन, झीलों तथा पानी की अनेक भव्य परंपराओं की समझ, दर्शन और शोध को लिपिबद्ध किया है।
भारत की यह पारम्परिक जल संरचनाएं, आज भी हजारों गाँवों और कस्बों के लिये जीवनरेखा के समान हैं। इसी पुस्तक को कागजों से संगीतमय ध्वनि में पिरोने का एक प्रयास कर रहे हैं रमाकांत राय
आईये सुनते हैं उनकी मधुर आवाज में आज भी खरे हैं तालाब पुस्तक के दूसरे अध्याय का वाचनः
हम यहां पुस्तक के सभी अध्याय इसी तरह प्रस्तुत करेंगे, देखने के लिये पोर्टल देखते रहिये -
संपर्क- मोबाइल- 9838952426 E-mail- royramakantrk@gmail.com
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